दिल्ली: बालासोर में हुई कोरमंडल एक्सप्रेस और यशवंतपुर एक्प्रेस के दुर्घटनाग्रस्त होने के चारो और चीख पुकार और मातम है, लेकिन इनमें भी कुछ लोग भी हैं जो अपने आप को खुशनसीब (Train Accident Survivors) समझ रहे है. उनकी जान इस हादसे में बच गई है.
पूर्वी मेदिनीपुर जिले मालुबसन गांव के एक परिवार हावड़ा से चेन्नई जाने के लिए ट्रेन में सवार हुए. पाल परिवार के मुखिया सुब्रत पाल अपने बेटे और पत्नी के साथ ट्रेन में सवार थे. सुब्रत पाल अपने बेटे के ईलाज के लिए चेन्नई जा रहे थे.
जोरदार टक्कर ने बदला मंजर,चीख पुकार मची
सब ठीक था. ट्रेन चल ही रही थी कि अचनाक जोरदार धक्का लगा.झटका इतना तेज था कि ऐसा लगा जैसे बम फटा हो. लोग एक दूसरे के उपर गिरने लगे. साधारण रिजर्वेशन कोच में क्षमता से ज्यादा लोग भरे थे, जोर का धक्का लगने के बाद आस पास में रखे लोगों के लगेज भी गिरे. ट्रेन की मजबूत लोहे की रॉड और शीशे वाली खिड़कियां टूटी और लोग एक दूसरे के नीचे और सामानों के नीचे दब गये.
भगवान ने जान बचा ली- देवश्री पाल, Train Accident Survivor
पाल परिवार उस मंजर को याद कर सदमें की स्थिति में है. पाल परिवार अपने आप का खुश नसीब मान रहे है कि तीनों लोग जिंदा और सही सलामत बचकर निकल आये.सुब्रत पाल की पत्नी देवश्री पाल का कहना है कि ये उनकी नई जिंदगी है, और जो हुआ वो अपने पूर जीवन में भूल नहीं पायेगी.
ये परिवार तो भगलान का शुक्र मना रहा है कि इतने बड़े हादसे में इनकी जान बच गई औऱ ये सही सलामत हैं,. लेकिन अबी सेंकड़ों लोग ऐसे है जो अपनों को खोजने के लिए घटना स्थल और उसके आसपास भटक रहे हैं. स्थानीय प्रशासन के दावे के बावजूद लोग अपने परिजनों के ढूंढ नहीं पा रहे हैं.
परिजनो को मीडिया से उम्मीद
स्थानीय मीडिया ऐसे कई लोगों की तस्वीरे सोशल मीडिया पर दिखा रहा है जो अपने परिजनों के ढ़ूढ़ रहे हैं.
https://twitter.com/Tamal0401/status/1664814683126222851
तमाल शाह नाम के पत्रकार ने एक वीडियो शेयर किया है जिसमें एर पिता अपने बेटे को ढूढ़ने के लिए कई घंटों तक लाशों के आसपास चक्कर लगाते रहे, कोई जवाब नहीं मिला तो मीडिया वालों के पास आकर फूट फूट कर रो पड़े