नई दिल्ली (ब्यूरो रिपोर्ट) राजनीति का कोई आखिरी पड़ाव नहीं होता. चुनाव का आना -जाना, पार्टियों का बनना- टूटना और सबसे बड़ा राजनेताओं का बदलते रहना. ऐसे कई पड़ाव हैं जो इसके रंग को फीका नहीं होने देते. पाँच राज्यों के विधानसभा परिणाम के बाद जब अभी सरकारें भी ठीक से बनी भी नही, विधानसभा कैबिनेट में कौन शामिल होगा? कौन नही? लेकिन इसकी राजनैतिक हलचल राज्यों से लेकर दिल्ली तक जारी है। और आगामी लोकसभा चुनाव के लिए राजनीतिक बिसात बिछनी शुरु हो गई।
I.N.D.I.A alliance 4th Meeting : एकजुट होगा विपक्ष ?
एक ओर जहाँ भाजपा राज्यों में सरकार बनाने में लगी हुई है, वहीं दूसरी ओर अन्य राजनीतिक दल भाजपा के लिए चक्र चक्रव्यूह रचने में लगी हुई है. राज्यों में एक दूसरे कि प्रतिद्वंदी रहने वाली पार्टियां केंद्र में एकजुट होकर भाजपा को पटखनी देने की तैयारी में जुटी हुई है. जिसकी तैयारी के लिए देश भर की अलग अलग पार्टी एक बार फिर से 19 दिसंबर को दिल्ली में होने वाली गठबंधन की चौथी बैठक में एकजुट होंगे.
इस बैठक में पार्टियों के सीट शेयरिंग पर मंथन होने की उम्मीद है, जिसमें कुल 25 दलों के नेता भाग लेंगे. पिछले चुनाव में हार के बाद कांग्रेस के लिए आगामी लोकसभा चुनाव एक बड़ी चुनौती है. राज्यों में हुए हार को लेकर दूसरी पार्टियां पहले ही कांग्रेस की हार बता चुकी है. ऐसे में देखना दिलचस्प होगा बैठक में क्या निर्णय होते है.
नेताओं के ना आने की वजह से हुई थी बैठक स्थगित
पाँच राज्यों में हुए विधानसभा के चुनाव परिणाम के बाद, इंडिया गठबंधन की चौथी बैठक 6 दिसंबर को दिल्ली होने वाली थी, जिसे टाल दिया गया था. मीडिया रिपोर्ट में कहा गया कि बैठक में कुछ महत्वपूर्ण पार्टी के लोगों का नहीं पहुंच पाना बैठक को टालने का मुख्य कारण था. जिसमें ममता बनर्जी, नीतीश कुमार और अखिलेश यादव जैसे बड़े नेताओं का नाम शामिल था.
पहले हो चुकी बैठकों का कोई खास परिणाम नहीं
आगामी लोकसभा चुनाव से पहले इंडिया गठबंधन की तीन बैठकें हो चुकी हैं. गठबंधन की पहली बैठक पटना में 23 जून को पटना में आयोजित की गई थी. दूसरी बैठक 17-18 जुलाई को बेंगलुरु में हुई. फिर गठबंधन की तीसरी बैठक 31 अगस्त से 1 सितंबर के बीच मुंबई में बुलाई गई. इन बैठकों में गठबंधन के नाम और पार्टियों की सँख्या के अलावे कुछ खास नहीं हुआ. अब जब लोक सभा चुनाव की आहटें तेज हो रही हैं, तब ये देखना दिलचस्प होगा कि सभी पार्टयाां क्या अपने अपने निजी हितों को दूर रखकर कोई फैसला करेगी ?