Saturday, July 27, 2024

ये है बिजली महादेव जहाँ हर साल गिरती है रहस्य्मय बिजली जो खंडित कर देती है शिवलिंग और फिर होता है चमत्कार …

देवों के देव महादेव शिव शम्भू सबके दुलारे हैं. जब भी कोई महादेव का नाम लेता है. तो उसके अंदर एक अलग ही किस्म की शक्ति प्रज्वलित होती है. शिव जी के भक्तों में उनके प्रति आस्था बेहद अटूट हैं. दुनिया के कोने कोने में शिव जी के अद्धभुत मंदिर और शिवलिंग मौजूद है. जिन्हे लेकर अलग तरह की मान्यताये और आस्था है. बेहद चौका देने वाला रहस्य. आज हम आपको एक ऐसे ही रहस्यमय शिव मंदिर के बारे में बताने जा रहे है. जिसके बारे में शायद आपने आज से पहले ना सुना हो.
दरअसल कल्याण के देवता माने जाने वाले भगवान शिव वैसे तो कण–कण में व्याप्त हैं. देश में कई ऐसे पावन शिवधाम हैं, जो चमत्कारों से भरे पड़े हैं. इन्हीं में से एक है हिमाचल प्रदेश के कुल्लू में स्थित बिजली महादेव. लगभग 2,460 मीटर की ऊंचाई पर स्थित इस शिव मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां पर हर साल शिवलिंग पर बिजली गिरती है. और शिव लिंग के टुकड़े हो जाते हैं. आप सोच रहे होंगे भला ये क्या इसने क्या चमत्कार है. तो गौर से सुनिए चमत्कार इसके बाद शुरू होता है। जब वो खंडित हुआ शिवलिंग फिरसे जुड़ भी जाता है. आइए जानते हैं कि आखिर क्या है इस शिवलिंग का रहस्य, जिसे जानने के लिए देश ही नहीं दुनिया भर के लोग यहां पर खिंचे चले आते हैं .

हिमाचाल में स्थित शिव के इस पावन धाम के बारे में लोगों का मानना है कि यहां पर कई हजार साल पहले कुलान्तक नाम का दैत्य रहा करता था. एक बार अजगर की तरह दिखने वाले इस दैत्य ने जब ब्यास नदी के प्रवाह को रोककर घाटी को जलमग्न करना चाहा था. जब यह बात भगवान महादेव को मालूम चली तो उन्होंने अपने त्रिशूल से कुलांतक का वध कर दिया. मान्यता है कि मरने के बाद कुलांतक का शरीर एक पहाड़ में बदल गया. मान्यता है कि कुलांतक के नाम का अपभ्रंश ही कुल्लू है. बहरहाल, शिव ने उस दैत्य का वध करने के बाद इंद्र देव को आदेश दिया कि इस दैत्य के शरीर पर हर 12 साल बाद यहां पर आकाशीय बिजली गिराए. तब से आज तक यह परंपरा चमत्कारिक रूप से बनी हुई है. आश्चर्य किंतु सत्य कल्याण के देवता इस वज्रपात को भी अपने ​ऊपर ही लेते हैं और हर 12 साल बाद बिजली गिरने से शिवलिंग टूट जाता है, चमत्कार तो ये भी है कि इस बिजली कि ​कहीं किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचता है. जिस तरह भगवान शिव ने विष पीकर प्रा​णियों की रक्षा की और नीलकंठ कहलाए कुछ वैसे ही यहां पर स्वयं अपने उपर वज्रपात सहकर बिजली महादेव कहलाते हैं. शायद इसीलिए उन्हें विघ्नहर्ता पालन करता कहा जाता है

 

मान्यताओं के मुताबिक इसीलिए हर 12 साल बाद शिवलिंग के टूटने की घटना के बाद मंदिर के पुजारी दोबारा से उसे मक्खन से जोड़कर स्थापित कर देते हैं और एक बार फिर महादेव का विधि–विधान से पूजन–अर्चन शुरु हो जाता है. श्रावण मास में दूर–दूर से भक्त बाबा के दर्शन करने के लिए यहां पर आते हैं.

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