पटना : मुख्यमंत्री नीतीश कुमार Nitish Kumar की पलटीमार पॉलिटिक्स से बिहार में भारतीय जनता पार्टी और जनता दल यूनाइटेड की सरकार तो बन गई लेकिन इसने जेडीयू के 5 बड़े नेताओं की टेंशन भी बढ़ा दी है. इनमें ललन सिंह, गिरधारी यादव, रत्नेश सदा, विजेंद्र यादव और गुलाम रसूल बलियावी जैसे बड़े नाम शामिल है.
Nitish Kumar के पांच नेता जिनके निशाने पर रहे पीएम
जेडीयू के इन पांच नेताओं के लिए एनडीए के नए समीकरण में फिट होना काफी मुश्किल हो सकता है. इसकी बड़ी वजह बीजेपी खासकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ उनकी मुखरता रही है. हालांकि वर्तमान में भी सभी चुप्पी साधे हुए हैं और आगे के फैसले का इंतजार कर रहे हैं. पिछला ट्रैक रिकार्ड देखा जाए तो भी नीतीश Nitish Kumar जब भी पाला बदलते हैं,तब अपने कुछ करीबी नेताओं को पार्टी से बाहर कर देते हैं. ऐसे में यह चर्चा जोरों पर है कि क्या इस बार भी गठबंधन को ठीक ढंग से चलने के लिए इन नेताओं की बलि ली जाएगी.
ललन सिंह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुखर विरोधी
सांसद राजीव रंजन उर्फ लल्लन सिंह की गिनती प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुखर विरोधी के रूप में होती है. इंडिया गठबंधन में रहने के दौरान ललन सिंह सड़क से लेकर सदन तक पीएम मोदी के खिलाफ हमलावर थे. कहा जाता है कि जेडीयू के अध्यक्ष बनने के बाद लल्लन सिंह ने ही नीतीश कुमार Nitish Kumar को लालू यादव के साथ जाने के लिए तैयार किया था. जेडीयू और आरजेडी के बीच गठबंधन होने के बाद ललन ने अमित शाह पर खुद की पार्टी को खत्म करने का आरोप भी लगाया था. ऐसे में बदले समीकरण में सबसे ज्यादा चर्चा ललन सिंह को लेकर ही हो रही है. हाल ही में लल्लन सिंह से अध्यक्ष की कुर्सी ले ली गई हैं कहा जा रहा है कि जेडीयू और बीजेपी में डील का यह पहला एक्शन था.
सांसद गिरधारी यादव गौतम अडाणी और मोदी सरकार के हैं खिलाफ
दूसरी तरफ बीजेपी ने ललन सिंह के धुर -विरोधी विजय सिन्हा को बिहार का उपमुख्यमंत्री बना दिया है. सिन्हा और ललन सिंह दोनों ही भूमिहार बिरादरी से आते हैं और दोनों का क्षेत्र भी एक ही है. जानकारों का कहना है कि ललन सिंह की आगे की भूमिका लोकसभा चुनाव के बाद ही पूरी तरह से स्पष्ट हो पाएगी.उद्योगपति गौतम अडाणी और मोदी सरकार को लेकर बांका से जेडीयू सांसद गिरधारी यादव काफी मुखर रहे हैं. हाल ही में महुआ मोइत्रा प्रकरण में गिरधारी यादव अकेले ही पूरी सरकार के खिलाफ मोर्चा संभालते नजर आए थे.2019 में गिरधारी यादव ने बांका सीट से जीत हासिल की थी. उन्होंने आरजेडी के जय प्रकाश यादव को करीब 2 लाख वोटो से हराया था. कांग्रेस से राजनीति करियर की शुरुआत करने वाले गिरधारी यादव आरजेडी में भी रह चुके हैं.
पूर्व सांसद गुलाम रसूल बलियावी भी पीएम मोदी पर हमलावर रहे
जेडीयू के पूर्व सांसद गुलाम रसूल बलियावी भी अब तक बीजेपी और पीएम मोदी पर खूब हमलावर रहे हैं. फरवरी 2023 में तो बीजेपी ने रसूल पर राजद्रोह का मुकदमा दर्ज करने की मांग की थी. बलियावी पर बीजेपी ने भारतीय सेवा का अपमान करने का आरोप लगाया था. जून 2023 में बलियावी ने पीएम मोदी पर निजी हमला करते हुए कहा था कि देश को चाय दुकानदार की जरूरत नहीं हैं. अब बदले में बलियावी के राजनीति भविष्य को लेकर भी चर्चा जोर- शोर से हो रही है.54 साल के बलियावी जेडीयू के महासचिव भी रह चुके हैं. हालांकि जब नीतीश कुमार के पास जेडीयू की कमान आई तो उन्होंने बलियावी के पर कतर दिए. बलियावी राज्यसभा और विधान परिषद के सदस्य रह चुके हैं.
रत्नेश सदा ने पीएम मोदी को बताया सनातन विरोधी
नीतीश सरकार में मंत्री रहे रत्नेश सदा भी बीजेपी और पीएम मोदी पर काफी हमलावर रहे हैं. हाल ही में सदा ने नरेंद्र मोदी को सनातन विरोधी बताते हुए उन पर निजी टिप्पणी की थी. सदा ने कहा था, अपनी मां के निधन पर ना तो पीएम मोदी ने बाल कटवाए और ना ही दाढ़ी, फिर कैसे सनातनी हैं ?इतना ही नहीं नवंबर 2023 में नरेंद्र मोदी के खिलाफ दिया उनका एक बयान भी खूब चर्चा में था. सदा ने कहा था पीएम मोदी को नीतीश कुमार के खिलाफ कुछ बोलने से पहले मणिपुर की घटना को याद कर लेना चाहिए.मणिपुर में महिलाओं के साथ रेप हो रहा है और प्रधानमंत्री चुप्प हैं.सोनवर्षा से विधायक रत्नेश सादा जून 2023 में नीतीश कैबिनेट में शामिल हुए थे.
Nitish Kumar के करीबी विजेंद्र यादव ने नरेंद्र मोदी को हिटलर की संज्ञा दी थी
लालू यादव के साथ सरकार में रहने के दौरान विजेंद्र यादव पीएम मोदी के खिलाफ खूब हमलावर थे. एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने नरेंद्र मोदी को हिटलर की संज्ञा दी थी कहा जाता है कि विजेंद्र यादव लालू यादव से राजनीतिक रिश्ता खत्म करने के पक्ष में नहीं थे. ऐसे में बदले हुए स्थिति में उनके राजनीतिक भविष्य को लेकर भी गहमागहमी है. यादव को फिलहाल नीतीश कुमार ने अपने कैबिनेट में रखा है. जानकारों का कहना है कि नीतीश की यह कवायत विजेंद्र यादव को साधे रखने की है. हालांकि, आगे क्या होगा, इसका फैसला 2024 चुनाव के बाद ही होगा. नीतीश कुमार 2014 में जीतन राम मांझी को गद्दी से हटाकर आरजेडी के साथ समझौता करने की तैयारी कर रहे थे. उस वक्त नीतीश कुमार के फैसले का वृषिण पटेल और नरेंद्र सिंह जैसे नेताओं ने विरोध किया. पहले यह नेता जेडीयू से बाहर गए और फिर राजनीतिक परिदृश्य से गायब हो गए. 2017 में शरद यादव को अली अनवर ने नीतीश कुमार के पलटासन का विरोध किया. दोनों नेताओं को पहले राज्यसभा से हाथ धोना पड़ा और फिर राजनीतिक रूप से साइड लाइन हो गए.