भोपाल : मध्य प्रदेश में इस बार का चुनाव बहुत रोचक और कठिन होने वाला है. इसलिए ऐसा माना जा रहा है कि मध्य प्रदेश में बीजेपी MP BJP आने वाले चुनाव को देखते हुए कई महत्वपूर्ण चेहरे बदल सकती है. दरअसल बीजेपी ने एक इंटरनल सर्वे SURVEY कराया है जिसमें उसकी स्थिति मध्य प्रदेश में ठीक नहीं लग रही है. कई चेहरों को लेकर निगेटिव फीड बैक FEED BACK मिली है. चाहे वो सीएम CM हों या फिर बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष. किसी की भी रिपोर्ट आलाकमान को सही नहीं मिली है.
चुनाव जीतने के बाद कौन बनेगा सीएम
इसमें कोई दो राय नहीं कि फिलहाल बीजेपी के पास मध्य प्रदेश में सीएम के नाम पर शिवराज सिंह चौहान के अलावा कोई नहीं है. बीजेपी शिवराज को लेकर ही चुनाव लड़ेगी लेकिन चुनाव जीतने के बाद शिवराज अपनी कुर्सी पर रहेंगे कि नहीं ये बड़ा सवाल है. क्यों कि सूत्रों के मुताबिक अगर शिवराज की अगुवाई में बीजेपी चुनाव जीत जाती है तो इसके बाद शिवराज सीएम भी बनेंगे इसकी कोई गारंटी नहीं है.
MP BJP के प्रदेश अध्यक्ष भी बदले जा सकते हैं
ठीक इसी तरह बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष को लेकर भी आलाकमान को निगेटिव रिपोर्ट मिली है. ऐसी हालत में सूत्रों का कहना है कि शीर्ष नेतृत्व प्रह्लाद पटेल या फिर नरेंद्र सिंह तोमर के नाम पर विचार कर सकता है. यानी प्रह्लाद पटेल या फिर नरेंद्र सिंह तोमर को प्रदेश अध्यक्ष की जिम्मेवारी दी जा सकती है. फिलहाल दोनों सांसद हैं लेकिन कुर्सी बचाने के लिए बीजेपी नेतृत्व इन्हें फिर से राज्य में भेज सकती है. आने वाले चुनाव को देखते हुए बीजेपी गुजरात की तर्ज पर MP BJP में व्यापक उलट फेर कर सकती है.
MP BJP में आपसी मनमुटाव सबसे बड़ी समस्या
इंटरनल सर्वे के मुताबिक बीजेपी आंतरिक खींच तान से भी परेशान है. नेताओं की आपसी तनातनी चुनाव पर और सरकार पर असर डाल सकती है. वो सिंधिया का मामला हो या फिर मिश्रा जी का. इसके अलावा कार्यकर्ताओं की नाराजगी एक बड़ा मुद्दा है. आलाकमान को पता है कि जमीन से जुड़े कार्यकर्ता जो बीजेपी की रीढ़ हैं, उनमें नेताओं के प्रति नाराजगी बढ़ी है. नाराजगी की वजह है नेताओं का कार्यकर्ताओं का तवज्जो ना देना. ना नेता उनकी सुनते हैं ना शासन के अधिकारी उनकी सुनते हैं. आखिर ऐसी हालत में जिन कार्यकर्ताओँ ने जी जान से पार्टी की सेवा की है वो कहां जाएंगे अपना दुखड़ा सुनाने. और अगर उनकी नाराजगी पर समय रहते ध्यान नहीं दिया गया तो आने वाले चुनाव में बीजेपी के सामने जीत का संकट खड़ा हो जाएगा. कार्यकर्ताओँ की नाराजगी दूर करने का मतलब है कि बीजेपी को सख्त कदम उठाने होंगे. जिसका मतलब है कुछ चेहरे बदलने होंगे और कुछ चेहरों पर कार्रवाई करनी होगी तब जाकर कार्यकर्ता मानेंगे.
कांग्रेस कड़ी टक्कर देगी
वैसे भी इस बार बीजेपी का मुकाबला कांग्रेस से है. कर्नाटक जीत के बाद कांग्रेस का आत्मविश्वास आसमान पर है. इस बीच कमलनाथ भी बहुत आक्रामक दिख रहे हैं. उधर कांग्रेस के युवराज लगातार अपने कैंपेन में लगे हुए हैं. राहुल गांधी लगातार लोगों से मिल रहे हैं. उनकी जनसंपर्क यात्रा लगातार चल रही है और ये कांग्रेस के लिए एक अच्छा संकेत है. इससे कांग्रेस को फायदा भी मिल रहा है. इन हालात को देखते हुए बीजेपी मध्य प्रदेश में बहुत फूंक फूंक कर कदम रख रही है. और अगर जरूरत पड़ी तो बीजेपी सख्त कदम उठाने से भी नहीं चूकेगी. फिर चाहे प्रदेश अध्यक्ष का चेहरा बदलना हो या फिर सीएम का चेहरा.