Sanjay Leela Bhansali ‘Heeramandi’ Series: संजय लीला भंसाली एक से बढ़कर एक फिल्म लेकर आते है. इनकी फिल्म की कहानी हमेशा एक नये आयाम को खोलती है.भांसाली खाैस कर ऐसे विषय को चुनते हैं जिस लोग जानते तो है लेकिन उन्हें कहने का तरीका एकदम अलग होता है. अब ऐसे ही एक नई कहानी के साथ संजय लीला भंसाली पहली बार टेलिविजन के लिए एक सीरीज लेकर आ रहे हैं, जो नेटफ्लिक्स पर आयेगी. नाम है – हीरामंडी ‘Heeramandi . ये कहानी अविभाजित भारत के उस प्रांत की है, जो आज के समय में पाकिस्तान का हिस्सा है.
संजय लीला भंसाली की ‘Heeramandi’ का सच
फिल्ममेकर संजय लीला भंसाली फिल्म मेकिंग के खास अंदाज के लिए जाने जाते हैं, भव्य सेट, भारीभरकम कॉस्ट्यूम और शानदार डायलॉग्स …जिनके बड़े पर्दे पर आते ही लोग वाह करने से खुद को रोक नहीं पाते हैं. अब तक भारतीय दर्शकों ने संजय लीला भंसाली की फिल्में बड़े पर्दों पर सिनेमाघरों में देखी है लेकिन अब वही भव्यता उन्हें अपने घर के कमरे बैठकर दिखने वाली है. संजय लीला भंसाली अपनी पहली वेब सीरीज ‘Heeramandi’ के साथ छोटी स्क्रीन पर डेव्यू करने के लिए तैयार हैं. आइये आपको बताते हैं कि इस बार भंसाली ने अपनी बेवसीरीज के लिए जो प्लाट चुना है , उसेके पीछे की कहानी क्या है,
संजय लीला भंसाली ने सजाई ‘हीरामंडी’
‘हीरामंडी’ एक उर्दू शब्द है जिसका अर्थ हीरे का बाजार है और यह पाकिस्तान के लाहौर का एक क्षेत्र भी है. भंसाली बताते हैं कि इस प्रोजेक्ट का आइडिया 14 साल पहले उन्हें पाकिस्तान के मोईन बेग से मिला था. हालांकि उस समय भंसाली इस पर काम नहीं कर सके थे क्योंकि वह उस समय शाहरुख खान, ऐश्वर्या राय और माधुरी दीक्षित स्टारर ‘देवदास’ में व्यस्त थे. इसके बाद उन्होंने ‘सांवरिया’, ‘गुजारिश’ और फिर ‘बाजीराव मस्तानी’ जैसी फिल्में बनाईं और ‘हीरामंडी’ उस समय नहीं बन सकी.
‘Heeramandi’ का नाम हीरा सिंह के बेटे ‘ध्यान सिंह डोगरा’ के नाम पर रखा गया
पाकिस्तान के सबसे मशहूर जगहों में से एक हीरामंडी का नाम हीरा सिंह के बेटे ध्यान सिंह डोगरा के नाम पर रखा गया था, जो महाराजा रणजीत सिंह के स्टेट के प्रधानमंत्री थे. ध्यान सिंह डोगरा ने उस क्षेत्र में एक अनाज के बाजार की स्थापना की थी, इस लिए शुरु में इश बाजार को हीरा सिंह दी मंडी कहा जाता था. यहां अनाज बजार के साथ साथ तवायपों का भी डेरा था. खासकर 15वीं और 16वीं शताब्दी में मुगलकाल के दौरान मुग़ल अपने ऐशों-आराम और नोरंजन के लिए यहां आस पास के इलाकों जैसे अफगानिस्तान और उज़्बेकिस्तान से महिलाओं को लाते थे और फिर यहां उनकी महफिलें जमती थी. महफिलों की खासियत ये थी कि यहां कला और हुस्न के कद्रदान आया करते थे. शास्त्रीय संगीत और नृत्य से इलाका रौशन होता था.
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रणजीत सिंह ने 1801 में महाराजा पंजाब बने. अपने साम्रज्य का विस्तार उन्होने लाहौर से शुरु किया. लाहौर में महाराजा रंजीत सिंह के समय में ही दरबारी डांस सहित मुगल शाही रीति-रिवाजों फिर से शुरू हुए. एक बार फिरशाही मोहल्ले की तवायफों को शाही दरबार में मौका मिला.
दिन में बाजार और रात वेश्यावृत्ति, ऐसे चलती थी हीरामंडी
अहमद शाह अब्दाली के हमले के बाद ये जगह वेश्यावृत्ति का मुख्य अड्डा बन गयी थी. इसमें सैनिक उन महिलाओं के साथ रहते थे जिन्हें वो कहीं से पकड़कर आपने साथ लाते थे. यहां ठीक उसी तरह से काम होता था जैसे दिल्ली में जीबी जैसी जगहों पर होता था. दिन में अनाज की मंडी लगती थी और रात में .यही जगह रंगीन रौशनियों से सज उठती. जिस्मों का बाजार लगता,वेश्यालय खुल जाते थे.
संजय लीला भंसाली की सीरीज से खुश नहीं पाकिस्तानी
संजय लीला भंसाली की सीरीज से पाकिस्तानी बिल्कुल खुश नहीं है. उनका कहना है कि कोई भारतीय फिल्म निर्माता भारत में पाकिस्तान के बारे में फिल्म कैसे बना सकता है. पाकिस्तानी एक्ट्रेस उशना शाह ने इसका विरोध भी किया था. बाहरहाल संजय लीला भंसाली का 2021 में शुरु हुआ ये प्रोजेक्ट पूरा को गया है और अब बस लोगों को उसके स्क्रीन पर आने का इंतजार है. जल्दी ही इस सीरीज के स्ट्रीमिंग की ऑफिशियल तारीख आने वाली है. इस सीरीज में संबे अर्से के बाद मनीषा कोइराला दिखाई देंगी वहीं सोनाक्षी सिन्हा, अदिति राव हैदरी, ऋचा चड्ढा, शर्मिन सहगल और संजीदा शेख भी लीड रोल्स में नजर आयेंगी.