Statue of Justice : हमने अक्सर देखा है कि न्याय की देवी की आंखों पर पट्टी बांधी होती है लेकिन अब नए भारत में न्याय की देवी की आंखें खुल गईं हैं. यहां तक कि अब न्याय के देवी के हाथ में तलवार की जगह संविधान आ गया है. कुछ समय पहले ही केंद्र की मोदी सरकार ने देश में अंग्रेजों के बनाये कानूनों को बदला था. राजपथ का ना मबदल कर कर्तव्यपथ और कानून में में बदलाव करके इसे विशुद्ध रुप से भारतीय बनाया . अब भारतीय न्यायपालिका ने भी ब्रिटिश एरा को पीछे छोड़ते हुए नया रंगरूप अपनाना शुरू कर दिया है.
Statue of Justice : सुप्रीम कोर्ट में न्याय की देवी के आंखों से पट्टी हटी
सुप्रीम कोर्ट ने ना केवल न्याय के प्रतीक को बदल दिया है, बल्कि सालों से न्याय की देवी की आंखों पर बंधी पट्टी भी हट गई है. सुप्रीम कोर्ट ने इसके जरिये ये संदेश देने की कोशिक की है कि अब ‘ कानून अंधा’ नहीं है.
दरअसल य़े पहल भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी वाई चंद्रचूड़ की तरफ से किया गया है.न्याय के देवी की ये प्रतीमा सुप्रीम कोर्ट में जजों की लाइब्रेरी में लगाई गई है. अब से पहले न्याय की देवी की जो मूर्ति होती थी,उसमें उनकी दोनों आंखों पर पट्टी बंधी होती थी. साथ ही एक हाथ में तराजू जबकि दूसरे में सजा देने की प्रतीक के तौर पर तलवार होती थी.
सूत्रों के मुताबिक CJI चंद्रचूड़ का मानना था कि अब देश को अंग्रेजी विरासत से आगे निकलना चाहिए. कानून कभी अंधा नहीं होता. वो सबको समान रूप से देखता है. इसलिए CJI का मानना है कि न्याय की देवी का स्वरूप बदला जाना चाहिए. साथ ही देवी के एक हाथ में तलवार नहीं, बल्कि संविधान होना चाहिए; जिससे समाज में ये संदेश जाए कि वो संविधान के अनुसार न्याय करती हैं.