Friday, November 22, 2024

हेमंत सोरेन पर राजभवन के फैसले में देरी क्यों?

झारखंड में चल रहे सियासी संकट के बीच मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने लगातार दूसरे दिन यूपीए विधायकों की बैठक बुलाई है. बैठक सीएम आवास पर बुलाई गई है. राज्यपाल उनके भविष्य पर कभी भी फैसला दे सकते हैं. ऐसे हालात में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपने और सहियोगी दलों के विधायकों को एकजुट रखने और सरकार बचाने की कोशिश में लगे हुए हैं. इसी कड़ी में शनिवार को तीसरी बार सीएम आवास पर यूपीए विधायकों की बैठक बुलाई गई है. इससे पहले शुक्रवार को सुबह 11 बजे और शाम सात बजे विधायकों की बैठक बुलाई गई थी. ख़बर हे कि जो विधायक अभी मुख्यमंत्री आवास पहुंच रहे है वो साथ में अपना सामान लेकर आए है ओर बैठक के बाद उन्हें छत्तीसगढ़ ले जाने की तैयारी की जा रही है ताकी तोड़-फोड़ की किसी भी कोशिश से उन्हें बचाया जा सकें. वैसे इस ख़बर का जेएमएम विधायक सरफराज अहमद ने खंडन किया है उन्होंने कहा है कि बैठक में किसी तरह का कोई फैसला नहीं हुआ है. जबतक राजभवन की तरफ से रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की जाती, तबतक हम स्थिति पर नजर रखेंगे. विधायक नलिन सोरेन ने कहा कि विधायकों के छत्तीसगढ़ जाने की बात केवल अफवाह हैं. हमारे पास 50 विधायकों का समर्थन हैं. सरकार पूरी तरह से स्थिर है. विधायक स्टीफन मरांडी ने कहा कि राजभवन से अभी तक कोई निर्णय नहीं आया है. ऐसे में सीएम का चेहरा बदलेगा या कौन मुख्यमंत्री बनेंगे इस पर कोई फैसला नहीं हुआ है.
राज्यपाल के फैसले में देरी क्यों
गुरुवार राज्यपाल रमेश बैस के दिल्ली से रांची पहुंचने के बाद से सारी नजरे राजभवन पर टिकी हैं. दो दिन से ये कहा जा रहा है कि राज्यपाल किसी भी वक्त फैसला सुना सकते है. सवाल ये है कि आखिर फैसला सुनाने में देर क्यों हो रही है? तो सूत्र ये बता रहे है कि चुनाव आयोग ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता रद्द करने की सिफारिश की है लेकिन उन्हें चुनाव लड़ने से डिबार करने या नहीं करने का फैसला राज्यपाल पर छोड़ दिया है. खबर ये है कि राजभवन अब ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में अलग-अलग राज्यों के हाईकोर्ट के फैसले और सुप्रीम कोर्ट के फैसलों को खंगाल रहा है ताकि ये निश्चित किया जा सकें की अगर वो मुख्यमंत्री को चुनाव लड़ने के लिए अयोग्य करार देता है तो हेमंत सोरेन आसानी से अदालत में उनके फैसले के खिलाफ राहत हासिल नहीं कर पाए.
क्या है पूरा मामला जिसमें जा सकती है हेमंत सोरेन की सदस्यता
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन पर रांची के अनगड़ा में पत्थर खनन लीज की एक खदान अपने नाम करने का आरोप है. इस मामले में बीजेपी नेताओं ने सोरेन पर जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 का उल्लंघन का आरोप लगाते हुए उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द करने की मांग राज्यपाल से की थी. बीजेपी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास समेत अन्य बीजेपी नेताओं की ओर से यह तर्क दिया जा रहा है कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को भारत के संविधान के अनुच्देद 191 (ई) के साथ-साथ जन प्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा 9 (ए) के तहत पत्थर खनन का पट्टा प्राप्त करने के लिए अयोग्य किया जाना चाहिए. बीजेपी नेताओं की इस शिकायत के बाद राज्यपाल ने संविधान के अनुच्छेद 192 के तहत चुनाव आयोग से परामर्श मांगा था.

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