Supreme Court : सुप्रीम कोर्ट ने संविधान की प्रस्तवना में लिखे जोड़े गये दो शब्द ‘समाजवादी’ और ‘धर्मनिरपेक्ष को लेकर बड़ा फैसला सुनाया है. कोर्ट ने 1976 में किये गये संविधान संशोघन के दौरान जोड़े गये “समाजवादी” और “धर्मनिरपेक्ष” शब्दों को प्रस्तावना से हटाने के लिए डाली गई याचिका को खारिज कर दिया है. कोर्ट में याचिका पूर्व राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी और अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने दाखिल किया था.
Supreme Court ने सुनवाई के दौरान क्या कहा ?
सीजेआई संजीव खन्ना ने कहा कि इन याचिकाओं पर विस्तृत सुनवाई की जरूरत नहीं है. 1976 में संविधान में संशोधन कर सोशलिस्ट और सेकुलर शब्दों को शामिल किया गया था. अगर इन याचिकाओं को स्वीकार किया गया तो ऐसे में यह सभी संशोधनों पर लागू होगा.
1976 में इंदिरा गांधी की सरकार के समय संविधान में 42वां संशोधन हुआ. ये पहला मौका था जब संविधान की प्रस्तावना में बदलाव हुआ और दो नये शब्द जोड़े गये. इनके पीछे तर्क था कि इन्हें जोड़ने से देश को धार्मिक, सामाजिक और आर्थिक तौर पर विकसित करने में मदद मिलेगी.
1976 में हुआ 42वां संशोधन रहा विवादित
पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के कार्यकाल में जून 1975 से लेकर मार्च 1977 तक कई संविधान संशोधन हुए. दिसंबर 1976 में सबसे बड़ा संशोधन करते हुए संविधान की प्रस्तावना में बदलाव किया गया और कुछ शब्द जोडे गये. इंदिरा गांधी सरकार का ये संशोधन सबसे विवादित माना जाता है. संविधान में इतने बदलाव हुए कि 1996 के बदलाव के बाद इसे अलग से ‘मिनी कॉन्स्टीट्यूशन’ तक कहा गया.
42वें संशोधन की महत्वपूर्ण बातें
1976 में हुए 42वें संशोधन की सबसे महत्वपूर्ण बात ये थी कि इसके अंदर ये प्रावधान किया गया था कि किसी भी आधार पर संसद के फैसले को कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकती थी. इसके अलावा सांसदों और विधायकों की सदस्यता को भी कोर्ट में चैलेंज नहीं कर सकते थे. संसद के कार्यकाल को भी 5 साल से बढ़ाकर 6 साल का कर दिया गया था.