नफरती भाषणों को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर कड़ा रुख अख्तियार किया है. शीर्ष अदालत ने बुधवार को महाराष्ट्र सरकार को नोटिस जारी कर अवमानना के मामले में जवाब तलब किया है. कोर्ट ने ये नोटिस महाराष्ट्र सरकार के खिलाफ अदालत की अवमानना के मामले में दायर एक याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया. कोर्ट अब इस मामले की सुनवाई 28 अप्रैल को करेगा.
किसने डाली याचिका
इस मामले में केरल के रहनेवाले शाहीन अब्दुल्ला ने याचिका डाली थी. याचिकाकर्ता का कहना है कि मीडिया रिपोर्ट के मुताबित, “ महाराष्ट्र में कम से कम 50 रैलियां पिछले 4 महीने में आयोजित की गई है, जिसमें नफरती भाषण दिए जाने की बात सामने आई है. “
कोर्ट ने हिंदू समाज की याचिका भी स्वीकार की
हलांकि कोर्ट ने इस मामले में हिंदू समाज की ओर से दायर याचिका को भी मंजूर कर लिया जिसमें कहा गया था कि दूसरे समाज की ओर से हिंदू समाज के खिलाफ भी नफरती भाषण दिए गए है.
जस्टिस जोसेफ ने कहा महाशक्ति बनने कानून का राज ज़रुरी
सुनवाई के दौरान जस्टिस केएम जोसेफ ने हिंदू समाज के वकील से कहा कि, ”सबसे जरूरी होता है इज्जत…कुछ ऐसे बयान दिए जाते है कि पाकिस्तान चले जाओ. असल में ये वो लोग हैं जिन्होंने इस देश को चुना है. वो आपके भाई-बहन हैं.”
“हम सभी को एक विरासत सौंपी गई है, सहिष्णुता क्या है? किसी का साथ सहन करना सहिष्णुता नहीं है, बल्कि सहिष्णुता का मतलब है अंतर को स्वीकार करना है”- जस्टिस जोसेफ
“यदि आप महाशक्ति बनना चाहते हैं तो उसके कानून का शासन होना होगा.”- जस्टिस जोसेफ
जस्टिस नागरत्ना ने भी नफरती भाषणों पर नाराज़गी जताई
जस्टिस रत्ना ने नफरती भाषणों पर नाराज़गी जताते हुए कहा कि, “सभी पक्ष इस तरह के भाषण दे रहे है है क्या अब हम सभी भारतीयों के खिलाफ मानहानी की सुनवाई करें.”
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