संसद भवन के उद्घाटन को लेकर दायर PIL सुप्रीम कोर्ट (SUPREME COURT) में खारिज हो गई है. SUPREME COURT में दाखिल PIL में मांग की गई थी कि नई संसद भवन के उद्घाटन का अधिकार देश के राष्ट्रपति को है. 28 मई को देश की नई संसद भवन का उद्घाटन कार्यक्रम है जिसे लेकर काफी विरोध चल रहा है. देश की 21 विपक्षी पार्टियों ने इस उद्घाटन समारोह का वायकॉट करने का निर्णय लिया है.
विपक्ष का कहना है कि देश की प्रथम नागरिक राष्ट्रपति हैं तो लोकतंत्र के प्रतीक संसद भवन के उद्घाटन का अधिकार राष्ट्रपति को मिलना चाहिये. संसद भवन का उद्घाटन राष्ट्रपति से ना कराना संविधान का उल्लंघन है. इसी तर्क के साथ सुप्रीम कोर्ट (SUPREME COURT) की वकील सीआर जयासुकीन ने जनहित याचिका दाखिल की थी. जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया .
Supreme Court declines the PIL seeking a direction that the new Parliament building should be inaugurated by President Droupadi Murmu on 28th May. https://t.co/Cu8Z35TRza
— ANI (@ANI) May 26, 2023
याचिकाकर्ता ने अपने पक्ष में बहस करते हुए कहा कि राष्ट्रपति का पद संवैधानिक पद है, प्रमुख पद है. संसद का कार्यकारी प्रमुख (प्रधानमंत्री) संसद का हिस्सा होते हैं वहीं संवैधानिक प्रमुख (राष्ट्रपति) संसद का हिस्सा होते हैं. याचिकातर्ता की तरफ से अपनी दलील दे लेने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये ऐसा मामला नहीं है कि इसमें हम दखल दें. सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि क्यों ना ऐसी याचिका दाखिल करने पर याचिकाकर्ता के खिलाफ जुर्माना लगाया जाये.
सुप्रीम कोर्ट की फटका के बाद याचिकाकर्ता ने अदालत से अपनी याचिका वापस लेने की इजाजत मांगी, इस पर सालिसिटर जनरल की तरफ से कहा गया कि अगर इन्हें याचिका वापस लेने की इजाजत दे गई तो ये हाइकोर्ट चले जायेंगे. सालिसीटर जनरल के इस आशंका का समाधान करते हुए कोर्ट ने याचिकाकर्ता से पूछा कि आप हाइ कोर्ट जायेंगे? इस पर याचिकाकर्ता की तरफ से कहा गया कि नही वो अब हाइकोर्ट नहीं जायेंगे.इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता का अपनी याचिका वापस लेने की इजाजत दे दी.