Saturday, July 5, 2025

शोएब मलिक के ‘घर’ तक पहुंची भारत की सर्जिकल स्ट्राइक, 9 ठिकानों पर स्ट्राइक पर हुई बड़ी कार्रवाई

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Shoaib Malik: पाकिस्तान क्रिकेट में शोएब मलिक केस नाम से आप अंजान नहीं होंगे. पूरे पाकिस्तान में T20 का इनसे बड़ा रिकॉर्डधारी बल्लेबाज नहीं हुआ. लेकिन भारतीय वायुसेना ने जब पाकिस्तान और PoK पर एयरस्ट्राइक किया तो एक हमला शोएब मलिक जहां से आते हैं, वहां पर भी हुआ. इंडियन एयरफोर्स ने 7 मई को किए एयरस्ट्राइक में 9 आतंकी ठिकानों को PoK में निशाना बनाया, जिनमें बहावलपुर, मुरीदके, गुलपुर, भींबर, चक अमरू, बाघ, कोटली, सियालकोट और मुजफ्फराबाद के नाम शामिल रहे. इन 9 जगहों में शोएब मलिक का घर सियालकोट में आता है.

सियालकोट में शोएब मलिक का पैृतक घर
पाकिस्तानी क्रिकेटर शोएब मलिक का जन्म साल 1982 में सियालकोट के एक पंजाबी राजपूत मिडिल क्लास परिवार में हुआ था. उनके पिता मलिक फकीर हुसैन वहां एक जूते की छोटी सी दुकान चलाते हैं. उसी दुकान की कमाई से पिता ने बेटे के क्रिकेटर बनने का सपना साकार किया. 2006 में शोएब मलिक के पिता की कैंसर से मौत हो गई. पाकिस्तान क्रिकेट में जब नेम और फेम मिला और वो टीम के रेग्यूलर मेंबर बन गए तो उन्होंने भी सियालकोट छोड़ कराची में घर बना लिया.

सियालकोट पर एयर-स्ट्राइक की वजह
हालांकि शोएब मलिक कहीं भी जाकर बस जाएं, उनका पैतृक घर सियालकोट में ही रहेगा. फिलहाल, सियालकोट शोएब मलिक के चलते नहीं. भारतीय वायु सेना के जांबाजों का निशाना बनने के चलते चर्चा में है. अब सवाल है कि भारतीय वायुसेना ने सियालकोट पर स्ट्राइक क्यों किया?

पहलगाम का बदला लिया गया
सबसे पहले तो ये जान लें कि भारत ने जिन 9 जगहों के आतंकी ठिकानों पर हमले किए, वो उसकी पहलगाम हमले के बदले के तौर पर जवाबी कार्रवाई थी. कश्मीर के पहलगाम में आतंकियों ने उन 28 बेगुनाह लोगों को मौत के घाट उतार दिया था, जो वहां घूमने गए थे. हैवानियत भरी उस घटना के 15 दिन बाद भारत ने जवाब दिया. उसने पहलगाम का बदला लिया.

सियालकोट पर हमले की ये रही वजह
ऐसी खबर है कि भारत को अपने खूफिया सूत्रों से सियालकोट में हिजबुल मुजाहिदीन के ट्रेनिंग सेंटर होने का पता चला था. अंतर्राष्ट्रीय बॉर्डर से 12 से 18 किलोमीटर अंदर यहां बना मेहमूना ट्रेनिंग सेंटर कम सुर्खियों में रहने वाले था, मगर बड़ा घातक था. यहां पर लोकल कश्मिरियों की भर्ती कर उन्हें ट्रेनिंग दी जाती थी. जम्मू-कश्मीर के कठुआ में आतंकी गतिविधियों को अंजाम यहीं से दिया जाता था. पठानकोट में हुए हमले की साजिश भी यहीं से रची गई थी.

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