लखनऊ: उत्तर प्रदेश में हालही में हुए निकाय चुनाव में फिर एक बार योगी का जादू दिखा. ऐसे में ये जीत जहां एक तरफ बीजेपी के लिए बूस्टर डोस का काम करेगी. तो वहीं दूसरी तरफ सपा के अखिलेश यादव समेत मायावती और बाकी के विपक्षी नेताओं के लिए चिंता बढ़ाने का काम करेगी. ऐसे में संख्या बल नहीं पर फिर भी एमएलसी चुनाव में सपा ने उतरने का फैसला किया है. दोनों खाली सीटों पर पार्टी के उम्मीदवारों की तरफ से परचा भरा जाना था. जिसके जरिये सपा बीजेपी को मुकाबले का सन्देश देना चाहती है. ऐसे में निर्विरोध होने की ओर बढ़ रहे एमएलसी की 2 सीटों के उपचुनाव मैं सपा ने परचा भरकर बीजेपी को बड़ा झटका जरूर दिया है.
क्या है मामला?
दरअसल सपा ने भाजपा के लिए नतीजों का इंतजार और बढ़ाने का फैसला किया है. जिसमें सूत्रों का कहना है कि अखिलेश चुनावी रण में दलित और अति पिछड़ा प्रत्याशी को उतारने की तैयारी में हैं. जिन्हे उतरने का फैसला लिया गया उनके नाम लोहिया वाहिनी के निवर्तमान अध्यक्ष रामकरण निर्मल और राम रतन राजभर. इन दोनों के ज़रिये सपा एमएलसी चुनाव लड़ेगी.
बता दें विधानसभा में भाजपा गठबंधन के 274, सपा गठबंधन के 118 सदस्य हैं. जबकि, सुभासपा के 6, बसपा के एक, कांग्रेस और जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के दो-दो सदस्य और आरएलडी के 9 सदस्य हैं. इस चुनाव में यह भी दिलचस्प होगा कि सुभासपा, बसपा और कांग्रेस का क्या रुख रहता है, क्योंकि ये दल अपने प्रत्याशी उतारने की स्थिति में नहीं हैं. दोनो ही प्रत्याशी के लिए अलग अलग 403 विधायक वोट करेंगे। इस चुनाव में सभी विधानसभा सदस्य मतदान करेंगे. भाजपा और सपा के प्रत्याशी उतारने पर प्रत्येक सीट पर दो प्रत्याशी हो जाएंगे, जबकि प्रत्येक सीट के लिए विधानसभा के सभी 403 सदस्य मतदान करने के अधिकारी होंगे। यानी, एक सीट पर दो प्रत्याशी और 403 मतदाता होंगे। चुनाव का परिणाम दिलचस्प होने वाला है.