उत्तरकाशी जिला प्रशासन के प्रस्तावित महापंचायत की अनुमति देने से इनकार करने के बाद उसे रद्द कर दिया गया है. प्रशासन ने इलाके में धारा 144 सीआरपीसी लगाई गई है. लव जिहाद के कथित मामलों को लेकर हिंदु संगठनों ने पुरोला में ये महापंचायत बुलाई थी.
इंस्पेक्टर संतोष कुमार ने कहा कि, “यह व्यापारियों का अपना विचार है उन्होंने बाजार बंद किया है. प्रशासन द्वारा धारा 144 लगाई गई उसका पालन किया जा रहा है. पुलिस पार्टी इलाके पर नज़र रखी हुई है. पुलिस से स्थानीय लोगों द्वारा समर्थन मिल रहा है. धारा 144 के उल्लघंन की खबर नहीं है.”
उत्तराखंड: उत्तरकाशी जिले के पुरोला में जिला प्रशासन द्वारा धारा 144 सीआरपीसी लगाई गई है।
लव जिहाद के कथित मामलों को लेकर उत्तरकाशी जिला प्रशासन ने पुरोला में प्रस्तावित महापंचायत की अनुमति देने से इनकार कर दिया है। pic.twitter.com/wd3SNnjH88
— ANI_HindiNews (@AHindinews) June 15, 2023
नौगांव व्यापार मंडल के लोगों को पुलिस ने रोका
वहीं पुरोला जा रहे नौगांव व्यापार मंडल के लोगों को पुलिस ने राजगढ़ी बैरियर पर रोक दिया है. पुलिस का कहना है कि महापंचायत रद्द कर दी गई है और पुरोला में धारा 144 लगा दी गई है, इसलिए भीड़ को पुरोला नहीं जाने दिया जा रहा है.
पुरोला में 19 जून तक लगाई गई धारा 144
उत्तरकाशी के SP अर्पण यधुवंशी ने बताया कि, “पुरोला में शांति-व्यवस्था बनाए रखने के लिए 19 जून तक धारा 144 लागई गई है. शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए बाहर से 2 CO, 1 अपर पुलिस अधीक्षक, 5 इंस्पेक्टर और 3 प्लाटून PAC तैनात है. जनता से क़ानून-व्यवस्था बनाए रखने की अपील करते हैं.”
14 जून (बुधवार) को सुप्रीम कोर्ट ने महापंचायत पर सुनवाई से किया था इनकार
आपको बता दें, 14 जून को, सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में गुरुवार यानी 15 जून को होने वाली ‘महापंचायत’ को रोकने की मांग वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था. उत्तरकाशी में हाल ही में उवेद खान और जितेंद्र सैनी द्वारा एक नाबालिग हिंदू लड़की के अपहरण के मद्देनजर महापंचायत में ‘लव जिहाद और भूमि जिहाद के बढ़ते मामलों’ पर चर्चा होनी थी. कोर्ट ने याचिकाकर्ता को मामले की सुनवाई में अनिच्छा जताते हुए राहत के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने को कहा था.
याचिकाकर्ता के वकील एडवोकेट शाहरुख आलम ने अपना पक्ष रखते हुए कहा था कि, महापंचायत 15 जून के लिए निर्धारित है, उन्होंने दावा किया कि हिंदू समूहों ने स्थानीय मुसलमानों को निर्धारित कार्यक्रम से पहले जगह छोड़ने का अल्टीमेटम दिया है. वकील ने आगे कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने पहले उत्तराखंड सरकार को यह सुनिश्चित करने के लिए एक निर्देशित किया था कि कोई नफरत फैलाने वाला भाषण नहीं दिया जाए.
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