यूपी में एनकाउंटर की गूंज अब सूप्रीम कोर्ट में भी सुनाई देगी. 24 अप्रैल को अतीक और अशरफ हत्याकांड पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा. इस मामले में वकील विशाल तिवारी की याचिका को स्वीकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने 24 अप्रैल की तारीख दी है. याचिका में अतीक और अशरफ हत्याकांड के साथ ही यूपी में 2017 से अब तक हुए 183 एनकाउंटर की जांच की मांग की गई है. याचिकाकर्ता ने कोर्ट ने एक सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज की निगरानी में कमिटी बनाने और इन मामलों की जांच कराने की मांग की है.
शनिवार को हुआ था अतीक और अशरफ हत्याकांड
शनिवार यानी 15 अप्रैल को प्रयागराज में अतीक और अशरफ की हत्या कर दी गई थी. हत्या उस वक्त की गई जब माफिया डॉन अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ धूमनगंज में कॉल्विन अस्पताल के बाहर रूटीन हेल्थचेकअप करा कर लौट रहे थे. तभी पत्रकार के वेश में आये थे हमलावरों ने 36 राउंड गोलियां चली . अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की मौके पर ही मौत हो गई. ये हमला तब किया गया जब अतीक अहमद और उसका भाई मीडिया के सामने अपनी बात करने जा रहे थे.
13 अप्रैल को झांसी में असद का हुआ था एनकाउंटर
गुरुवार को अतीक अहमद के बेटा असद अहमद को उसके एक सहयोगी गुलाम मोहम्मद के साथ यूपी एसटीएफ ने झांसी में मारा गिराया था. यूपी पुलिस की इस कामयाबी पर मुख्यमंत्री से लेकर बीजेपी केंद्रीय नेतृत्व तक ने तारीफ की. माहौल ऐसा बना कि लोग मौत का जश्न मनाने लगे. कहा गया कि योगी ने माफिया को मिट्टी में मिला दिया लेकिन दो दिन बाद ही एनकाउंटर पर सवाल भी उठने लगे थे.
विधानसभा में सीएम योगी ने कही थी माफिया को मिट्टी में मिलाने की बात
तो आपको बता दें 24 फरवरी को विधायक राजूपाल हत्या मामले में मुख्य गवाह उमेश पाल की प्रयागराज में उसके घर के बाहर गोली मार कर हत्या कर दी गई थी. उस वक्त विधानसभा सत्र चालू था. जब विपक्ष ने मुख्यमंत्री को कानून व्यवस्था के मुद्दे पर घेरा तो मुख्यमंत्री ने तेश में आकर कह दिया था कि, “उमेश पाल हत्याकांड में जिम्मेदार माफिया को मिट्टी में मिलाने का काम करेंगे.”
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