SC on pollution: उच्चतम न्यायालय ने वायु और ध्वनि प्रदूषण पर अंकुश लगाने के अपने निर्देशों के उल्लंघन पर राजस्थान के अधिकारियों को अवमानना नोटिस जारी किया है. कोर्ट ने उदयपुर की झीलों के आसपास जले हुए पटाखों के बारे में चार सप्ताह के भीतर जवाब मांगा है.
उदयपुर निवासी भाग्यश्री पंचोली ने वायु और ध्वनि प्रदूषण को कम करने के लिए अदालत के 7 नवंबर, 2023 के निर्देश का पालन करने में राज्य की विफलता को लेकर अवमानना याचिका दायर की है.
SC on pollution: कोर्ट ने समाप्त की कथित अवमाननाकर्ताओं की उपस्थिति
न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश और न्यायमूर्ति एन कोटिश्वर सिंह की पीठ ने पिछले सोमवार को अतिरिक्त मुख्य सचिव (पर्यावरण) अपर्णा अरोड़ा, उदयपुर के जिला कलेक्टर अरविंद पोसवाल, पुलिस अधीक्षक योगेश गोयल और राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी शरद सक्सेना को नोटिस जारी किए. पीठ ने कहा, “कथित अवमाननाकर्ताओं की उपस्थिति समाप्त की जाती है.”
राजस्थान को कोर्ट ने दिए थे विशेष निर्देश
पंचोली ने 2015 में पटाखों पर प्रतिबंध लगाने की मांग वाली एक जनहित याचिका में आवेदन दायर किया था. अदालत ने दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में पटाखों के उपयोग, निर्माण और भंडारण पर प्रतिबंध लगाने के आदेश पारित किए हैं. 7 नवंबर, 2023 को, अदालत ने विशेष रूप से राजस्थान को निर्देश जारी करते हुए राज्य से कहा कि वह “न केवल त्योहारों के मौसम के दौरान बल्कि उसके बाद भी वायु या ध्वनि प्रदूषण को कम करने के लिए सभी कदम उठाए.”
पंचोली ने अधिवक्ता पूजा धर के माध्यम से दायर आवेदन में स्पष्ट निर्देशों के बावजूद न्यायालय के आदेशों को लागू करने में अधिकारियों की विफलता को उजागर किया. इसमें 8 जनवरी के एक समाचार लेख का हवाला दिया गया जिसमें उदयपुर की झीलों के आसपास पटाखे पड़े हुए दिखाए गए थे.
याचिका में लगाए क्या आरोप
पंचोली ने न्यायालय के आदेश के उल्लंघन के बारे में उदयपुर में जिला अधिकारियों को किए गए संचार का हवाला दिया. “कथित अवमाननाकर्ताओं की अवमाननापूर्ण कार्रवाइयों ने न केवल सार्वजनिक स्वास्थ्य और उदयपुर के नाजुक पारिस्थितिकी तंत्र को खतरे में डाला है, बल्कि इस न्यायालय की गरिमा और अधिकार को भी कमजोर किया है.” आवेदन में कहा गया है कि आवेदन में नामित अवमाननाकर्ता अपनी जानबूझकर अवज्ञा और अवमाननापूर्ण कृत्यों के लिए उत्तरदायी हैं.
अक्टूबर 2018 में, न्यायालय ने प्रमुख शहरों में बिगड़ते वायु प्रदूषण को देखते हुए सभी पारंपरिक पटाखों के उत्पादन पर रोक लगा दी थी. न्यायालय ने केवल ग्रीन पटाखे और बेहतर पटाखे (कम उत्सर्जन वाले) की अनुमति दी थी.
पिछले वर्ष सितम्बर में न्यायालय ने उन्नत पटाखों के निर्माण में ऑक्सीडाइजर के रूप में बेरियम नाइट्रेट के उपयोग की अनुमति देने से इनकार कर दिया था, क्योंकि इससे श्वास संबंधी समस्याएं होती हैं.
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