सोमवार को एक अहम केस में सर्वोच्च न्यायालय ने चुनावों आयोग को नोटिस SC notice to ECI जारी किया है. कोर्ट ने वोटर-वेरिफिएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (वीवीपीएटी) पर्चियों की गहन गिनती की मांग करने वाली याचिका पर भारतीय चुनाव आयोग (ईसीआई) को नोटिस जारी किया.
क्या अभी नहीं होता वीवीपीएटी का मिलान
तो आपको बता दें फिलहाल, वीवीपीएटी सत्यापन केवल प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में रेंडम चुनी गई 5 इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) में दर्ज वोटों का ही किया जाता है.
यचिका में क्या की गई है मांग
जबकि सुप्रीम कोर्ट में दर्ज याचिका में याचिकाकर्ता ने प्रार्थना की है कि प्रत्येक ईवीएम वोट का मिलान वीवीपैट पर्चियों से किया जाए.
इसके साथ ही याचिका में मांग की गई है कि सुप्रीम कोर्ट चुनाव आयोग को निर्देश दे कि वो मतदाताओं को ईवीएम में वोट देने पर निकलने वाली वीवीपैट पर्ची को अपने हाथ से मतपेटी में डाल सकें ताकि यह सुनिश्चित हो पाए की मतदाता का मत ‘रिकॉर्ड के रूप में गिना गया है’ और उसी उम्मीदवार को गया है जिसे उसने चुना है.
साथ टैग किए गए वीवीपैट और ईवीएम से जुड़े मामले
सुप्रीम के दो जजों की बैंच जिसमें न्यायमूर्ति बीआर गवई और न्यायमूर्ति संदीप मेहता शामिल है ने वीवीपैठ और ईवीएम से संबंधित अन्य लंबित मामलों को साथ टैग करते हुए ईसीआई को नोटिस जारी किया है.
5-6 घंटे के भीतर पूरा वीवीपैट सत्यापन किया जा सकता है
इस मामले में याचिका दायर करने वाले वकील और कार्यकर्ता अरुण कुमार अग्रवाल ने चुनाव आयोग के उन दिशानिर्देश को भी चुनौती दी है. जिसमें वीवीपैट सत्यापन को एक के बाद एक करने के आदेश दिए गए है जिससे बिना वजह देरी होती है.
याचिका का तर्क है कि वीवीपैठ का एक साथ सत्यापन करने और प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में गिनती के लिए अतिरिक्त अधिकारियों को तैनात करने से 5-6 घंटे के भीतर पूरा वीवीपैट सत्यापन किया जा सकता है.
वीवीपैट और ईवीएम वोट के मिलान की पाई गई गड़बड़ियों पर भी उठाए सवाल
याचिका का तर्क है कि जब सरकार ने लगभग 24 लाख वीवीपैट की खरीद पर लगभग ₹5,000 करोड़ खर्च किया है तो सिर्फ लगभग 20,000 वीवीपैट की पर्चियों का सत्यापन ही क्यों किया जाता है.
याचिकाकर्ता ने कोर्ट का ध्यान वीवीपैट और ईवीएम के बारे में विशेषज्ञों के उठाए गए कई सवालों और चिंताओं की और दिलाया. साथ ही याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि अतीत में ईवीएम और वीवीपैट वोटों की गिनती के बीच बड़ी संख्या में विसंगतियां बताई गई हैं, इसलिए यह जरूरी है कि सभी वीवीपैट पर्चियों की सावधानीपूर्वक गिनती की जाए.
पहले भी कई बार डाली गई है वीवीपैठ और ईवीएम के वोट के मिलान की याचिका
ईवीएम के साथ वीवीपैट पर्चियों का मिलान हमेशा से विवाद का विषय रहा है. लोकसभा चुनावों 2019 से पहले, लगभग 21 विपक्षी राजनीतिक दलों के नेताओं ने सभी ईवीएम के कम से कम 50 प्रतिशत वीवीपीएटी सत्यापन की मांग की करते हुए सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था.
उस वक्त ईसीआई प्रति विधानसभा सिर्फ एक ईवीएम और एक रेंडम चुनी गई वीवीपीएटी से मिलान करता था. कोर्ट ने इस मामले में मिलान के लिए प्रति विधानसभा वीवीपीएटी की संख्या 1 से बड़ा कर पांच कर दी थी और याचिका का निपटारा कर दिया था.
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