दिल्ली :पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले सुप्रीम कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया है. सुप्रीम कोर्ट ने जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मध्यप्रदेश , राजस्थान, केंद्र सरकार और चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया है.
Freebies के ऐलान पर Supreme Court का नोटिस
सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी रैलियों और कार्यक्रमों में मुफ्त का ऐलान करने वाली घोषणाएं करने के मामले में राज्यों और संस्थाओं को नोटिस जारी किया है. सुप्रीम कोर्ट में मुफ्त की रेवड़ी बांटने की घोषणाओं के मामले में कई जनहित याचिका दायर हैं, जिसपर चीफ जस्टिस की अदालत ने सुनवाई की और दो राज्यों, केंद्र सरकार और चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया.सभी पक्षों से 4 हफ्ते के भीतर जवाब देने के लिए कहा गया है.
सभी जनहित याचिकाओं पर एक साथ सुनवाई
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में राजनीतिक पार्टियों द्वारा फ्रीबीज देने को लेकर जितनी जनहित याचिकाएं हैं, इन्हें सुप्रीम कोर्ट ने एक साथ जोड़ दिया है. अब सभी याचिकाओं पर सुनवाई एकसाथ होगी.
2022 में सुप्रीम कोर्ट में फ्रीबी के खिलाफ दाखिल हुई थी याचिका
फ्रीबीज के मामले में सुप्रीम कोर्ट के वकील और बीजेपी नेता अश्विनी उपाध्याय ने सुप्रीम कोर्ट में 2022 में एक याचिका डाली थी, जिसमें कहा था कि जिस तरह से राजनीतिक पार्टियां मुफ्त की रेवड़ियों की घोषणायें कर रही हैं उससे देश ‘भविष्य की आर्थिक आपदा’ की ओर अग्रसर हो जायेगा. अश्विनी उपाध्याय ने अपनी याचिका पर ऐसी घोषणाओं पर रोक लगाने और ऐसी घोषणाएं करने वाली पार्टियों की मान्यता रद्द करने की मांग की थी.
फ्रीबीज को लेकर अब तक सुप्रीम कोर्ट का रुख?
2022 में इस मामले के लेकर जारी याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने तीन सदस्यीय टीम बनाई, जिसमें पूर्व चीफ जस्टिस एनवी रमणा और जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस जेके महेश्वरी शामिल थे. पिछले एक साल इस मामले में कई सुनवाई हुई.
3 अगस्त 2022 के हुई सुनवाई में शीर्ष आदालत ने कहा कि मुफ्त योजनाओं (freebies) के मामले में फैसले के लिए समिति का गठन किया जाना चाहिये. इस समिति में केंद्र सरकार, राज्य सरकारें , फाइनेंस कमीशन, नीति आयोग, RBI, चुनाव आयोग, CAG और राजनीतिक पार्टियां को शामिल किया जाना चाहिये.
फिर 11 अगस्त 2022 को सुनवाई हुई, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ‘गरीबों का पेट भरने की जरूरत है लेकिन उनकी भलाई के लिए कामों को संतुलित रखने की जरूरत है. फ्रीबीज की वजह से अर्थव्यवस्था पैसे गंवा रही है. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि फ्रीबीज और वेलफेयर के बीच अंतर है.
अगली सुनवाई 17 अगस्त 2022 को हुई इसमें कोर्ट ने कहा कि ‘कुछ लोग कहते हैं कि राजनीतिक पार्टियों को जनता से वादे करने से रोका नहीं जा सकता…अब ये तय करना होगा कि freebies क्या है, क्या सबके लिए हेल्थकेयर, ड्रिंकिंग वाटर, मनरेगा जैसी स्कीम जो जीवन को बेहतर बनाती हैं, क्या उन्हें freebies माना जा सकता है?’ सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले के संबंधित सभी पक्षों को अपनी राय देने के लिए कहा.
23 अगस्त 2022 की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि सरकार इस मामले में सर्वदलीय बैठक क्यों नहीं बुलाती है. कोर्ट ने कहा कि इस मामले में सब कुछ राजनीतिक दलों को ही तय करना है.
26 अगस्त 2022 को चीफ जस्टिस एनवी रमना ने इस मामले को नई बेंच को भेज दिया. मामले को नई बेंच को रेफर करते हुए जस्टिस रमणा ने कहा था कि मामला गंभीर है, इस पर विस्तृत सुनवाई की जरुरत है.