लक्ष्मण चंद्रा विक्टोरिया गौरी ने मंगलवार को मद्रास उच्च न्यायालय के अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में शपथ ली, सुप्रीम कोर्ट के अल्पसंख्यकों के खिलाफ उनके कथित घृणास्पद भाषण पर उनकी नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज करने से कुछ मिनट पहले गौरी ने अपने संबोधन में कहा कि वह संविधान के निर्माताओं के सपनों को साकार करने की दिशा में न्याय प्रदान करेंगी. लक्ष्मण चंद्रा विक्टोरिया गौरी को कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश टी राजा द्वारा अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में शपथ दिलाई गई.
लक्ष्मण चंद्रा विक्टोरिया गौरी को सुबह करीब 10.45 बजे पद की शपथ दिलाई गई, इसी समय दिल्ली में शीर्ष अदालत इस बात पर बहस सुन रही थी कि गौरी को पदोन्नति क्यों नहीं किया जाना चाहिए. इससे पहले ही सुप्रीम कोर्ट ने गौरी को मद्रास उच्च न्यायालय के अतिरिक्त सदस्य के रूप में शपथ लेने से रोकने की मांग वाली याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया. जिसके बाद याचिकाकर्ताओं के करीबी सूत्रों ने कहा कि शीर्ष अदालत के फैसले ने मामले के अंत का संकेत दिया और कानूनी लड़ाई को आगे ले जाने की कोई गुंजाइश नहीं दिखाई दी.
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शपथ लेने के बाद गौरी ने क्या कहा
शपथ लेने के बाद गौरी ने अपने भाषण में, स्वामी विवेकानंद के एक उद्धरण का हवाला दिया और कहा कि वह इस बात से अवगत हैं कि उन्हें ‘न्यायाधीश होने की सबसे बड़ी जिम्मेदारी’ सौंपी गई है ताकि वे ‘गरीब से गरीब लोगों की अनसुनी और दमित आवाज’ के लिए काम कर सकें. हाशिए पर पड़े लोगों को मुक्त करने के लिए, समाज की ‘कुटिल’ असमानताओं को दूर करने के लिए और विविधतापूर्ण देश में भाईचारे का पोषण करने के लिए. “पूरी विनम्रता के साथ, मैं हमारे संविधान के निर्माताओं के सपनों को साकार करने की दिशा में न्याय करने का वचन देता हूं.
गौरी ने कहा कि वह तमिलनाडु के कन्याकुमारी जिले के एक बहुत दूरस्थ गांव (पश्चिम नेयूर) से हैं और एक ‘बहुत ही साधारण परिवार’ से पहली पीढ़ी की वकील हैं. उन्होंने मनीराज और जैकब फ्लेचर सहित अपने सभी वरिष्ठ अधिवक्ताओं को धन्यवाद दिया. वह मदुरै लॉ कॉलेज की पूर्व छात्रा हैं. “मैं सभी बड़े भाई और बहन न्यायाधीशों के महान चरणों को नमन करती हूं जो मंच पर हैं और जो मेरी प्यारी मदुरै बेंच से देख रहे हैं.” उन्होंने बार के सदस्यों का भी धन्यवाद किया और उनका आशीर्वाद मांगा.
इस मामले में याचिकाकर्ता थे- वकील अन्ना मैथ्यू, सुधा रामलिंगम और डी नागासैला हैं जिन्होंने अपनी याचिका में गौरी द्वारा मुस्लिमों और ईसाइयों के खिलाफ दिए गए कथित घृणास्पद भाषणों का जिक्र किया था.
गौरी की पदोन्नति रोकने किसने क्या कहा और किया
गौरी की पदोन्नति का विरोध करने वालों में कांग्रेस नेता पीटर अल्फोंस, एमडीएमके महासचिव वाइको, वामपंथी नेता, वीसीके प्रमुख थोल थिरुमावलवन भी शामिल थे. उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ को गौरी को न्यायाधीश के रूप में नियुक्त करने के खिलाफ पत्र लिखा था. 6 फरवरी को वरिष्ठ वकील एन जी आर प्रसाद के नेतृत्व में वकीलों ने मद्रास उच्च न्यायालय के कार्यवाहक सीजे टी राजा को एक अभ्यावेदन दिया कि जब तक शीर्ष अदालत ने मामले की सुनवाई नहीं की, तब तक गौरी को पद की शपथ नहीं दिलाई जाए. गौरी की पदोन्नति के खिलाफ वकीलों के एक वर्ग ने उच्च न्यायालय परिसर के समीप धरना भी दिया था. कुछ दिनों पहले, अलग-अलग पत्रों में राष्ट्रपति मुर्मू और एससी कॉलेजियम को अधिवक्ताओं के एक समूह ने ज्ञापन भी दिया था. जिसमें कॉलेजियम की सिफारिश पर आपत्ति जताते हुए कहा कि उनकी नियुक्ति न्यायपालिका की स्वतंत्रता को कम कर देगी. ज्ञापन पर वरिष्ठ अधिवक्ता एन जी आर प्रसाद, आर वैगई, अन्ना मैथ्यू, डी नागसैला और सुधा रामलिंगम सहित 22 वकीलों के हस्ताक्षर थे.इस ज्ञापन में कहा गया है कि गौरी, अपने स्वयं के बारे में बताती है कि, वह भारतीय जनता पार्टी महिला मोर्चा की महासचिव थीं. “हम पूर्वाभास की भावना के साथ लिखते हैं, इन परेशान समय में, जब न्यायपालिका को कार्यपालिका से अभूतपूर्व और अनुचित आलोचना का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि हम आशंकित हैं कि इस तरह की नियुक्तियाँ न्यायपालिका की स्वतंत्रता को कम करने का मार्ग प्रशस्त कर सकती हैं. इस समय यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि संस्थान को अपनी प्रशासनिक कार्रवाई से कमजोर होने से बचाया जाए.”
आपको बता दें मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, जस्टिस संजय किशन कौल और के एम जोसेफ वाले कॉलेजियम ने 17 जनवरी को गौरी और चार अन्य के नामों को उच्च न्यायालय में पदोन्नति के लिए प्रस्तावित किया था. जिन्होंने आज गौरी के साथ शपथ ली.