पटना : राजनीति में उथल-पुथल रविवार को खत्म हो गई. नीतीश कुमार ने नौवीं बार बिहार के सीएम पद की शपथ ली. महागठबंधन से अलग होकर नीतीश ने एक बार फिर एनडीए के साथ मिलकर सरकार बनाई. नीतीश कुमार के साथ सम्राट चौधरी Samrat Chaudhary और विजय कुमार सिन्हा ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ली.
Samrat Chaudhary 7 सालों से बीजेपी के फायरब्रांड
ओबीसी वर्ग से आने वाले सम्राट चौधरी पिछले 7 साल में बीजेपी के फायरब्रांड नेता के तौर पर उभरे हैं. वह बिहार बीजेपी के भी अध्यक्ष हैं. सम्राट चौधरी रविवार को भाजपा विधायक दल के नेता चुने गए. शकुनी चौधरी के बेटे सम्राट चौधरी ने राजद सुप्रीमो की पत्नी राबड़ी देवी के नेतृत्व वाली सरकार में मंत्री के रूप में राजनीतिक करियर की शुरुआत की थी. शकुनी चौधरी सेना में जवान रहने के बाद राजनीति में आए थे.उन्होंने कांग्रेस के सदस्य के रूप में अपनी राजनीति की शुरुआत की थी लेकिन लालू प्रसाद और नीतीश कुमार की पार्टी में कई बार उन्होंने पाला बदला. सम्राट चौधरी 2005 में सत्ता से बेदखल होने के बाद काफी समय तक राजद के साथ रहे.सम्राट चौधरी साल 2014 में एक विद्रोही गुट का हिस्सा बन गए थे. वह जीतन राम मांझी के नेतृत्व वाली जदयू सरकार में शामिल हो गए थे. मांझी ने नीतीश कुमार के पद छोड़ने के बाद कुछ समय के लिए सत्ता संभाली थी.
भाजपा ने कोईरी जाति के नेता के रूप में उनकी क्षमता को पहचाना
सम्राट चौधरी का 3 साल बाद जदयू से मोहभंग हो गया और वह भाजपा में शामिल हो गए. भाजपा ने एक तेजतर्रार वक्ता और कोईरी जाति के बड़े नेता के रूप में उनकी क्षमता को पहचाना.भाजपा ने सम्राट चौधरी को प्रदेश का उपाध्यक्ष बनाया और बाद में उन्हें बिहार विधान परिषद में भेजा. साल 2020 के बिहार विधानसभा चुनाव में राजद की जीत के बाद उन्हें नीतीश कुमार सरकार के मंत्रिमंडल में जगह मिली.सम्राट चौधरी को पिछले साल मार्च में राज्य भाजपा अध्यक्ष नामित किया गया था और उन्होंने लोकसभा सदस्य संजय जायसवाल की जगह ली थी. नीतीश कुमार के मुखर आलोचक माने जाने वाले सम्राट चौधरी ने पिछले साल जदयू सुप्रीमो द्वारा भाजपा का साथ छोड़ने के बाद अपनी सर पर पगड़ी बांध ली थी और कसम खाई थी कि उन्हें मुख्यमंत्री पद से हटाने के बाद ही वह इसे खोलेंगे.