Thursday, February 6, 2025

बिहार विधानसभा बजट सत्र के चौथा दिन भी हंगामा जारी, BJP नेता के खिलाफ कार्रवाई की मांग

बिहार विधानसभा बजट सत्र के चौथे दिन भी बवाल लगातार जारी है. चौथे दिन भी पक्ष विपक्ष के बीच घमासान जारी है. इसी कड़ी में भाकपा माले के नेता विधानसभा के बाहर अपनी मांगों को लेकर हंगामा करते नज़र आये. भाकपा माले के नेताओं के हाथ BJP नेता के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर पोस्टर भी नज़र आये.

सत्र शुरू होने के साथ ही माले के विधायक हाथों में पोस्टर लेकर विधानसभा के बाहर जोरदार हंगामा करते नज़र आये. इतना ही नहीं यह लोग संजय सरावगी के खिलाफ कार्रवाई की मांग करने लगे. इसके बाद जब सदन की कार्रवाई की गई तो माले के विधायकों ने बीजेपी विधायक के खिलाफ नारेबाजी करना शुरू कर दिया. जिसके बाद नेता विरोधी दल ने कहा कि माले के विधायक का बयान पहले सदन की कार्यवाही से हटाया जाए उसके बाद हम लोग इस पर कुछ भी नहीं बोलेंगे.

बिहार विधानसभा बजट सत्र में इन दिनों भाजपा के तरफ से बयानबाजी को लेकर ही हंगामा किया जा रहा है इसके बाद अब महबूब आलम और संजय सरावगी की यह मामला सुर्खियों में बना हुआ है। दोनों एक दूसरे पर कार्रवाई की मांग कर रहे हैं. इसके बाद अब बीजेपी ने साफ कर दिया है कि जब तक भगवान उनकी बातों को सदन की कार्रवाई से बाहर नहीं किया जाएगा तब तक वह लोग शांत नहीं होने वाले हैं.

इस विरोध को लेकर माले विधायक दल के नेता महबूब आलम ने कहा कि, मुझे BJP नेता की तरफ से सदन के अंदर जिन्ना और मीर जाफर का औलाद कहा गया. अब मैं कहता हूं मेरा जिन्ना और मीर जाफर से कोई संबंध नहीं है. अब इसी को लेकर अब हमलोग बीजेपी विधायक के खिलाफ कारवाई की मांग कर रहे हैं. इसके साथ ही हमलोग संजय सरावगी को बर्खास्त किए जाने की मांग कर रहे हैं.

दरअसल, बिहार विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान भाकपा माले विधायक दल के नेता महबूब आलम ओर बीजेपी के नेता बीच जमकर हंगामा हुआ. महबूब आलम के टिपन्नी का जवाब देते हुए बीजेपी विधायक संजय सरावगी ने कहा कि महबूब आलम जिन्ना ओर मीर जाफर की औलाद है. इतना ही नहीं सरावगी ने महबूब आलम पर कार्रवाई किये जाने की मांग सदन से की गई.

इसके बाद सदन की करवाई से बहार आने के बाद एक बार फिर से बीजेपी वाले गोडसे और सावरकर की औलाद है. सावरकर गद्दार था जब हिन्दुस्तान की आजादी के लिए सैकड़ों नौजवान शहीद हो रहे थे. फांसी के तख्ते पर झूल रहे थे. तब सावरकर चिट्ठी के जरिये अंग्रेजी हुकुमत को अपनी वफ़ादारी का सबूत दे रहा था. गोदसे ने महात्मा गांधी की हत्या की थी यह सच है जिसे हर कोई जानता है. बीजेपी वाले गोडसे और सावरकर का हवाला देते हैं और खुद को उनका वारिस मानते हैं.

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