Saturday, July 27, 2024

हिंदूओं और मुसलमानों का डीएनए एक ही है- RSS प्रमुख मोहन भागवत

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत आजकल मुस्लिम धर्मगुरुओं और बुद्धिजीवियों से मुलाकात कर रहे है. गुरुवार को उन्होंने अखिल भारतीय इमाम संगठन के प्रमुख इमाम उमर अहमद इलियासी से मुलाकात की. मुलाकात दिल्ली की एक मस्जिद में हुई. मोहन भागवत इस मुलाकात से पहले दिल्ली के एक मदरसे भी गए थे. वहां उन्होंने बच्चों से बात की थी.

बंद कमरे में एक घंटे हुई बात
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के साथ इमाम संगठन के दफ्तर पहुंचने वालों में संघ के वरिष्ठ पदाधिकारी कृष्ण गोपाल, पूर्व संगठनात्मक सचिव राम लाल और मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के संरक्षक इंद्रेश कुमार थे. कस्तूरबा गांधी मार्ग मस्जिद में अखिल भारतीय इमाम संगठन का कार्यालय है. यहां बंद कमरे में करीब एक घंटे तक ये मुलाकात हुई.
बैठक के बारे में जानकारी देते हुए अहमद इलियासी के भाई सुहैब इलियासी ने कहा, ‘‘यह काफी अच्छी बात है कि भागवत हमारे पिता की पुण्यतिथि पर हमारे निमंत्रण पर आए. इससे देश में अच्छा संदेश भी गया है.’’ आपको बता दें अहमद इलियासी के पिता के भी बीजेपी के साथ बहुत अच्छे संबंध रहे है. अटल बिहारी वाजपेयी के शासनकाल में बने अटल हिमायत मंच के वह प्रमुख लोगों में से एक थे.

मदरसे में बच्चों से पूछे मोहन भागवत ने सवाल
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत गुरुवार सुबह 10 बजे पुरानी दिल्ली के आज़ाद मार्केट में बने मदरसे ताज्वीदुल कुरान भी गए थे. आरएसएस प्रमुख ने यहां मदरसों में पढ़ने वाले बच्चों से मुलाकात की और उनसे सवाल जवाब भी किए.
मदरसे के डायरेक्टर महमूदुल हसन ने समाचार एजेंसी ANI को बताया कि आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत मदरसे में करीब एक घंटा रहे. यहां उन्होंने बच्चों के साथ-साथ टीचरों से भी मुलाकात की. आपको बता दें इस में क़रीब तीन सौ बच्चे पढ़ते हैं.
मदरसे में आरएसएस प्रमुख ने बच्चों से पूछा की उन्हें क्या पढ़ाया जाता है. उन्होंने बच्चों से पूछा, देश में कितने राज्य हैं? देश के उत्तर में कितने राज्य और पश्चिम में कितने राज्य हैं?
संघ प्रमुख ने बच्चों को नसीहत भी दी, उन्होंने कहा कि आप देश का भविष्य हो, आपको पढ़ लिख कर देश के काम आना हैं.

पिछले महीने मुस्लिम बुद्धिजीवियों से मिले थे मोहन भागवत
साम्प्रदायिक सौहार्द्र को मजबूत करने के लिए आरएसएस प्रमुख पिछले महीने 22 अगस्त को दिल्ली में मुस्लिम बुद्धिजीवियों से भी मिले थे. संघ प्रमुख से मिलने वालों में पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त एस. वाई. कुरैशी, दिल्ली के पूर्व उपराज्यपाल नजीब जंग , अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल (रिटायर्ड) जमीरुद्दीन शाह, पूर्व सांसद शाहिद सिद्दकी और उद्योगपति एवं समाजसेवी सईद शेरवानी शामिल थे.
इस मुलाकात में संघ प्रमुख ने हिंदुओं के लिए ‘‘काफिर’’ शब्द के इस्तेमाल पर एतराज़ भी जताया था. जिसके जवाब में मुस्लिम बुद्धिजीवियों उन्हें ‘काफिर’ शब्द के मायने और उसके इस्तेमाल के पीछे का मकसद समझाया था. मुस्लिम बुद्धिजीवियों का कहना था कि कुछ लोग इस शब्द को ‘‘अपशब्द’’ के तौर पर इस्तेमाल कर रहे है जो सही नहीं है. मोहन भागवत ने इसके जवाब में कहा कि वो बुद्धिजीवियों की चिंताओं को समझते हैं. कुछ दक्षिणपंथी संगठनों द्वारा मुसलमानों के लिए ‘‘जिहादी’’ और ‘‘पाकिस्तानी’’ शब्द पर बुद्धिजीवियों की आपत्ति जताने पर भागवत ने कहा कि ‘‘सभी हिंदुओं और मुसलमानों का डीएनए एक ही है.’’

भागवत के मुस्लिम प्रेम से क्यों नाराज़ हैं ओवैसी

भागवत की मुस्लिम बुद्धिजीवियों और इमाम संगठन से मुलाकात से एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी काफी खफा हैं. ओवैसी ने इस खबर को टैग करते हुए एक ट्वीट किया है जिसमें लिखा है

तेरा तन रूह से न आशना है
अजब क्या आ तेरी ना-रस है
तन-ए-बे-रुह से बे-जर है हक
खुदा-ए-जिंदा जिंदाओं का खुदा है

इसके साथ ही उन्होंने इन मुलाकातों को लेकर तीखी प्रतिक्रिया भी दी है. ओवैसी ने कहा, ”हम पर शक क्यों किया जाता है? जो लोग मिलकर आए हैं, उनसे पूछिए कि क्या बात करके आए हैं. आरएसएस की विचारधारा पूरी दुनिया जानती है और आप जाकर उनसे मिलते हैं. ये जो मुस्लिम समुदाय में कथित पढ़ा-लिखा प्रबुद्ध तबका है, जो वो करेंगे वह सच है और हम जो अपनी लड़ाई राजनीतिक हक के लिए और मौलिक अधिकार के लिए लड़ते हैं तो हम बुरे हो जाते हैं.”

ओवैसी ने आगे कहा, ”ये जो तबका है, प्रबुद्ध तबका जो खुद को ज्ञानी समझता है. उनका हकीकत से कोई ताल्लुक नहीं है. जमीन पर क्या हो रहा है, इन्हें मालूम नहीं है. ये आराम से जिंदगी गुजार रहे हैं. ये आरएसएस प्रमुख से मिलते हैं. ये इनका लोकतांत्रिक अधिकार है…हम ज़मीन पर लड़ाई लड़ रहे है, अधिकारों की लड़ाई , मेरा सवाल सिर्फ ये है इनसे की आप मिले पर आपका ये अधिकार नहीं है कि आप मुझसे सवाल करने का.”
वैसे ये कोई नई बात नहीं है. हर लोकसभा चुनावों से पहले आरएसएस बीजेपी की ओर से मुसलमानों के प्रबुद्ध तबके से बात और उन्हें रिझाने की कोशिश होती रहती है.

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