“हिम्मते मर्दा मददे खुदा ” इसका अर्थ है कि जिसमें कुछ कर दिखाने की हिम्मत हो उसकी मदद के लिए खुद खुदा आता है. तब ना तो उसके आगे उम्र कोई सीमा होती है और न ही ये समाज. बस आप में कुछ कर दिखाने का जज़्ब होना चाहिए . तो कुछ ऐसे ही जूनुन से भरे यूपी पुलिस के रिटायर्ड डीएसपी जगदीश सिंह ने फिर एक बार उम्र की सीमा को तोड़ते हुए भारत का नाम पूरी दुनिया में रोशन किया है.
जी हां मूल रूप से मेरठ के रहने वाले जगदीश सिंह ने 60 साल की उम्र में विदेशों में जाकर भारत के नाम के झंडे गाड़े है. उन्होंने नीदरलैंड की राजधानी एम्स्टर्डम में आयोजित विश्व पुलिस एंड फायर गेम्स-2022 के तहत आयोजित 10 किलोमीटर की दौड़ में गोल्ड मेडल हासिल किया है. क्यों है ना गर्व की बात.
बता दें कि लगातार पिछले पांच सालों से रिटायर होने के बाद से जगदीश सिंह भारत के लिए फिट इंडिया के तहत वर्ल्ड पुलिस एंड फायर गेम्स में एथलीट के तौर पर खेल रहे हैं. देश की तरफ से नीदरलैंड में 22 जुलाई से 31 जुलाई तक चलने वाली वर्ल्ड पुलिस एंड फायर गेम्स-2021 में शामिल होने गए हैं. जहां उन्होंने 24 जुलाई को आयोजित 60 साल की उम्र से ज्याद वर्ग की 10 किमी दौड़ में स्वर्ण पदक जीत कर पूरे भारत और उत्तर प्रदेश पुलिस का गौरव बढ़ाया है. यह दौड़ उन्होनें सिर्फ 55 मिनट 19 सेकेंड में पूरी की है.
कोरोना के चलते बीते वर्ष विश्व पुलिस एंड फायर गेम्स-2021 की प्रतियोगिता आयोजित नहीं हो पाई इसलिए इस प्रतियोगिता का आयोजन 2022 में अब नीदरलैंड की राजधानी एम्स्टर्डम के रोटैडम सिटी में चल रहा है. यहां पर उन्होंने 10 किमी की दौड़ में स्वर्ण पदक जीता है. उन्होंने बताया कि हर साल होने वाली इस प्रतियोगिता में इस बार सरकार की ओर से खर्च नहीं उठाया गया है. निजी खर्चे पर देश के 30 एथलीट यहां पहुंचे हैं, जिनमें से वे एक हैं. यही नहीं वह पुलिस की ओर से अपनी श्रेणी की प्रतियोगिता में एकलौते भारतीय एथलीट है.
इसी के साथ जगदीश सिंह का अगला टारगेट 28 जुलाई को होने वाली क्रांस कंट्री दौड़ में गोल्ड जीतने की है. उन्होंने ये भी बताया कि भारत के प्रधानमंत्री की ओर से खेल के बढ़ावा और फिट इंडिया की मुहिम से वो काफी प्रभावित हैं.
जानकारी के लिए बता दें वर्ल्ड पुलिस एंड फायर गेम्स प्रतियोगिता 1984 में शूरू हुई थी और तब से हर दो साल के बाद ये प्रतियोगिता आयोजित की जाती है. जिसमें दुनिया भर के एथलीट शामिल होते हैं. इस प्रतियोगिता को जीतकर जगदीश सिंह ने ये साबित कर दिया कि अगर आप चाहें तो कुछ भी कर सकते हैं. उम्र सिर्फ कुछ नंबरों की गिनती है और कुछ नहीं.