RBI के 6 अप्रैल के फैसले ने चौंकाया है. आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने रेपो रेट नहीं बढ़ाने का ऐलान किया. यह होम और कार लोन लेने वाले ग्राहकों के लिए बहुत अच्छी खबर है. उनकी EMI नहीं बढ़ेगी. यह फैसला इसलिए चौंकाने वाला है, क्योंकि एक्सपर्टस यह बता रहे थे कि केंद्रीय बैंक 6 अप्रैल को इंटरेस्ट रेट में एक चौथाई फीसदी की वृद्धि कर सकता है लेकिन ऐसा नहीं हुआ. इससे रेपो रेट 6.5 फीसदी पर बरकरार है. यह बात ध्यान में रखने वाली है कि लगातार छह बार रेपो रेट बढ़ाने के बाद RBI ने ब्रेक लगाया है.
यह फैसला सिर्फ अप्रैल की मॉनेटरी पॉलिसी के लिए है
शक्तिकांत दास ने मॉनेटरी पॉलिसी में रिटेल इनफ्लेशन को लेकर RBI के अनुमान के बारे में बताया. उन्होंने इंडियन इकोनॉमी की गुलाबी तस्वीर पेश की. यह भी कहा कि जहां इंडिया में इकोनॉमी से जुड़े डेटा काफी पॉजिटिव हैं वहीं ग्लोबल इकोनॉमी की तस्वीर अच्छी नहीं है लेकिन उनकी एक बात पर हमारा ध्यान जाता है. यह बात रेपो रेट में आगे होने वाली बढ़ोतरी को लेकर है.दास ने साफ किया कि यह फैसला सिर्फ अप्रैल की मॉनेटरी पॉलिसी के लिए है.
जरूरत पड़ने पर सख्त निर्णय लिया जा सकता है
दास ने इसके साथ ही भविष्य का संकेत दे दिया. उन्होंने कहा, “मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी आने वाले समय में किसी तरह का एक्शन लेने में नहीं हिचकेगी।” इससे साफ हो जाता है कि RBI ने इंटरेस्ट रेट वृद्धि पर स्थायी ब्रेक नहीं लगाया है. RBI ने यह फैसला इसलिए लिया है, क्योंकि ग्लोबल इकोनॉमी के उलट इंडियन इकोनॉमी की सेहत अच्छी है. इकोनॉमिक ग्रोथ दूसरे देशों के मुकाबले ज्यादा है. जीएसटी कलेक्शन लगातार बढ़ रहा है. सर्विसेज सेक्टर की ग्रोथ बहुत अच्छी है. डॉलर के मुकाबले रुपया काफी गिरने के बाद अब स्थिर हो चुका है.
अमेरिका के अनुभव से सबक
सवाल है कि क्या RBI ने अमेरिका के अनुभव से भी कुछ सबक लिया है? दरअसल अमेरिका में फेडरल रिजर्व अपने जिद्दी रुख पर अड़ा हुआ है. फेडरल रिजर्व ने मार्च के आखिर में तब इंटरेस्ट रेट बढ़ाया, जब अमेरिक में बैंकिंग क्राइसिस चल रही थी. इससे यह माना गया कि फेडरल रिजर्व को सिर्फ महंगाई की चिंता है. अमेरिका में पिछले साल मार्च से इंटरेस्ट रेट में लगातार बढ़ रहा है. इससे अमेरिकी अर्थव्यवस्था की हालत नाजुक हो गई है.
जून तक अमेरिका में मंदी के आसार
अमेरिका में पॉलिसी रेट्स एक साल में जीरो से 5 फीसदी के पार पहुंच गए हैं. इंटरेस्ट रेट में अचानक इतनी ज्यादा वृद्धि इकोनॉमी के लिए घातक है. इसका असर अमेरिकी इकोनॉमी पर दिख रहा है. अमेरिकी इकोनॉमी के मंदी में जाने की चर्चा जोर पकड़ रही है. बताया जा रहा है कि अमेरिकी इकोनॉमी जून तक मंदी में जा सकती है.
लोन लेने वालों को तात्कालिक राहत
इधर, इंडिया में लोन लेने का प्लान बना रहे लोगों को अभी यह नहीं मानना चाहिए कि इंटरेस्ट रेट वृद्धि पर स्थायी ब्रेक लग गया है. दरअसल RBI जरूरत पड़ने पर इंटरेस्ट रेट फिर से बढ़ा सकता है. जून के पहले हफ्ते में अगली मॉनेटरी पॉलिसी आएगी. इसमें RBI रेपो रेट बढ़ाएगा या नहीं, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि अगले दो महीने में इंडियन इकोनॉमी के डेटा कैसा रहते हैं.
बाद में बढ़ सकता है इंटरेस्ट रेट
अगर आप घर खरीदने के लिए होम लोन लेने का प्लान बना रहे हैं तो आपको यह नहीं मानना चाहिए कि आगे इंटरेस्ट रेट बढ़ने नहीं जा रहा है. इसलिए आपको अपनी वित्तीय स्थिति को ध्यान में रख फैसला लेना होगा. पिछले साल मई से पहले रेपो रेट 4 फीसदी था. तब बैंक बहुत कम इंटरेस्ट रेट पर होम और कार लोन दे रहे थे लेकिन सिर्फ एक साल में रेपो रेट 2.5 फीसदी बढ़ गया है. इससे होम लोन की EMI काफी बढ़ गई है. जिन ग्राहकों ने EMI नहीं बढ़ाने की गुजारिश बैंकों से की है, उनकी लोन की अवधि बहुत बढ़ गई है. 20 साल के होम लोन की किस्त की संख्या 240 से बढ़कर 300 तक पहुंच गई है.
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