बॉम्बे हाई कोर्ट ने मंगलवार को पुणे पोर्श कार दुर्घटना Pune Porsche crash मामले में आरोपी किशोर को सुधार गृह से रिहा करने का आदेश दिया है. अदालत ने किशोर को रिहा किए जाने की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा, “हम याचिका को स्वीकार करते हैं और उसकी रिहाई का आदेश देते हैं. कानून से संघर्षरत बच्चा (सीसीएल) याचिकाकर्ता (पैतृक चाची) की देखभाल और हिरासत में रहेगा.”
इसके साथ ही कोर्ट ने किशोर न्याय बोर्ड (जेजेबी) के रिमांड के आदेश को भी अवैध बताया और कहा कि ये जेजेबी के अधिकार क्षेत्र में नहीं था कि वो किशोर को हिरासत में भेजे.
‘किशोर की उम्र पर विचार करने की जरूरत है’: बॉम्बे हाईकोर्ट
कोर्ट ने कहा कि दुर्घटना पर तत्काल प्रतिक्रिया और लोगों के आक्रोश के बीच, अदालत ने कहा, “सीसीएल की उम्र पर विचार नहीं किया गया। सीसीएल 18 वर्ष से कम उम्र का है. उसकी उम्र पर विचार करने की जरूरत है.”
बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा, “सीसीएल पर अलग तरीके से विचार किया जाना चाहिए.”
अदालत ने कहा कि आरोपी पहले से ही पुनर्वास से गुजर रहा है, जो प्राथमिक उद्देश्य है, और वह वर्तमान में एक मनोवैज्ञानिक की देखरेख में है, जो अभ्यास जारी रहेगा.
यह आदेश आरोपी 17 वर्षीय लड़के की चाची की दायर याचिका पर पारित किया गया, जिसमें दावा किया गया था कि लड़के को अवैध रूप से हिरासत में लिया गया है और उसकी तत्काल रिहाई की मांग की गई थी.
किशोर के अलावा उसके पिता और दादा भी हैं गिरफ्तार
आपको बचा दें 19 मई की सुबह एक तेज रफ्तार पोर्शे टायकन ने दो युवा आईटी पेशेवरों की मोटरसाइकिल को टक्कर मार दी थी, इस दुर्घटना में दोनों युवाओं की मौत हो गई. आरोप है कि पोर्शे टायकन कार नाबालिग चला रहा था.
पुलिस का दावा है कि हादसे के वक्त आरोपी किशोर नशे में था. किशोर को शुरू में किशोर न्याय बोर्ड ने जमानत दे दी थी, जिसने उसे सड़क दुर्घटनाओं पर एक निबंध लिखने के लिए भी कहा था, लेकिन पुलिस के नरम व्यवहार और समीक्षा आवेदन पर नाराजगी के बाद, उसे 5 जून तक एक अवलोकन गृह में भेज दिया गया था.
पुणे पुलिस ने दुर्घटना के सिलसिले में किशोर के पिता विशाल अग्रवाल, जो एक रियाल्टार हैं, और उनके दादा सुरेंद्र अग्रवाल को गिरफ्तार किया है.
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