Sunday, February 23, 2025

Prashant Kishor: 2 अक्तूबर को लॉन्च होगी पीके की राजनीतिक पार्टी, पीके का ऑफर-5000 लोग लाओ अध्यक्ष बन जाओ

2025 बिहार विधानसभा चुनावों में चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर Prashant Kishor बड़ा उलटफेर करने की दावा में है. प्रशांत किशोर बिहार में राजनीति की दिशा और दशा दोनों को बदलने की कोशिश में है. जन सुराज अभियान के संस्थापक प्रशांत किशोर 2 अक्तूबर को अपना राजनीतिक दल लॉन्च करने जा रहे है. प्रशांत पहले ही 2025 चुनावों में जीत हासिल कर सरकार बनाने का दावा कर चुके हैं.

Prashant Kishor लॉन्च करने जा रहे है राजनीतिक दल

2 अक्तूबर को पार्टी लॉन्च करने का फैसला पीके ने पटना में अपने जन सुराज संगठन के प्रतिनिधियों के साथ बैठक के बाद लिया. पीके पार्टी लॉन्च से पहले 8 बैठकें करेंगे. इसी की तैयारी के लिए पटना में बैठक हुई जिसमें अधिकार प्राप्त समिति में समस्तीपुर के भूपेंद्र यादव, बेगुसराय के आरएन सिंह, पूर्व आईएएस अफसर सुरेश शर्मा, वकील गणेश राम, चंपारण से मंजर नसीन, भोजपुर से पूर्व आईएएस अरविंद सिंह, मुजफ्फरपुर से स्वर्णलता सहनी शामिल हुई.

प्रशांत किशोर नहीं होंगे अपने दल के अध्यक्ष

इस बैठक में ये भी तय हुआ की पार्टी का अध्यक्ष कौन होगा और उसका चुनाव कैसे किया जाएगा. सबसे चौकाने वाली बात जो सामने आई वो ये थी कि खुद प्रशांत किशोर इस रेस में शामिल नहीं हैं. पीके जो 2 अक्टूबर 2022 से पलायन, शिक्षा, स्वास्थ्य , राजनीति में जातिवाद जैसे मुद्दों को लेकर पूरे बिहार की पदयात्रा कर रहे है. वो अपनी बनाई पार्टी के अध्यक्ष नहीं होंगे. बल्कि उनकी पार्टी का अध्यक्ष वो होगा जो 5000 लोगों को पार्टी से जोड़ने की काबिलीयत रखता हो. इतना ही नहीं पार्टी के अध्यक्ष पर दे लिए आवेदन देने की कुछ और शर्तें भी हैं जैसे पार्टी अध्यक्ष को 10 या 12 पास होना होगा. पीके का कहना है कि वो अपनी पार्टी अध्यक्ष को कम से कम ग्रेजुएट चाहते थे लेकिन लालू और नीतीश के राज में शिक्षा का जो हाल है उसके चलते ऐसा करना संभव नहीं है.

पहला अध्यक्ष दलित और दूसरा मुसलमान होगा

इसके साथ ही प्रशांत किशोर ने भी साफ कर दिया की उनकी पार्टी का पहला अध्यक्ष दलित होगा और दूसरा मुसलमान. पीके ने कहा कि उनकी पार्टी में हर साल एक नया अध्यक्ष चुना जाएगा.
अध्यक्ष कौन होगा उसका फैसला जन सुराज की सात सदस्यों वाली अधिकार प्राप्त समिति करेगी. जिसका चुनाव शुक्रवार को किया गया.

पीके की पार्टी में 5 साल में 5 अध्यक्ष होंगे

पीके का रोटेशनल नेतृत्व का फैसला सबसे दिलचस्प है. प्रशांत किशोर का कहना है कि समाज में 5 समूह सामान्य, ओबीसी, ईबीसी, एससी, एसटी और मुस्लिम हैं. इसमें भी दलित सबसे अधिक वंचित हैं. इसलिए पार्टी पहला अध्यक्ष एक दलित को बनाएगी और फिर बारी आएगी मुसलमानों की. यानी लालू और नीतीश पर जाति और धर्म की राजनीति करने का आरोप लगाने वाले पीके पार्टी बनाने से पहले ही नेतृत्व किसके हाथ में होना ये तय कर चुके है.

5000 लोगों को जो पार्टी से जोड़ सके वो होगा अध्यक्ष

पीके का कहना है कि वो अपनी पार्टी में सभी जाति धर्म और वर्ग के लोगों को नेतृत्व का मौका देंगे. लेकिन सवाल ये उठता है कि एक साल के कार्यकाल में कोई नेता पार्टी या समाज के सत्र पर क्या बदल पाएगा. सवाल ये भी है कि नेतृत्व के लिए जो 5000 लोग लाने की शर्त रखी गई है उससे तो कोई इंफ्लूएंसर भी पूरा कर देगा. ऐसे में पार्टी का अध्यक्ष के लिए जरूरी नेतृत्व क्षमता का क्या होगा.

2 अक्तूबर 2022 को शुरु किया था जनसुराज अभियान

यानी देखा जाए तो अध्यक्ष का पद सिर्फ दिखावा होगा और पार्टी पर असली पकड़ प्रशांत किशोर की ही होगी. ये ऐसा होगा की कंपनी में सीईओ, सीओओ तो होंगे लेकिन मलिक प्रशांत किशोर ही रहेंगे. यानी पीके ने जो जनसुराज अभियान के जरिए एक्सपेरिमेंट ये सोच शुरु किया था कि वो एक जन आंदोलन में बदल जाएगा अब उसको वो दूसरे लेवल पर ले जाकर राजनीति से जोड़ना चाहते है. पीके का स्टेप वन यानी यात्रा तो न ज्यादा सुर्खियां बटोर पाई न आंदोलन में तबदील हुई, ऐसे में अब उनकी पार्टी जिससे वो 2025 चुनाव ही बदलने का दावा कर रहे हैं क्या अपने पैरो पर खड़ी भी हो पाती या नहीं देखना होगा. क्योंकि राजनीतिक दल बनाने और उस दल के लिए चुनावी राजनीति बनाना दो अलग-अलग काम है, जिसका अंदाज़ा शायद पीके को पिछले 2 सालों में हो गया होगा.

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