किसी भी आंदोलन, विरोध, मांग या आलोचना को लेकर मोदी सरकार या कहें बीजेपी की तय प्रतिक्रिया होती है. पहले वो उस ओर ध्यान नहीं देती. फिर वो उसे नकार देती है. जब उससे बात नहीं बनती तो आईटी सेल काम शुरू करता है. मांग, आंदोलन, आलोचना करने वालों की पूरी जन्मपत्री तैयार की जाती है और मिर्च मसाला लगा कर सोशल मीडिया पर परोसा जाने लगता है. सामने वाला तब भी नहीं डरे तो फिर सरकार उससे बात शुरू करती है. और इस बातचीत के दौरान सरकार का पक्ष तो प्रमुखता से जनता के बीच रखा जाता है पर कोशिश होती है कि मांग करने वाले का ज्यादा प्रचार ना हो. आज हम बीजेपी की रणनीति पर चर्चा इसलिए कर रहे हैं क्योंकि एक बार फिर सोशल मीडिया और प्रेस की स्वतंत्रता को लेकर सरकार सवालों के घेरे में है. आरोप है कि किसान आंदोलन के दौरान खबरों को दबाने के लिए सरकार ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्वीटर पर दबाव बनाया था.
जैक डोर्सी ने क्या आरोप लगाए
ट्विटर के सह-संस्थापक और पूर्व बॉस जैक डोर्सी ने एक बार फिर कहा है कि ट्विटर को किसानों के विरोध और सरकार की आलोचना करने वाले खातों को ब्लॉक करने के लिए भारत सरकार से “कई अनुरोध” मिले थे. उन्होंने यह भी कहा है कि ट्विटर को “बंद” करने और भारत में उसके कर्मचारियों के घरों पर छापे मारने की धमकी भी दी गई थी. सिर्फ डोर्सी ही नहीं ट्विटर के नए सीईओ एलोन मस्क का भी भारत के सोशल मीडिया नियमों के बारे में यही विचार है. मस्क ने पहले उन्हें “सख्त” बताया था. जबकि इस साल अप्रैल में मस्क ने कहा था कि वह ट्विटर कर्मचारियों को जेल भेजने का जोखिम उठाने के बजाय सरकार के ब्लॉकिंग आदेशों का पालन करेंगे.
डार्सी ने भारतीय लोकतंत्र पर कसा तंज
ट्विटर के पूर्व बॉस जैक डोर्सी सोमवार 12 जून को एक यूट्यूब चैनल ब्रेकिंग पॉइंट्स को इंटरव्यू दे रहे थे. जब डोर्सी से ट्विटर के सीईओ के रूप में विदेशी सरकारों के दबाव के बारे में पूछा गया, तो डोर्सी ने कहा, “भारत एक ऐसा देश है जिसने किसानों के विरोध के दौरान हमसे कई अनुरोध किए, विशेष पत्रकारों को लेकर भी अनुरोध किए गए जो सरकार के आलोचक थे, इसके अलावा डोर्सी ने भारत सरकार पर धमकाने का भी आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि सरकार ने कहा कि अगर हमारी बात नहीं मानी गई तो ‘हम भारत में ट्विटर को बंद कर देंगे’, जो हमारे लिए एक बहुत बड़ा बाजार है. हमें कहा गया कि, ‘हम आपके कर्मचारियों के घरों पर छापा मारेंगे,’ जो उन्होंने किया भी. इसके साथ ही कहा गया कि, ‘यदि आप आदेशों का पालन नहीं करते हैं, तो हम आपके कार्यालयों को बंद कर देंगे.’ इसके साथ ही डोर्सी ने भारत पर तंज कसते हुए कहा कि ये तब है जब भारत एक लोकतांत्रिक देश है.
किसान आंदोलन के दौरान सरकार ने 1,200 खातों को हटाने के लिए कहा था-डोर्सी
डोर्सी ने बताया कि, 2021 में देश में किसानों के विरोध के चरम पर, केंद्र सरकार ने ट्विटर से कथित “खालिस्तान” लिंक के लिए लगभग 1,200 खातों को हटाने के लिए कहा था. इससे पहले सरकार ने ट्विटर से 250 से अधिक खातों को बंद करने के लिए कहा था.
डोर्सी ने कहा कि ट्विटर ने कुछ खातों को ब्लॉक भी किया था लेकिन बाद में उन्हें अनब्लॉक कर दिया गया, जिससे आईटी मंत्रालय नाराज हो गया था. ट्विटर ने अपने जवाब में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हवाला देते हुए अपने प्लेटफॉर्म पर इन खातों को ब्लॉक करने से इनकार कर दिया था. हालांकि ये बात सरकार को अच्छी नहीं लगी थी और उसने जवाब में कहा था कि ट्विटर “अदालत की भूमिका में नहीं आ सकता है और निर्देशों का पालन नहीं करने को सही नहीं ठहरा सकता है.
डोर्सी के आरोपों को MoS IT राजीव चंद्रशेखर ने ‘साफ झूठ’ करार दिया
डोर्सी के आरोपों के जवाब में इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने जवाब देते हुए कहा कि ट्विटर “भारत के कानून का बार-बार और लगातार उल्लंघन” कर रहा था और कई बार “गलत सूचनाओं को हथियार की तरह इस्तेमाल किया जा रहा था. ”
चंद्रशेखर ने कहा कि, “डोर्सी के ट्विटर शासन को भारतीय कानून की संप्रभुता को स्वीकार करने में समस्या थी. इसने ऐसा व्यवहार किया जैसे कि भारत के कानून इस पर लागू नहीं होते हैं.” मंत्री ने कहा, “एक संप्रभु राष्ट्र के रूप में भारत को यह सुनिश्चित करने का अधिकार है कि भारत में काम करने वाली सभी कंपनियां उसके कानूनों का पालन करें.” चंद्रशेखर ने कहा कि 2021 में किसानों के विरोध के दौरान अकाउंट बंद करने के आदेश जारी करने के लिए केंद्र “बाध्य” था क्योंकि “बहुत सारी गलत सूचनाएं और नरसंहार की रिपोर्टें थीं जो निश्चित रूप से नकली थीं”.
कांग्रेस ने पीएम मोदी को फिर कहा तानाशाह
सरकार भले ही आरोपों का खंडन करे लेकिन विपक्ष ने इस मुद्दे को मोदी सरकार की तानाशाही से जोड़ दिया है. सरकार पर पहले ही मीडिया को दबाने और उसे अपने कब्ज़े में रखने का आरोप लगाने वाली कांग्रेस पार्टी ने तो ट्विटर के पूर्व बॉस डोर्सी के इंटरव्यू के अंश के साथ ट्वीट किया है, “जब हमारे किसान अपने हक के लिए दिल्ली की सीमाओं पर बैठे थे. जब वो सर्दी, गर्मी, बरसात झेलते हुए अपने प्राण त्याग रहे थे. तब दिल्ली में बैठा ‘डरपोक’ तानाशाह उनकी खबर को दबाने में लगा था. वो ट्विटर को धमकियां भिजवा रहा था कि किसान आंदोलन को दिखाया तो दफ्तर बंद करवा दूंगा, छापे मरवाऊंगा. सनद रहे… इस आंदोलन में 733 किसान शहीद हो गए और तानाशाह इनकी लाशों पर अपनी छवि चमकाने में लगा रहा.”
उसने(जैक डोर्सी) ठीक कहा है, भारत सरकार ने प्रयास किए होंगे-राकेश टिकैत
वहीं किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि जैक डोर्सी सही कह रहा है. उन्होंने कहा कि, “उस समय भी हमें जानकारी थी कि किसान आंदोलन की जितनी पहुंच फेसबुक और ट्वीटर पर आनी चाहिए वो नहीं आ रही थी. सरकार स्थानीय स्तर पर इसे रोकने का प्रयास करती थी. ट्वीटर का जो मालिक था उसने अब स्पष्ट कहा है. उसने यानी जैक डोर्सी ने ठीक कहा है, भारत सरकार ने प्रयास किए होंगे.”
ये तो सब जानते हैं कि किसान आंदोलन के दौरान सरकार और ट्विटर में तनातनी हुई थी. वजह भी ये बताई गई थी कि सरकार कुछ अकाउंट ब्लॉक करने का दबाव बना रही है. ऐसे में जैक डोर्सी के आरोपों को सिरे से खारिज नहीं किया जा सकता. ध्यान देने की बात ये है कि ये पूरा विवाद ऐसे वक्त में हुआ है जब एक हफ्ते बाद यानी 22 जून को पीएम मोदी को अमेरिका की राजकीय दौरे पर जाना है.