Netaji Jayanti:प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने मंत्रिमंडल के सहयोगियों और अन्य सांसदों जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे भी शामिल थे के साथ आज संविधान सदन में नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की. प्रधानमंत्री ने वहां मौजूद स्कूली छात्रों से भी बातचीत की.
पीएम ने एपने एक्स हैंडल पर इसका एक वीडियो भी शेयर किया और लिखा, “नेताजी सुभाष चंद्र बोस को श्रद्धांजलि अर्पित की. मेरे युवा मित्रों के साथ विशेष बातचीत को न भूलें!”
Paid homage to Netaji Subhas Chandra Bose. Don’t miss the special interaction with my young friends! pic.twitter.com/M6Fg3Npp1r
— Narendra Modi (@narendramodi) January 23, 2025
नेताजी को भारत की विरासत पर बहुत गर्व था…-पीएम मोदी
इसके साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ‘पराक्रम दिवस कार्यक्रम 2025’ के अवसर पर कहा, “नेताजी को भारत की विरासत पर बहुत गर्व था… आज भारत गुलामी की मानसिकता से बाहर आ रहा है, अपनी विरासत पर गर्व करते हुए विकास कर रहा है… नेताजी की विरासत से प्रेरणा लेते हुए, हमारी सरकार ने 2019 में दिल्ली के लाल किले में नेताजी को समर्पित एक संग्रहालय बनाया, और उसी वर्ष सुभाष चंद्र बोस आपदा प्रबंधन पुरस्कार शुरू किए। 2021 में सरकार ने फैसला किया कि नेताजी की जयंती को पराक्रम दिवस के रूप में मनाया जाएगा…”
Netaji Jayanti: हमें नेताजी के जीवन से प्रेरणा मिलती है-पीएम
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, “आज जब हमारा देश विकसित भारत के संकल्प को सिद्ध करने में लगा हुआ है, तो हमें नेताजी के जीवन से प्रेरणा मिलती है. उनके जीवन का सबसे बड़ा लक्ष्य था आजाद हिंद… नेताजी ने देश की आजादी के लिए आजाद हिंद फौज बनाई। इसमें देश के हर क्षेत्र से वीर व वीरांगनाएं थीं. सबकी भाषाएं अलग-अलग थीं लेकिन भावना एक थी- देश की आजादी. यह भावना आज एक बड़ी सीख है. तब हमें स्वराज के लिए एक होना था, आज हमें विकसित भारत के लिए एकजुट रहना है… दुनिया भारत की ओर देख रही है कि हम इस 21वीं सदी को भारत की सदी कैसे बनाते हैं. हमें नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रेरणा से देश को एकजुट रखना है…”
आपको याद दिला दें कि, सुभाष चंद्र बोस की जयंती को ‘पराक्रम दिवस’ के रूप में मनाया जाता है. 1897 में जन्मे बोस एक करिश्माई और लोकप्रिय नेता थे, जो कांग्रेस के अध्यक्ष बने, लेकिन बाद में भारत के औपनिवेशिक शासकों से लड़ने के लिए सेना के गठन सहित अधिक मजबूत संगठन की वकालत करने के कारण पार्टी से अलग हो गए थे.
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