केंद्र सरकार ने पीएफआई पर 5 साल के लिए बैन लगा दिया है. केंद्र ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया समेत उसके सहयोगियों 8 संगठन; कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (सीएफआई), रिहैब इंडिया फाउंडेशन (आरआईएफ), नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइजेशन (एनसीएचआरओ), ऑल इंडिया इमाम काउंसिल (एआईआईसी), नेशनल विमेन फ्रंट, एम्पावर इंडिया फाउंडेशन के साथ ही जूनियर फ्रंट को भी तत्काल प्रभाव से गैरकानूनी घोषित किया है. आरोप हे कि ये सहयोगी संगठन PFI के लिए फंड इकट्ठा करने का काम करते थे.
बिहार के फुलवारी शरीफ से मिला सुराग
PFI के खिलाफ केंद्र सरकार के कान तब खड़े हुए जब बिहार के फुलवारी शरीफ में PFI के एक मोड्यूल को पकड़ने में कामयाबी मिली. आरोप है कि ये मॉड्यूल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर हमले की प्लानिंग कर रहा था. इसके साथ ही यहां मिले दस्तावेज़ो में टारगेट 2047 “गजवा ए हिन्द” लिखा मिला. जिसका मकसद था भारत को 2047 तक इस्लामिक राज्य बनाना. इन दस्तावेज़ों में टेरर फंडिग के लिए मुस्लिम देशों जैसे तुर्की, पाकिस्तान से मदद मांगने की भी बात सामने आई थी. आरोप है कि जब्त दस्तावेज़ो से साफ हो गया था कि PFI सांप्रदायिक उन्माद भड़का देश को तोड़ने की साजिश रच रहा है.
22 सितंबर 15 राज्यों में की गई छापेमारी
PFI के खिलाफ कई केंद्रीय और राज्य की सुरक्षा एजेंसियों ने एक साथ कार्रवाई की. एनआईए की बनाई योजना को एंटी टेररिस्ट स्क्वाड, स्पेशल टास्क फ़ोर्स, ईडी समेत कई एजेंसियों ने मिलकर पूरा किया. योजना के मुताबिक 22 सितंबर को पहली बड़ी कार्रवाई की गई. 15 राज्यों में 93 ठिकानों पर ठिकानों पर छापामारी हुई. एजेंसियों ने 106 लोगों को भी गिरफ्तार किया जिसमें पीएफआई का राष्ट्रीय अध्यक्ष ओएमएस सलाम भी शामिल था. इसके अलावा दिल्ली प्रदेश के अध्यक्ष परवेज अहमद को हिरासत में लिया गया.
27 सितंबर ऑपरेशन ऑक्टोपस राउड टू
PFI के खिलाफ इस अभियान को गृह मंत्रालय ने ऑपरेशन ऑक्टोपस का नाम दिया था. इस अभियान की दूसरी स्ट्राइक हुई मंगलवार 27 सितंबर को इस दिन 7 राज्यों से 247 लोगों को गिरफ्तार किया गया.
कौन से हैं वह राज्य जहां पड़े छापे
केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र, बिहार, असम, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, पुडुचेरी, दिल्ली, राजस्थान, गुजरात और पंजाब शामिल है. हलांकि केंद्रीय एजेंसियों के मुताबिक केरल और कर्नाटक में PFI की सबसे ज्यादा गतिविधियाँ पाई गई.