स्वास्थ्य मामलों से संबंधित एक संसदीय समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के दौरान यदि इससे बचाव की नीतियों को समय से लागू किया जाता तो अनेक लोगों की जान बचाई जा सकती थी.
रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार कोविड-19 महामारी और इसकी लहरों के संभावित जोखिम का सटीक अनुमान नहीं लगा पाई. समिति ने कहा कि पहली लहर के बाद जब देश में कोविड-19 के मामलों में गिरावट दर्ज की गई, तब सरकार को देश में महामारी के दोबारा जोर पकड़ने के खतरे और इसके संभावित प्रकोप पर नजर रखने के अपने प्रयास जारी रखने चाहिए थे.
पांच लाख से अधिक लोगों की मौत हुई- समिति
रिपोर्ट में कहा गया है, “समिति इस बात से नाखुश है कि कई राज्य दूसरी लहर के दौरान उत्पन्न हुईं अनिश्चितताओं और आपात स्वास्थ्य स्थितियों से निपटने में असमर्थ रहे, जिसके चलते पांच लाख से अधिक लोगों की मौत हुई।” समिति ने सोमवार को राज्यसभा में पेश 137वीं रिपोर्ट में कहा कि दूसरी लहर में निस्संदेह संक्रमण और मौत के बढ़ते मामलों में वृद्धि, अस्पतालों में ऑक्सीजन और बिस्तरों की कमी, दवाओं और अन्य महत्वपूर्ण पदार्थों की आपूर्ति का अभाव, आवश्यक स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं में व्यवधान, ऑक्सीजन सिलेंडर व दवाओं की जमाखोरी और कालाबाजारी आदि देखी गई।
ठीक से नहीं लागू की गईं बचाव तकनीकी
रिपोर्ट में कहा गया है कि समिति का विचार है कि यदि सरकार प्रारंभिक चरण में ही वायरस के अधिक संक्रामक स्वरूप की पहचान कर पाती और रोकथाम रणनीति को उपयुक्त रूप से लागू किया जाता तो नतीजे कम गंभीर होते तथा कई लोगों की जान बचाई जा सकती थी.
समिति ने पाया कि भारत दुनिया में कोविड-19 से सबसे अधिक प्रभावित देशों में शामिल रहा. देश की विशाल आबादी के कारण महामारी के दौरान बड़ी चुनौती पेश आई. समिति ने कहा कि लचर स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे और स्वास्थ्यकर्मियों की भारी कमी के कारण देश में जबरदस्त दबाव देखा गया.
‘राज्य भी कई मामलों में असमर्थ रहे’
समिति ने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यों को सतर्कता बनाए रखने और अपने संबंधित क्षेत्रों में कोविड-19 के दोबारा फैलने से उत्पन्न होने वाली किसी भी आपात स्थिति के लिए रणनीति तैयार करने का निर्देश दिया था. रिपोर्ट में कहा गया है, ‘समिति इस बात से नाखुश है कि कई राज्य दूसरी लहर के दौरान उत्पन्न होने वाली अनिश्चितताओं और चिकित्सा आपात स्थितियों से निपटने में असमर्थ रहे, जिसके चलते 5 लाख से अधिक लोगों की मौत हुई।’
‘ऑक्सीजन की कमी से हुई मौतों का कराएं ऑडिट’
संसदीय समिति ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय से सिफारिश की है कि वो खासकर कोविड-19 की दूसरी लहर के दौरान ‘‘ऑक्सीजन की कमी के चलते हुई मौत’’ के मामलों में राज्यों से समन्वय बना लेखा-परीक्षा करें, ताकि मृत्यु के मामलों का उचित दस्तावेजीकरण हो सके. समिति ने कहा कि वो सरकारी एजेंसी से अधिक पारदर्शिता एवं जवाबदेही की उम्मीद करती है.
Govt must audit deaths due to Oxygen shortage in second wave, says Parliament Panel
Read @ANI Story | https://t.co/OiX37jSyTK#Parliament #COVID19 #Oxygen pic.twitter.com/me2mTIupMm
— ANI Digital (@ani_digital) September 13, 2022
आपको याद दिला दें मोदी सरकार ने सदन में बयान दिया था कि देश में ऑक्सीजन की कमी से एक भी मौत नहीं हुई है.
समिति ने केंद्र सरकार से सिफारिश की है कि वह दुनिया के अन्य देशों से कोविड-19 की उत्पत्ति की पहचान करने के लिए और अधिक अनुसंधान एवं अध्ययन करने तथा इसके लिए जिम्मेदार पाए जाने वालों को दंडित करने की अपील करें.