सरकार ने संसद की स्थायी समितियों में फेरबदल किया है.नीतीश कुमार के सहयोगी और जनता दल यूनाइटेड के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह उर्फ ललन सिंह को संसदीय स्थायी समिति में आवास एवं शहरी मामलों का अध्यक्ष बनाया गया है.आंध्र प्रदेश के वाईएसआर कांग्रेस के राज्यसभा सांसद वी विजयसाई रेड्डी को परिवहन, पर्यटन और संस्कृति की संसदीय स्थायी समिति के अध्यक्ष के रूप में नियुक्त किया गया है.बिहार से भाजपा के राज्यसभा सांसद विवेक ठाकुर को संसदीय स्थायी समिति शिक्षा, महिला, बच्चे, युवा और खेल का अध्यक्ष नियुक्त किया और उत्तर प्रदेश से भाजपा के राज्यसभा सांसद बृजलाल को गृह मामलों की संसदीय स्थायी समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है
लगभग तीन दशकों में ये पहला मौका है जब संसद के स्थायी समिति के फेरबदल में विपक्षी दलों को चार प्रमुख संसदीय पैनलों में से किसी की भी अध्यक्षता नहीं दी गई है. सूचना प्रौद्योगिकी के पैनल का नेतृत्व कर रहे कांग्रेस नेता शशि थरूर की जगह शिवसेना के शिंदे गुट के एक सांसद को दी गई है. कांग्रेस को गृह मामलों की समिति से हटाकर उनकी जगह उत्तर प्रदेश से बीजपी के राज्यसभा सासंद बृजलाल को गृह मामलों के स्थायी समिति का अध्यक्ष बनाया गया है .तृणमूल कांग्रेस और समाजवादी पार्टी को किसी भी स्थाई समिति की अध्यक्षता नहीं दी गई है.
संसदीय समितियों के पुनर्गठन की एक खास बात ये भी रही कि स्थाई समितियों की संख्या 24 से घटाकर 22 कर दी गई है. अब लोकसभा की 15 और राज्यसभा की 7 समितियां होंगी.
कांग्रेस सांसद जयराम रमेश हालांकि विज्ञान और प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन संबंधी समिति के अध्यक्ष के रूप में रखे गये हैं
इसके साथ ही छह प्रमुख संसदीय समितियों – गृह, आईटी, रक्षा, विदेश, वित्त और स्वास्थ्य की अध्यक्षता अब भाजपा और उसके सहयोगियों के पास है.
सरकार के इस कदम के बाद टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने तंज कसते हुए कहा कि संसद में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी और दूसरी सबसे बड़ी विपक्षी पार्टी को एक भी अध्यक्ष पद नहीं मिला.ये हैं न्यू इंडिया की कड़वी सच्चाई