Thursday, February 6, 2025

Indian immigrant: ‘हथकड़ी और बेड़ियाँ’, अमेरिका जाने से लेकर निर्वासन तक की दर्दनाक कहानियां

बुधवार को अमृतसर में अमेरिकी सैन्य विमान सी-17 104 भारतियों को लेकर पहुंचा. विमान से पहुंचे निर्वासितों ने बताया कि पूरी यात्रा के दौरान उनके हाथ-पैरों में बेड़ियां लगी रहीं और विमान से उतरने के बाद ही उन्हें हटाया गया.

Indian immigrant को पूरे रास्ते ‘हथकड़ी और बेड़ियाँ’ लगी रही

पंजाब के गुरदासपुर जिले के 36 वर्षीय जसपाल सिंह ने बताया कि उन्हें 24 जनवरी को अमेरिकी सीमा गश्ती दल ने पकड़ लिया था. उन्होंने दावा किया, “पूरी यात्रा के दौरान हमें हथकड़ी और पैरों में जंजीरें बांधी गईं. अमृतसर हवाई अड्डे पर इन्हें खोला गया.” बुधवार को विभिन्न राज्यों से 104 अवैध अप्रवासियों को लेकर एक अमेरिकी सैन्य विमान अमृतसर पहुंचा. यह अवैध अप्रवासियों पर कार्रवाई के तहत ट्रम्प प्रशासन द्वारा निर्वासित भारतीयों का पहला जत्था है.

निर्वासितों में सबसे ज्यादा गुजरात, हरियाणा और पंजाब के लोग

निर्वासित लोगों में हरियाणा से 33, गुजरात से 33, पंजाब से 30, महाराष्ट्र और उत्तर प्रदेश से तीन-तीन और चंडीगढ़ से दो लोग शामिल थे. समूह में 19 महिलाएं और 13 नाबालिग शामिल थे, जिनमें एक चार वर्षीय लड़का और पांच और सात साल की दो लड़कियां शामिल थीं. पंजाब से निर्वासित लोगों को अमृतसर हवाई अड्डे से पुलिस वाहनों में उनके मूल स्थानों पर ले जाया गया.
ब्राजील में छह महीने बिताने के बाद जसपाल सीमा पार करके अमेरिका चले गए, जहां उन्हें अमेरिकी सीमा गश्ती दल ने गिरफ्तार कर लिया. बुधवार रात को होशियारपुर में अपने गृहनगर पहुंचे दो अन्य निर्वासितों ने भी अमेरिका की अपनी यात्रा के दौरान झेली गई कठिनाइयों के बारे में बताया.

निर्वासित व्यक्ति ने बताया कैसे पनामा के जंगल में मौत को देखा

होशियारपुर के तहली गांव के रहने वाले हरविंदर सिंह ने बताया कि वह पिछले साल अगस्त में अमेरिका के लिए रवाना हुए थे.
उन्हें कतर, ब्राजील, पेरू, कोलंबिया, पनामा, निकारागुआ और फिर मैक्सिको ले जाया गया. उन्होंने बताया कि मैक्सिको से उन्हें और अन्य लोगों को अमेरिका ले जाया गया.
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, “हमने पहाड़ियां पार कीं. एक नाव, जो उन्हें अन्य व्यक्तियों के साथ ले जा रही थी, समुद्र में पलटने वाली थी, लेकिन हम बच गए.”
उन्होंने पनामा के जंगल में एक व्यक्ति की मौत और दूसरे को समुद्र में डूबते हुए देखा. सिंह ने कहा कि उनके ट्रैवल एजेंट ने उन्हें मैक्सिको पहुंचने से पहले यूरोप के रास्ते का आश्वासन दिया था. उन्होंने अमेरिका की अपनी यात्रा पर 42 लाख रुपये खर्च किए.

‘डंकी मार्ग’ पर कपड़े चोरी हो गए

पंजाब से निर्वासित एक अन्य व्यक्ति ने अमेरिका ले जाए जाने वाले ‘डंकी मार्ग’ के अपने अनुभव को साझा किया. उन्होंने कहा कि उनके कपड़े, जिनकी कीमत ₹30,000-35,000 थी, रास्ते में चोरी हो गए.
निर्वासित व्यक्ति ने बताया कि लैटिन अमेरिका ले जाने से पहले उन्हें पहले इटली ले जाया गया था. उन्होंने 15 घंटे की नाव की सवारी और 40-45 किलोमीटर पैदल चलने का कष्टदायक अनुभव बताया.
उन्होंने कहा, “हमने 17-18 पहाड़ियाँ पार कीं. अगर कोई फिसल जाता, तो बचने की कोई संभावना नहीं थी. हमने बहुत कुछ देखा, और अगर कोई घायल हो जाता, तो उसे मरने के लिए छोड़ दिया जाता. हमने शव देखे.”

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