BIHAR NDA METTING : बिहार में अगले साल यानी कुछ महीने बाद ही विधानसभा के चुनाव होंगे और इसकी तैयारियां भी शुरु हो गई है. बिहार में चल रही एनडीए की सरकार में हाल कि दिनों में नीतीश कुमार के जेडीयू और भाजपा के बीच कुछ तल्खियां दिखी. खासकर जब केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने हिंदु स्वाभिमान यात्रा निकाला. हिंदु स्वाभिमान यात्रा के दौरान जिस तरह से गिरिराज सिंह ने उकसाऊ बयान दिये, उसे लेकर जेडीयू खुल कर बोली. नतीजा ये रहा है गिरिराज सिंह की यात्रा से भाजपा ने खुद को ही अलग कर लिया. इसे केवल गिरिराज सिंह की यात्रा बता दिया लेकिन गिरिराज सिंह की यात्रा के बाद से ही राज्य में सियासी तापमान बढ़ा हुआ है. गिरीराज सिंह से तल्खी के बाद सवाल उठने लगे कि क्या बिहार में सब कुछ ठीक है ?
BIHAR NDA METTING : नीतीश कुमार के राजनीतिक भविष्य पर सवाल
राज्य में भाजपा संख्याबल में जेडीयू पर भारी है. इस लिए भी नीतीश कुमार के राजनीतिक भविष्य को लेकर कयास लगाये जा रहे हैं. नीतीश कुमार 2020 के चुनाव में ही कह चुके हैं कि वो उनका अंतिम चुनाव है,लेकिन अब मुख्यमंत्री के आवास पर हुई एनडीए की बैठक ने ये साफ कर दिया है कि फिलहाल नीतीश कुमार राजनीति से संन्यास लेने वालो में नहीं है. एनडीए की बाठक में ये साफ हो गया है कि एनडीए अगले चुनाव में नीतीश कुमार के चेहरे के साथ ही मैदान में उतरेगा. इसे इस तरह से भी देखा जा सकता है कि बिहार में सरकार चाहे एनडीए की हो लेकिन फिहलाल बिहार की सियासत के बॉस नीतीश कुमार ही हैं.
बिहार में सत्ता का बॉस कौन ?
इस बीच लगातार विपक्ष के निशाने पर रही जेडीयू ने सोमवार को अपने आवास पर एनडीए की बैठक बुलाई. दरअसल बिहार में नीतीश कुमार के राजनीतिक भविष्य को लेकर भी अटकलें चल रही हैं. आमतौर पर ये देखा जाता है कि जहां कहीं भी एनडीए की सरकार है , वहां दूसरे दल चाहे जो हो लेकिन सत्ता पर मुख्य कब्जा बीजेपी का ही रहता है. महाराष्ट्र इसका सबसे बड़ा उदाहरण है. महाराष्ट्र में भले ही शिवसेना-एनसीपी-भाजपा की सरकार है लेकिन सत्ता चलती भाजपा के मुताबिक ही है. बैठक मैं एक स्लोगन को मंजूरी दी गई –ये स्लोगन है- 2025 फिर से नीतीश.
इस स्लोगन से इस बात को भी समझा जा सकता है कि बिहार की राजनीति पर नीतीश कुमार की कितनी पकड़ है. बिहार में एनडीए का मतलब ही नीतीश कुमार ही है.