Sunday, July 6, 2025

कितने ‘वीर’ थे वीर सावरकर ? अब रणदीप और राम चरण मिलकर दुनिया को बताएँगे

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भारत में अब फिल्मों का अलग दौर शुरू हो गया है. जहाँ सिर्फ मनोरंजन नहीं बल्कि शिक्षा प्रेरित और इतिहास के काले पन्नो को दिखाना. उन मुद्दों पर फिल्म बनना शुरू हो गई हैं. जो या तो विवादित रहे हो या जिनके बारे में लोग बात तक नहीं करना चाहते. फिर बात चाहे केरला स्टोरी(Kerala Story) की हो कश्मीर फाइल्स(Kashmir Files) की. ऐसे में फिर एक बार कुछ राज़, कुछ मुद्दों पर बेबाकी से कुछ अनकही अनसुनी कहानियों को लेकर आ रही है. ऐसी दो फ़िल्में जो भारत देश के सबसे विवादित शख्स की दास्ताँ को बयान करेगी. वो शख्स कोई नहीं बल्कि वीर सावरकर(Veer Sawarkar) है. जी हाँ 28 मई 2023 को जहाँ एक तरफ देश को नया संसद भवन मिला. वहीं दूसरी तरफ वीर सावरकर के जयंती के मौके पर द इंडिया हाउस(The India House) और Swatantra Veer Savarkar फिल्म का टीजर रिलीज किया गया.

राम चरण की ‘The India House’

‘द कश्मीर फाइल्स’ (The kahsmir Files) और ‘कार्तिकेय 2’ (Kartikey 2) जैसी फिल्मों के निर्माता अभिषेक अग्रवाल ने तेलुगु फिल्म इंडस्ट्री के दिग्गज अभिनेता राम चरण के साथ हाथ मिलाया है. दोनों मिल कर एक नई फिल्म का निर्माण करेंगे, जो भारतीय स्वतंत्रता संग्राम पर आधारित होगा. इस फिल्म का नाम होगा ‘The India House’, जिसमें निखिल सिद्धार्थ और अनुपम खेर मुख्य भूमिकाओं में होंगे. फिल्म का टाइटल अनाउंसमेंट वीडियो भी जारी कर दिया गया है, जो खासा पसंद किया जा रहा है.

राम चरण ने इसकी घोषणा करते हुए लिखा, “हमारे महान स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर की 140वीं जयंती पर हम अपनी अगली पैन-इंडिया फिल्म की घोषणा कर रहे हैं – The India House.”

रणदीप हुड्डा की ‘स्वातंत्र्य वीर सावरकर’

वहीँ दूसरी तरफ रणदीप हुड्डा ने अपनी फिल्म ‘स्वातंत्र्य वीर सावरकर’ का टीजर जारी कर दिया है. टीजर में वो वीर सावरकर के किरदार में खासे जँच रहे हैं. ये फिल्म महान स्वतंत्रता सेनानी वीर सावरकर के जीवन पर आधारित होगी. इसमें विदेशी वस्तुओं की होली जलाने से लेकर अंग्रेजों द्वारा प्रताड़ित किए जाने तक, सब दिखाया जाएगा. फिल्म के टीजर के साथ ‘Who Killed His Story’ का टैगलाइन भी लगाया गया है, जिसका अर्थ है – ‘वीर सावरकर की कहानी को किसने दबा दिया? यानि ये फिल्म भी कई ऐसे राज़ खोलेगी जो शायद अभी तक सब नहीं जानते. वैसे इस फिल्म से रणदीप हुड्डा पहली बार निर्देशन की दुनिया में कदम रख रहे हैं.

कौन थे सावरकर?

अब जो लोग सावरकर को नहीं जानते उन्हें बता दें बीते कुछ सालों में भारतीय राजनीति में विनायक दामोदर सावरकर को विलेन और हीरो दोनों तरह से पेश किया गया है. कांग्रेस समेत कई विपक्षी दल सावरकर को माफीवीर कहते हैं. वहीं, बीजेपी की ओर से विनायक सावरकर को स्वातंत्र्यवीर बताया जाता है.

इंदिरा गांधी ने बताया था ‘देश का महान सपूत’

कहना गलत नहीं होगा कि वीर सावरकर भारतीय इतिहास की सबसे विवादित शख्सियत है. ये वही सावरकर हैं, जिन्हें कभी पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी (Indira Gandhi) ने देश का महान सपूत बताया था. ये अलग बात है कि आज कांग्रेस नेता उन्हें अंग्रेजों का पिट्ठू समेत कई विशेषणों से नवाजते हैं.

20 मई 1980 को पूर्व पीएम इंदिरा गांधी की ओर से लिखा गया वो पत्र आज भी इतिहास के पन्नों में दर्ज है. इंदिरा गांधी ने ये पत्र स्वातंत्र्यवीर सावरकर राष्ट्रीय स्मारक को लिखा था. पूर्व पीएम इंदिरा ने सावरकर स्मारक के सचिव पंडित बाखले को लिखी चिट्ठी में वीर सावरकर के देश की आजादी में दिए गए योगदान को जाहिर किया था.

हिंदुत्व का प्रचार-प्रसार के लिए विख्यात थे सावरकर

सावरकर को भारत में हिंदुत्व का प्रचार-प्रसार के लिए भी जाना जाता है. इन सबसे अलग सावरकर को भारतीय स्वंतत्रता संग्राम में विवादस्पद शख्स के तौर पर भी देखा जाता है. बहुत से लोग उनको महान क्रांतिकारी और देशभक्त मानते हैं तो वहीं कुछ लोग उन्हें सांप्रदायिक शख्स के तौर पर भी देखते हैं. उन्हें महात्मा गांधी की हत्या से जोड़ कर भी देखा जाता है. सच्चाई जो भी हो, लेकिन वीडी सावरकर को हिंदू राष्ट्र और हिंदुत्व की विचारधारा का प्रचार-प्रसार का श्रेय जाता है.
13 मार्च, 1910 को सावरकर को लंदन में गिरफ्तार किया गया. मुकदमा चलाने के लिए उन्हें भारत भेजा गया. उन्हें ले जाने वाला जहाज जब मार्सिले पहुंचे तो वो वहां से भाग गए, लेकिन फ्रांसीसी पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया. 24 दिसंबर, 1910 को उन्हें अंडमान जेल की सजा सुनाई गई. जेल में सावरकर ने अनपढ़ कैदियों को शिक्षा देने की कोशिश की. गांधी जी, विट्ठल भाई पटेल और तिलक जैसे महान नेताओं की मांग के चलते सावरकर को जेल से रिहा कर दिया गया.

क्यों कहा जाता था अंग्रेजों का पिट्ठू

इसके आलावा उन्हें अंग्रेज़ों का पिट्ठू इसलिए कहा जाता है क्योंकि सेल्युलर जेल में रहते हुए वीर सावरकर ने ब्रिटिश सरकार को माफीनामे की चिट्ठियां लिखी थी. जिसके चलते कई नहीं उन्हें डरपोक तो कइयों ने धोकेबाज़ कहा. सावरकर ने यह पत्र सेल्युलर जेल से रिहाई के लिए लिखे थे. इसके बदले में उन्होंने अपने कामों के लिए खेद जताया था. कांग्रेस पार्टी समेत सावरकर की विचारधारा के धुर-विरोधी कहते हैं कि माफीनाम लिखने वाला ‘वीर’ कैसे हो सकता.
खैर इन तमाम आलोचनाओं और विवादों के बीच देखना होगा ये दो फिल्म कैसे वीर सावरकर को लोगों के आरोपों से न्याय दिला पाती है.

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