मध्यप्रदेश में विधानसभा चुनाव सिर पर हैं. लेकिन कांग्रेस Congress अपनी गुटबाजी से ही नहीं उबर पा रही है. कांग्रेस Congress के तीन क्षत्रप दिग्विजय सिंह,कमलनाथ और ज्योरादित्य सिंधिया की एकजुटता ने ही 2018 में पार्टी को सत्ता दिलवायी थी.
क्या है मामला ?
अब हालात बदले हुए हैं. इस बार सिंधिया साथ नहीं,विरोध में खड़े हैं. जिसका नुकसान झेल रही कांग्रेस में अब दिग्विजय सिंह और कमलनाथ के बीच भी खींचतान बढ़ती जा रही है. बता दें पिछले कई मौकों पर ये सामने भी आ चुका है. चाहे वो बुरहानपुर का मामला हो जहां राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के कार्यक्रम के दौरान नकुलनाथ को तो बैठने की जगह मिली, लेकिन दिग्विजय सिंह और जयवर्धन सिंह को स्थान नहीं मिला. इस तरह नारी सम्मान कार्यक्रम के दौरान छिंदवाड़ा में नकुलनाथ की पत्नी को आगे किया गया था.
क्या है खेल?
अब कुर्सी का यह खेल ग्वालियर में भी नजर आया. जहां प्रियंका गांधी के कार्यक्रम में दिग्विजय सिंह को बहुत पीछे से आगे आना पड़ा. यह घटनाक्रम बताते हैं कि कांग्रेस में सबकुछ ठीकठाक नहीं चल रहा है. दरअसल आपसी टूट-फूट के चलते साल 2020 में प्रदेश की सत्ता गंवाने वाली कांग्रेस के लिए 2023 में भी अंदरूनी गुटबाजी से निपटना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है.
दिग्विजय और कमलनाथ की तकरार
पिछले दिनों मप्र कांग्रेस में कमलनाथ समर्थक जहां उन्हें भावी मुख्यमंत्री मानकर पोस्टर बाजी करते नजर आए तो वहीं दिग्विजय खेमे के अरुण यादव ने तो यह तक कह दिया कि सीएम का चेहरा दिल्ली से तय होगा. आखिरकार बढ़ती तकरार के बाद पीसीसी चीफ कमलनाथ को यह कहना पड़ा था कि वे किसी पद की तलाश में नहीं हैं. उन्होंने जीवन में बहुत कुछ हासिल कर लिया है.