Sunday, September 8, 2024

बेटे की चाह में मां ने चढ़ाई तीन बेटियों की बलि !

महिला कल्याण, महिला सश्क्तिकरण, महिलाओं के लिए न्याय, बेटी पढ़ाओ बेटी बचाओ ये सिर्फ खोखले शब्द है. आज़ादी के 75 साल बाद भी हकीकत ये है कि एक मां अपनी बेटियों को सिर्फ इसलिए मार देती है क्योंकि उसको बेटा नहीं है. बेटा जिसकी चाहत में उसने एक नहीं दो नहीं तीन-तीन बेटियां पैदा की. वो बेटा जो समाज में उसको सम्मान दिलाता, वो बेटा जो उसका मान बनता, वो बेटा जो वंश चलाता, वो बेटा जो उसे हत्यारन होने से बचा लेता. बक्सर की पिंकी के पास वो बेटा नहीं था. वो बेटा जो पिंकी के पास नहीं था इसलिए उसने अपनी तीन बेटियों को मार दिया. जी हां बक्सर की ये घटना सिर्फ एक अपराध की दास्तान नहीं है. ये कहानी है उस मजबूर मां की है जो समाज और परिवार के तानों से तंग थी. वो मां जो अपनी बेटियों को मैरी कॉम, कल्पना चावला, मायावती, माधुरी दीक्षित, द्रोपदी मुर्मू या फिर सानिया नेहवाल बनाने की सोच सकती थी. उसने अपनी बेटियों के लिए मौत को चुना. घटना बिहार के बक्सर की है. यहां पिंकी नाम की एक मां ने अपनी तीन नाबालिग मासूम बच्चियों को केवल इसलिए गला दबाकर मार डाला क्योंकि समाज के लोग उन्हें ताना देते थे. ताना ये कि उनके कोई बेटा नहीं है.

क्या है पूरा मामला

बक्सर के ब्रह्मपुर थाना क्षेत्र के बड़की गायघाट गांव इलाके में पिंकी नाम की एक महिला ने अपनी तीन बेटियो को गला दबा कर मार डाला. तीनों बच्चियों में पूनम की उम्र महज 8 साल, रोनी की उम्र 7 साल और सबसे छोटी बेटी बबली की उम्र केवल चार साल थी. घटना गुरुवार रात की है. हत्या की वजह महिला को बेटा नहीं होने का ताना दिया जाना बताया जा रहा है.

स्थानीय लोगों ने क्या बताया

स्थानीय लोगों के मुताबिक पिंकी के परिवार में उनके देवर देवरानी के घर में तीन दिन पहले बेटे का जन्म हुआ था.देवर देवरानी के घर बेटा होने के कारण पिंकी को जलन हुई और गुस्से में आकर उसने अपनी तीनों बेटियों की गला दबाकर हत्या कर दी. घटना की जानकारी मिलने के बाद पुलिस ने मां को हिरासत में लिया है.

घटना के बाद से पूरा इलाका शोक में डूबा है. एक साथ तीन मासूम की हत्या से पूरा गांव गमगीन है. इन बच्चियों की मौत ने ये सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या खुद को आधुनिक कहने वाले आज के समाज में भी बेटी होना अभिशाप है,और ये तब है जब आज सभी समाज और तबके की लड़कियां लड़कों से एक कदम आगे चल कर दुनिया में देश, समाज और परिवार का नाम रोशन कर रही हैं. हत्या की ये घटना समाज की मानसिकता को भी उजागर करती है जहां एक मां बेटियों को जन्म देने पर इतनी शर्मिंदा और कुंठित हो जाती है कि अपनी कोख से जाई बच्चियों को भी खत्म कर सकती है. इस घटना के बाद भले ही गांववाले केवल पिंकी देवी को हत्यारन करार दे भूल जाए. लेकिन असल में ये एक मां के अपनी बेटियों को मार डालने की घटना नहीं है. इस हत्या में समाज और उसकी सोच भी बराबर की दोषी है. सोच जो बेटा और बेटियों में फर्क करती है. मौत की नींद सुला दी गई बच्चियां अगर आज बोल पाती तो सिर्फ ये ही कहती … अगले जनम मोहे बिटिया ना कीजो….

Html code here! Replace this with any non empty raw html code and that's it.

Latest news

Related news