बागेश्वर धाम पर भी उठने लगे हैं सवाल. बागेश्वर धाम से गायब होने लगे हैं लोग. पुलिस भी कर रही है गुमशुदा लोगों की तलाश. क्या बागेश्वर धाम में भीड़ की आड़ में हो रहा है बड़ा खेल. क्या भीड़ की आड़ में हो रही है मानव तस्करी. कौन देगा जवाब. कैसे गायब हो जा रहे हैं लोग.
क्यों बाबाओं की ओर आकर्षित होते है लोग
चमत्कार को नमस्कार करने वाले अपने देश में आस्था के कई द्वार हैं. कभी कोई आसाराम आ जाता है तो कभी राम रहीम. दावा सभी का एक होता है कि हम बीमारी, दुख, गरीबी, तकलीफ सभी दूर कर देंगे लेकिन बाद में उनपर जो आरोप लगते हैं. उनके डेरों की जो खौफनाक कहानियां सामने आती है वो न सिर्फ लोगों का दिल दहला देती है बल्कि हज़ारों की आस्था को चकनाचूर भी कर देती है. इसके बावजूद हज़ारों देवी-देवताओं और कई धर्मों वाले भारत में अगर सबसे ज्यादा लोगों को कुछ अपनी और आकर्षित करता है तो वो है बाबाओं का दरबार. एक बाबा बेनकाब होता है तो लोग दूसरे के दरबार में चले जाते हैं. शायद दुख, तकलीफ, गरीबी और कुछ बदल नहीं पाने की निराशा लोगों को हमेशा अपना सर किसी न किसी चौखट पर झुकाने को मज़बूर कर देते हैं.
आस्था का नया द्वार बागेश्वर धाम
तो इस साल या कहें पिछले साल के आखिरी कुछ महीनों में आस्था का एक नया दरबार सजा है. एक खूबसूरत नौजवान बाबा लोगों के आकर्षण का केंद्र बना हुआ है. बाबा की मुस्कान बड़ी मनोहर है. बाबा बात भी इतने विश्वास से करता है कि लगता है सब कुछ ठीक कर देगा. बाबा का खून गर्म है और वो राजनीति में भी दखल रखता है. जी हां आप सही समझे हम बात कर रहे हैं मध्यप्रदेश के छतरपुर जिले के चमत्कारी बाबा धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री की. शास्त्री जी पिछले साल से ही सुर्खियां बटोर रहे हैं. कभी उनके राजनीतिक विचार उनकी प्रसिद्धी का कारण बन रहे हैं तो कभी उनके चमत्कार लेकिन इस बार बाबा के दरबार में कुछ ऐसा हो रहा है कि लोग हैरान हैं , परेशान हैं. पुलिस के पास भी जवाब नहीं है.
विवादों के केंद्र में धीरेंद्र शास्त्री
जब से शास्त्री जी मशहूर हुए हैं तब से छतरपुर के धार्मिक स्थलों पर भीड़भाड़ लगातार बढ़ रही है. फरवरी माह में यहां से कई लोगों की मौत की खबर सुर्खियों में रही थी. आरोप था कि लाखों लोगों की भीड़ यहां उमड़ती है लेकिन इनके लिए मूलभूत सुविधाएं भी नहीं हैं. जिसका नतीजा ये है कि बच्चे और महिलाएं परेशान होती हैं. भीड़भाड़ और भूख प्यास के कारण लोग बीमार हो जाते हैं. कई लोगों की तो मौतें भी हो चुकी हैं. खास कर एक दस साल की बच्ची जिसे मिर्गी (फिट) के दौरे आते थे. और एक बीमार महिला की मौत ने तो काफी सुर्खियां बटोरी थी. दोनों को बाबा का चमत्कार जीवन दान नहीं दे पाया था.
इस विवाद के बाद बाबा ने धर्म को राजनीति से जोड़ दिया था. बाबा मौतों की कहानी को हिंदुत्व की कथा से शांत करने में सफल हो गए थे. हिंदुत्व की गोद में न सिर्फ बाबा को उनके दरबार की बदइंतजामी पर उठ रहे सवालों से निजात दिलाई बल्कि सोशल मीडिया का भी स्टार बना दिया. बाबा रोज किसी न किसी बयान को लेकर ट्रेंड करने लगे और नतीजा ये हुआ कि बाबा बन गए वीआईपी बाबा लेकिन जैसा कि हमने कहा कि अब बाबा के दरबार से नया विवाद जुड़ गया है.
बागेश्वर धाम से गायब होने लगे हैं लोग
बागेश्वर धाम से लोग लापता होने लगे हैं. कहा जा रहा है कि मंगलवार और शनिवार को उमड़ने वाली भीड़ इन लोगों के गायब होने की वजह है. मुराद लेकर बाबा के दरबार आ रहे लोग अपनों को गवां दे रहे हैं. बताया जा रहा है कि इस साल के जनवरी माह से लेकर अब तक 21 लोग धाम से लापता हो चुके हैं. इन लापता लोगों की तलाश में परिजन कभी थाने तो कभी धाम के कार्यालय के चक्कर काट रहे हैं. अजब बात ये है कि शहर की पुलिस भी इन गुमशुदा लोगों का पता नहीं लगा पा रही है.
कहा गायब हो रहे है लोग
बागेश्वर धाम से गायब होने वाले लोगों में कई तो मानसिक बीमार हैं और कई ऐसे हैं जो भीड़भाड़ ज्यादा होने की वजह से अपने परिवार वालों से बिछड़ गए हैं. उनका भी कोई पता नहीं लग पाया है. अपने बिछड़े और गुमशुदा लोगों की तलाश में देश के दूसरे राज्यों के रहने वाले तमाम लोग परेशान है.
अब सवाल ये उठता है कि 21 लोगों को ज़मीन खा गई या आसमान निगल गया. अगर लोग भीड़ में बिछड़ भी गए हैं तो होना उन्हें शहर में ही चाहिए. छतरपुर कोई दिल्ली मुंबई जैसा बड़ा शहर भी नहीं है. फिर आखिर लोग गुम कहा हो रहे हैं. क्या है गुमशुदा लोगों और बागेश्वर धाम का रिश्ता. कौन और क्यों गायब कर रहा है लोगों को. क्या ये मानव तस्करी का मामला है या फिर मानव अंगों के कारोबार में लगे लोगों का खेल. चमत्कार की आस में आ रहे लोगों की गुमशुदगी की खबरों को लेकर तरह-तरह के कयास भी लगाए जाने लगे हैं.
पटना पुलिस को रहना होगा चौकन्ना
वैसे शुरू-शुरू में आसाराम और राम रहीम के दरबारों से भी लोगों के गायब होने की खबरें आया करती थी लेकिन धीरे-धीरे मामले गंभीर होते गए. धीरेंद्र शास्त्री ने तो शुरू में ही राजनीति की ऐसी राह पकड़ी है कि उनके दरबार पर उठने वाली हर उंगली को हिंदु विरोधी बता दिया जाएगा. ऐसे में पटना पुलिस पर अब दोहरी जिम्मेदारी होगी. एक तो बाबा के प्रवचन में नफरती बयानों पर नज़र रखना और दूसरा बाबा के दरबार में गायब हो रहे लोगों के चमत्कार पर. क्योंकि उम्मीद यही है कि बाबा के प्रवचन में यहां भी बड़ी भीड़ जमा होगी और भीड़ की आड़ में छतरपुर जैसी कोई घटना पटना में न घट जाए इसका विशेष ध्यान रखना होगा.
ये भी पढ़ें- Mumbai: बिहार सीएम नीतीश कुमार ने शिवसेना नेता उद्धव ठाकरे से की मुलाकात, बीजेपी ने किया तंज