Meerut Stampede: शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के मेरठ के शताब्दी नगर में पंडित प्रदीप मिश्रा के धार्मिक आयोजन के दौरान भगदड़ मच गई.
यह घटना दोपहर करीब एक बजे हुई जब कार्यक्रम स्थल पर तैनात निजी सुरक्षाकर्मियों ने महिलाओं को प्रवेश करने से रोकने की कोशिश की.
VIDEO | Uttar Pradesh: Commotion was reported at a religious event in #Meerut‘s Shatabdi Nagar. Here’s what Meerut SP (City) Ayush Vikram Singh said:
“There was no stampede. There has been no casualty. The situation is peaceful here and the event is also going on peacefully.”… pic.twitter.com/XkTz1rbWeB
— Press Trust of India (@PTI_News) December 20, 2024
Meerut Stampede: कोई भगदड़ नहीं हुई- मेरठ के एसपी
धार्मिक आयोजन में हंगामा होने की खबर पर मेरठ के एसपी (सिटी) आयुष विक्रम सिंह ने बताया, “कोई भगदड़ नहीं हुई. कोई हताहत नहीं हुआ है. यहां स्थिति शांतिपूर्ण है और आयोजन भी शांतिपूर्ण तरीके से चल रहा है.”
मेरठ जोन के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक ध्रुव कांत ठाकुर ने बताया कि अभी तक किसी की मौत या घायल होने की खबर नहीं है.
शुक्रावार को कार्यक्रम का छठा दिन था. बताया जा रहा है कि हर दिन करीब एक लाख लोग कार्यक्रम में शामिल हो रहे हैं.
इसी साल हाथरस में भोले बाबा के संतसंग में भी मची थी भगदड़
जुलाई में, हाथरस जिले के सिकंदरा राऊ थाना क्षेत्र के फुलराई गांव में 2 जुलाई को भगदड़ मचने से करीब 121 लोगों की मौत हो गई थी, जिनमें ज्यादातर महिलाएं और बच्चे थे..
यह भगदड़ यूपी के कासगंज जिले के निवासी स्वयंभू संत सूरजपाल उर्फ भोले बाबा द्वारा संबोधित सत्संग के दौरान हुई थी.
कार्यक्रम स्थल से निकलते समय बाबा के पैर छूने के लिए भीड़ उमड़ पड़ी. लोग एक-दूसरे पर गिर पड़े और भगदड़ मच गई. कार्यक्रम में करीब 2.5 लाख लोग जुटे थे. मामले की जांच कर रही पुलिस ने कार्यक्रम के आयोजकों पर कुप्रबंधन का आरोप लगाया है, जिसके कारण भगदड़ मची. 80,000 लोगों की अनुमति के बावजूद भीड़ 2.50 लाख से अधिक हो गई.
भोले बाबा उत्तर प्रदेश पुलिस के पूर्व कर्मचारी हैं, जिन्होंने स्थानीय अभिसूचना इकाई (एलआईयू) में 18 वर्षों तक काम किया और 1990 में, जब वे एटा में तैनात थे, आध्यात्मिकता की ओर बढ़ने के लिए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले ली.
अपनी खास चमक-दमक के लिए मशहूर, एटा-कासगंज, ब्रज क्षेत्र और कुछ अन्य इलाकों में निम्न मध्यम वर्ग और गरीबों के बीच उनका काफी बड़ा समर्थन है.
हाथरस पुलिस पहले ही नारायण साकार हरि को क्लीन चिट दे चुकी है, क्योंकि अदालत में पेश की गई चार्जशीट में बाबा का नाम नहीं है.
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