Sunday, November 10, 2024

Manipur violence: महिलाओं के खिलाफ हिंसा को धार्मिक रंग देने की कोशिश? ANI पर लगेगा NSA ?

दिल्ली : मणिपुर Manipur बीजेपी के लिए गले की हड्डी बन गया है. वो न इसे निगल पा रही है न उगल पा रही है. 78 दिनों के बाद जब पीएम को मणिपुर Manipur की महिलाओं पर जुल्म के वीडियो के वायरल होने पर बोलना पड़ा तब भी उन्होंने देश से ऊपर पार्टी को रखा और अपने छोटे से बयान में मणिपुर Manipur के मुख्यमंत्री के साथ-साथ छत्तीसगढ़ और राजस्थान के मुख्यमंत्री को भी लपेट लिया. लेकिन शायद उससे बात नहीं बनी इसलिए फिर मोर्चा गोदी मीडिया ने संभाला और मामले को हिंदू-मुस्लिम रंग दे डाला.

Manipur कांड में हुइरेम हेरोदास मेइतेई है मुख्य आरोपी

मणिपुर Manipur में दो कुकी महिलाओं को नग्न घुमाने, उनके साथ छेड़छाड़ करने और कथित तौर पर सामूहिक बलात्कार करने की भयावह घटना के दो महीने बाद, राज्य पुलिस ने बुधवार यानी 19 जून को कार्रवाई शुरू की. वो भी तब जब सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो आने के बाद देश गुस्से में भर गया. गुरुवार को पहली गिरफ्तारी हुई. बाद में तीन और गिरफ्तार किए गए. हुइरेम हेरोदास मेइतेई कथित तौर पर इस मामले में गिरफ्तार किया गया मुख्य आरोपी है और उसे घटना के 26 सेकंड के क्लिप में साफ तौर पर देखा गया जब वो नग्न महिला को पकड़कर खेत की तरफ ले जा रहा था.

Manipur मामले में ANI ने भ्रामक ट्वीट किया

हालांकि  समाचार एजेंसी एशियन न्यूज़ इंटरनेशनल यानी ANI ने मणिपुर मुद्दे को भटकाने के लिए शुक्रवार को इस मामले में एक भ्रामक ट्वीट साझा किया. इस ट्वीट में मणिपुर वायरल वीडियो मामले में आरोपी का नाम अब्दुल हिलमी बताया गया. यानी जब विपक्षी राज्यों पर आरोप लगाने से भी लोगों का गुस्सा कम होता नहीं दिखा तो मामले को हिंदू-मुस्लिम रंग देने की कोशिश की गई. एएनआई ANI का ट्वीट बहुत जल्द सोशल मीडिया पर ट्रेंड करने लगा. हज़ारों लोगों ने इस ट्वीट को शेयर कर ये भी एलान कर दिया कि अब विपक्षी और लिबरल लोग इस मामले पर चुप्पी साध लेंगे लेकिन यहां भी झूठ ज्यादा देर टिक नहीं पाया. फैक्ट चेक साइट्स ने एएनआई ANI के ट्वीट को फेक,फर्जी,झूठा करार दे दिया लेकिन एएनआई को ये बात मानने में पूरे 12 घंटे लगे.

ANI ने मानी गलती

जिसके बाद एएनआई की तरफ से दी गई सफाई में कहा गया कि, “कहानी वापसी और माफी पर नोट: कल शाम, अनजाने में एएनआई द्वारा मणिपुर पुलिस द्वारा की गई गिरफ्तारियों के संबंध में एक ट्वीट पोस्ट किया गया था. यह मणिपुर पुलिस द्वारा पोस्ट किए गए ट्वीट्स को गलत तरीके से पढ़ने पर आधारित था क्योंकि यह वायरल वीडियो में दिखाई गई घटनाओं के संबंध में उसके द्वारा की गई अन्य गिरफ्तारियों के संबंध में पहले किए गए ट्वीट से भ्रमित था. कुछ ही देर बाद,  कुछ ही मिनटों के भीतर, गलती का एहसास होने पर ट्वीट को तुरंत हटा दिया गया और एक सही संस्करण तुरंत पोस्ट किया गया. त्रुटि के लिए खेद है.”  माफी वाले इस ट्वीट को एएनआई की एडिटर स्मिता प्रकाश ने भी शेयर किया लेकिन सवाल ये है कि जब गलती का एहसास चंद मिनटों में हो गया था तो फिर माफी मांगने में 12 घंटे क्यों लगे.

वैसे जिस खबर से एएनआई को भ्रम हुआ वो असल में मणिपुर पुलिस के एक ट्वीट के अनुसार, हिल्मी को मणिपुर पुलिस ने दूसरे जिले में और किसी और मामले में हिरासत में लिया था. दरअसल पीपुल्स रिवोल्यूशनरी पार्टी ऑफ कांगलेईपाक (PREPAK) के एक कैडर हिल्मी को इम्फाल के पूर्वी जिले से किसी दूसरे मामले में गिरफ्तार किया गया था.

हिंसा को धार्मिक रंग देने की कोशिश

लेकिन जो गलत खबर एएनआई ने दी उस ट्वीट को कई दक्षिणपंथी मीडिया आउटलेट्स और ट्विटर उपयोगकर्ताओं ने उठाया. कई समाचार मीडिया आउटलेट्स ने भी कहानी साझा की. यानी जो नैरेटिव सेट करने की कोशिश की गई वो फैल गया था. सवाल ये भी है कि एएनआई के गलती मानने के बाद सभी ट्विटर उपयोगकर्ताओं और समाचार मीडिया आउटलेट्स ने भी क्या एएनआई की गलती की माफी वाली खबर चलाई या उस ट्वीट को रीट्वीट किया. अगर नहीं तो फिर एएनआई तो अपने मकसद में कामयाब हो गया. उसका मकसद था हिंदू-मुसलिम नैरेटिव बनाना और सरकार की फंसी हुई गर्दन को बचाना.

समाचार एजेंसी की नीयत पर सवाल

दरअसल सवाल एएनआई की नियत पर ही है क्योंकि हर मामले में मुसलमानों को दोषी ठहराये जाने के दौर में तो किसी भी ईमानदार समाचार एजेंसी को खबर देने से पहले कई बार चेक करना चाहिए था. लेकिन जब नियत में ही खोट हो तो सवाल का कोई मतलब नहीं. वैसे हमारा सवाल आपसे है कि जब आपने मणिपुर की महिलाओं का वीडियो देखा था तो क्या आपने ये सोच के देखा था कि जिन महिलाओं के साथ ये हुआ वो किस धर्म की हैं. जिन्होंने ये हरकत की वो किस धर्म के हैं. मुझे विश्वास है आपका जवाब होगा कि नहीं, उससे क्या फर्क पड़ता है. जुल्म तो जुल्म है फिर चाहे किसी ने भी किया हो….और दोषियों को उसके धर्म जाति और देश की सीमाओं को परे रखकर सज़ा मिलनी ही चाहिए. तो फिर सोचिए क्यों धर्म को इस मामले में लाने की कोशिश की गई. इसका मकसद मणिपुर की आग को देश में फैलाने का तो नहीं था.

क्या ANI पर लगेगा NSA ?

याद है न गोधरा के बाद हुए दंगों के लिए क्या कहा गया था कि दंगा लोगों के गुस्से का इजहार था. तो क्या मणिपुर का गुस्सा धर्म की आग भड़का कर शांत करने की कोशिश की गई. और अगर ऐसा हुआ तो क्या सिर्फ माफी मांग लेने से मामला रफा दफा कर देना चहिए. क्यों नहीं एएनआई के खिलाफ सख्त कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए. वैसे तो इस सरकार में  चलन तो राष्ट्रद्रोह और एनएसए लगाने का है और इस मामले में तो बनता भी है.

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