Mamta Kulkarni : महाकुंभ के दौरान ममता कुलकर्णी को किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्र बनाये जाने की खूब चर्चा रही. इस बीच लगातार ये सवाल उठाये जाते रहे कि महामंडलेश्वर के पद पर क्या ऐसे लोगों को बिठाया जा सकता है. किन्नर अखाड़े ने शुक्रवाल को महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी (Lakshmi Narayan Tripath) और ममता कुलकर्णी (Mamta Kulkarni) पर कार्रवाई करके इसका जवाब दिया है. किन्नर अखाड़े ने लक्ष्मी नाराय़ण त्रिपाठी को महामंडलेश्वर के पद से हटाये जाने का ऐलान किया है,साथ ही ममता कुलकर्णी से भी महामंडलेश्वर की उपाधि छीन ली गई है. फैसले का ऐलान किन्नर अखाड़े के संस्थापक अजय दास (Ajay Das) की तऱफ से किया गया.
Mamta Kulkarni को महामंडलेश्वर बनाये जाने पर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी पर कार्रवाई
किन्नर अखाड़े ने लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी के खिलाफ ये एक्शन ममता कुलकर्णी को महामंडलेश्वर बनाने के मामले में लिया है. ममता कुलकर्णी को लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी (Laxmi Narayan Tripathi) ही महामंडलेश्वर बनाया था. इसके बाद से ही चारो तरफ अखाड़े के इस फैसले की आलोचना हो रही थी. साधु-संत अखाड़े के इस फैसले पर सवाल उठा रहे थे. सवाल ये भी उठ रहे थे कि ममता कुलकर्णी ने इस पद के लिए एक बड़ी राशि भी दी थी. इन्ही आरोपों के बीच अब किन्नर अखाड़े के संस्थापक ऋषि अजय दास ने लक्ष्मी नाराय़ण और ममता कुलकर्णी , दोनों के खिलाफ ये बड़ा एक्शन लिया है.
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ममता कुलकर्णी को लेकर क्यों हुआ विवाद ?
ममता कुलकर्णी को किन्नर अखाड़े ने 24 जनवरी को महाकुंभ में पट्टाभिषेक कराया था. उनके शुद्धिकरण के साथ उन्हें एक नया नाम – ‘श्री यामाई ममता नंदिनी गिरी’ दिया गया. इसके बाद से ही लगातार ये सवाल उठने लगे कि किन्नर अखाड़े में ममता कुलकर्णी महामंडलेश्वर कैसे बनाई जा सकती है. कई साधु-संतो के साथ साथ अखाड़ों ने भी इसपर आपत्ति जताई, इसमें किन्नर अखाड़े के संस्थापक ऋषि अजय दास भी शामिल थे. अजय दास के मुताबिक एक स्त्री को किन्नर अखाड़े में महामंडलेश्वर बनाना अखाड़े के ‘सिद्धांतों के खिलाफ’ है.
ऋषि अजय दास ने जारी किया प्रेस विज्ञप्ति, जिसमें लिखा है-
“आचार्य महामंडलेश्वर लक्ष्मी नारायण त्रिपाठी तथाकथित ने असंवैधानिक ही नहीं अपितु सनातन धर्म व देश हित को छोड़कर ममता कुलकर्णी जैसे देशद्रोह के मामले में लिप्त महिला, जो कि फिल्मी ग्लैमर से जुड़ी हुई हैं, उसे बिना किसी धार्मिक व अखाड़े की परंपरा को मानते हुए वैराग्य की दिशा के बजाय सीधे महामंडलेश्वर की उपाधि व पट्टा अभिषेक कर दिया गया. जिस कारण से मुझे आज बेमन से मजबूर होकर देश हित में सनातन एवं समाज हित में इन्हें पद से मुक्त करना पड़ रहा है.”