Sunday, September 8, 2024

Malmas Poster row: चंद दिनों की मेहमान है गठबंधन सरकार, नीतीश के पोस्टर से तेजस्वी आउट

क्या एक बार फिर बदलेगी बिहार की सियासी तस्वीर? राजगीर में लगने वाले मलमास मेले के पोस्टर से उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के गायब होने के बाद ये सवाल उठ रहे हैं. पोस्टरों में सिर्फ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ही नजर आ रहे हैं. ऐसे में यह चर्चा स्वाभाविक है कि क्या महागठबंधन के दो बड़े दलों राजद और जदयू के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है.

18 जुलाई से शुरु हो रह है मालमास मेला

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह जिले राजगीर, नालंदा में आगामी मलमास मेले को लेकर राज्य सरकार व्यापक तैयारी कर रही है. हर तीन साल में लगने वाला यह मेला इस साल 18 जुलाई से शुरू होगा. ये मेला धार्मिक आस्था और पर्यटन का महत्वपूर्ण संगम है. मलमास मेले का अत्यधिक धार्मिक महत्व इसलिए भी है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस दौरान तमाम देवी-देवता राजगीर में मौजूद होते हैं.

पोस्टर बैनर पर सिर्फ नीतीश ही नीतीश

लेकिन इस बार मेला बिहार की राजनीति के केंद्र में भी आ गया है. वजह है श्रद्धालुओं के स्वागत के लिए सरकार द्वारा लगाए गए पोस्टरों और होर्डिंग्स से उपमुख्यमंत्री तेजस्वी प्रसाद यादव की तस्वीर का गायब होना. मेला परिसर में और उसके आसपास लगे पोस्टरों और होर्डिंग्स में मेले के भक्तों के लिए उपलब्ध सुविधाओं का जिक्र है और साथ ही फोकस में है नीतीश कुमार की तस्वीर. तेजस्वी यादव इन विज्ञापनों से गायब हैं. जिसके बाद राजनीतिक हलको में ये चर्चा है कि राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) और जनता दल यू के बीच सब कुछ ठीक नहीं है.

भ्रष्टाचारी से दूरी रखना चाहते है नीतीश कुमार

कहा जा रहा है कि रेलवे में नौकरियों के बदले जमीन घोटाले मामले में तेजस्वी के खिलाफ चार्जशीट दर्ज होने के बाद सीएम नीतीश कुमार तेजस्वी और आरजेडी से दूरी बना रहे हैं. आपको याद होगा 2017 में तेजस्वी को IRCTC होटल बिक्री घोटाले में आरोपी बनाए जाने के बाद नीतीश कुमार ने आरजेडी से नाता तोड़ लिया था और बीजेपी के साथ नई सरकार बनाई थी.

विपक्षी एकता के सूत्रधार है नीतीश कुमार

हलांकि 2024 के चुनावों को लेकर नीतीश कुमार जिस तरीके से सक्रिय हैं उसे देखकर इस बार स्थिति अलग दिख रही है. तेजस्वी पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों पर नीतीश चुप हैं और उन्होंने कोई सार्वजनिक बयान नहीं दिया है लेकिन उनकी पार्टी और कैबिनेट सहयोगी, जैसे जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह और वित्त मंत्री विजय कुमार चौधरी, तेजस्वी के बचाव में आ गए थे. ललन सिंह ने तो आरोप पत्र दायर होने को डराने धमकाने की कोशिश बताया था. और कहा था कि तेजस्वी नहीं डरेंगे.

आरजेडी-जेडीयू प्रवक्ता ने दी सफाई

इसी तरह मलमास मेले को लेकर भी आरजेडी प्रवक्ता शक्ति सिंह यादव ने तेजस्वी की तस्वीर नहीं होने पर सफाई दी उन्होंने कहा कि प्रचार सामग्री पर तेजस्वी की तस्वीर न होने को राजनीतिक कदम नहीं समझा जाना चाहिए. उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि केवल उन्हीं नेताओं को शामिल करना आम बात है जो कार्यक्रम में शामिल हो रहे हैं. जद (यू) के राष्ट्रीय महासचिव राजीव रंजन ने भी ये बात दोहराई. उन्होंने कहा कि चूंकि मेला एक राज्य प्रायोजित समारोह है और नीतीश राज्य के प्रमुख हैं, इसलिए उनकी तस्वीर प्रमुखता से प्रदर्शित की जा रही है.

एक ही मामले में बार-बार चार्जशीट करना, उचित है क्या?-राबड़ी देवी

दोनों पार्टी के प्रवक्ता भले ही स्थिति सामान्य बता रहे हों लेकिन पटना में ये चर्चा आम है कि चाचा अपने भतीजे पर भ्रष्टाचार के मामले में चार्जशीट दायर होने से असहज हैं. इसलिए पटना में तेजस्वी यादव के इस्तीफे की चर्चा भी चल रही है. इसी को लेकर जब बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री और तेजस्वी यादव की मां राबड़ी देवी से सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा, “एक ही मामले में बार-बार चार्जशीट करना, उचित है क्या? हम लोगों के साथ जबरदस्ती हो रही है. भाजपा और भारत सरकार सभी के साथ जबरदस्ती कर रही है. नरेंद्र मोदी का यही काम है. विकास का कोई काम तो किया नहीं. उनकी घोषणा केवल घोषणा ही रह गई. देश का पैसा लूट कर पार्टी कार्यालय और मॉल बना दिया.”


केके पाठक बनाम शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर है विवाद की वजह?

वैसे मलमास मेले के पोस्टर और होर्डिंग्स से तेजस्वी की तस्वीर गायब होने की वजह सिर्फ जमीन के बदले नौकरी घोटाले में चार्जशीट दायर होना नहीं बताई जा रही है. चर्चा ये भी है कि इस झगड़े की वजह राजद कोटे से शिक्षा मंत्री बने चन्द्रशेखर यादव और एसीएस अधिकारी केके पाठक के बीच चल रही तनातनी भी है. केके पाठक जहां नीतीश कुमार के चहेते हैं वहीं शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के सर पर आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव का हाथ है.
यानी तेजस्वी के पोस्टर से गायब होने की एक नहीं कई वजह हो सकती हैं. हलांकि देश के राजनीतिक हालात और सामने खड़े लोकसभा चुनाव को देख ऐसा तो नहीं लगता कि नीतीश कुमार फिलहाल पाला बदलने की सोच रहे होंगे.

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