Wednesday, October 15, 2025

‘आरोपियों पर लें NSA के तहत एक्शन’, युवक से पैर धुलवाकर पानी पिलाने के मामले में हाईकोर्ट सख्त

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जबलपुर: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने दमोह जिले में मंदिर के अंदर ओबीसी वर्ग के युवक से एक अन्य शख्स के पैर धुलवाने तथा गंदा पानी पीने को मजबूर किये जाने की घटना को संज्ञान में लेते हुए सख्त रुख अपनाया है. हाईकोर्ट जस्टिस अतुल श्रीधरन तथा जस्टिस प्रदीप मित्तल की खंडपीठ ने आरोपी के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम(NSA) के तहत कार्यवाही के आदेश जारी किये हैं.

युगलपीठ ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि मध्य प्रदेश में बार-बार होने वाली जाति संबंधित हिंसा व भेदभाव पूर्ण कार्यवाही स्तब्ध करने वाली है. ब्राह्मण क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र सभी अपनी स्वतंत्र पहचान का दावा कर रहे हैं. हर वर्ग अपनी जातीय पहचान को गर्व से प्रदर्शित कर रहा है, जिससे हिंदू समाज का आंतरिक सौहार्द खतरे में है.

दमोह जिले के ग्राम सतरिया में घटित घटना के संबंध में मीडिया में आई खबर को हाईकोर्ट ने लिया संज्ञान

गौरतलब है कि दमोह जिले के ग्राम सतरिया में घटित घटना के संबंध में मीडिया में आई खबर को हाईकोर्ट ने संज्ञान लिया था. रिपोर्ट के अनुसार ग्राम पंचायत ने शराबबंदी लागू कर रखी थी. गांव में रहने वाला अन्नू पांडे नामक युवक शराब बेच रहा था और खुद भी शराब पिए हुए था. पंचायत ने अन्नू के खिलाफ जुर्माने की कार्यवाही की थी. गांव में रहने वाले ओबीसी वर्ग के एक युवक ने एआई की मदद से अन्नू गले में जूतों की माला पहनाते हुए उसकी फोटो सोशल मीडिया में वायरल कर दी. लोगों की आपत्ति के बाद उसने सोशल मीडिया से मीम हटा दी थी.

 

 

इस घटना के संबंध में पंचायत हुई और ओबीसी वर्ग के युवक को मंदिर में बुलाया गया. युवक को घेरकर लोगों की भीड़ ने उससे अन्नू के पैर धुलवाए. इसके बाद उसका गंदा पानी पीने को मजबूर किया. पूरी घटना की वीडियो बनाई गयी और विभिन्न चैनलों में दिखाया गया. मंदिर के अंदर पीड़ित को धमकी नहीं दी गई परंतु वह भीड़ से घिरा हुआ था और आदेश का पालन करने मजबूर था.

याचिका पर सुनवाई के दौरान वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिए उपस्थित हुए दमोह जिले के पुलिस अधीक्षक

याचिका पर सुनवाई के दौरान दमोह जिले के पुलिस अधीक्षक वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से उपस्थित हुए. उन्होंने बताया कि आरोपियों के खिलाफ धारा 296 तथा 196- 1 बी के तहत एफआईआर दर्ज की गई है. युगलपीठ ने सुनवाई के बाद अपने आदेश में कहा है कि घटना मंदिर के अंदर हुई है. इसलिए मामले में धारा 196 2 की धारा बढाई जाए. इसके अलावा धारा 351 तथा 133 को भी जोड़ा जाए.

याचिका पर अगली सुनवाई 15 अक्टूबर को निर्धारित की गई है

न्यायालय आमतौर पर आरोपियों के खिलाफ NSA के तहत कार्यवाही के आदेश नहीं देता है. यह कार्यपालिका का विवेकाधिकार है. पीड़ित जिस समुदाय से आता है, उसके लोगों में आक्रोश के कारण तुरंत कार्यवाही नहीं की गई तो हालात हिंसा की तरफ बढ़ सकते हैं. जिसके बाद पुलिस की कार्यवाही अप्रभावी हो जाएगी और सार्वजनिक व्यवस्था भंग हो सकती है. जातिगत कटुता और भेदभाव अपने चरम पर पहुंचे इसके पहले आरोपियों के खिलाफ दमोह पुलिस एनएसए की कार्यवाही करे. वीडियो में दिखाई दे रहे लोगों की पहचान सुनिश्चित की जाए, जिन्होंने उसे ऐसा करने मजबूर किया. याचिका पर अगली सुनवाई 15 अक्टूबर को निर्धारित की गई है.

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