उज्जैन: आश्विन मास की नवरात्रि की अष्टमी तिथि पर महाअष्टमी पर्व मनाया जा रहा है. महाअष्टमी पर्व पर उज्जैन में सम्राट विक्रमादित्य द्वारा शुरू की गई परंपरा आज भी जारी है. अष्टमी के दिन इस पूजन परंपरा को तहसील कार्यालय निभाता है. इसी को ध्यान में रखते हुए अष्टमी की सुबह कलेक्टर और एसपी ने देवी माता को बलबाकल और शराब का भोग लगाया. सोलह श्रृंगार भेंट कर पूजन की. इस दौरान ढोल नगाड़ों की गूंज के साथ बड़ी संख्या में भक्तों की भीड़ दिखाई दी.
क्षेत्र के राजा करते हैं पूजन
सम्राट विक्रमादित्य के द्वारा शुरू की गई परंपरा में क्षेत्र के राजा अष्टमी के दिन यहां पूजा करते हैं. उसी को आगे बढ़ाते हुए जिले के राजा समान माने जाने वाले कलेक्टर और एसपी ने 24 खंबा स्थित देवी महामाया धाम में पूजन किया. पूजा के बाद शहर के 40 भैरव और देवी मंदिरों के लिए पैदल यात्रा शुरू की गई. कलेक्टर एसपी भी उसमें शामिल हुए. जिसके बाद 40 अलग-अलग भैरव और देवी मंदिर में पूजा कर शराब का भोग अर्पित किया गया.
नगर की सुख समृद्धि के लिए होता है पूजन
मंदिर के पुजारी रवी बताते हैं कि "यह सब नगर में सुख समृद्धि के लिए किया जाता है. चैत्र माह में अखाड़ा परिषद इस पूजन को करता है." वहीं, कलेक्टर रोशन कुमार सिंह ने कहा, जिले की बेहतरी के लिए मंगलकामना की है. सुख समृद्धि बनी रहे. यह विशेष पूजन मुझे करने का सौभाग्य मिला है. मैं अष्टमी पर्व और नवमी पर्व दोनों की सभी को बधाई शुभकामनाएं देता हूं."
27 किलोमीटर की पैदल यात्रा
मंदिर के पुजारी रवि के अनुसार देवी महामाया देवी महालया के पूजन के बाद शुरू होने वाली 27 किलोमीटर की पैदल यात्रा में सबसे आगे सिंदूर लगाने वाला एक व्यक्ति होता है. हाथ में ध्वज लिए दूसरा व्यक्ति और ढोल नगाड़े बजाने वाले साथ चलते हैं. इसके साथ ही बलबाकल उठाने वाले और लगभग 15 कोतवाल जो कि पूजन का अलग-अलग सामान उठाए हुए चलते हैं. जिसमें एक कोतवाल हांडी में शराब लिए होता है.
40 मंदिरों में 31 बोतल शराब का भोग
तहसील स्तर के अधिकारी कर्मचारी और सामाजिक स्तर के लोग इस यात्रा में शामिल होते हैं, जो की 40 अलग-अलग भैरव एवं देवी मंदिरों में पूजा अर्चना करते है. हांडी भैरव पर जाकर इस यात्रा को समाप्त करते हैं. इसमें करीब 12 घंटे का समय लगता हैं. कुल 31 बोतल शराब का इस दौरान भोग लगाया जाता है जो कि आबकारी विभाग तहसील कार्यालय के द्वारा उपलब्ध करवाया जाता है.
क्या होता है बलबाकल?
बलबाकल काले चने और गेहूं को उबालकर तैयार किया जाता है. कुल 35 किलो बलबाकल तैयार होता है. इसके साथ ही इस पूजन में कुल 45 तरह की सामग्री होती है. यह सब तैयारी सप्ताह भर पहले से ही शुरू की जाती है. शराब के लिए एसडीएम कार्यालय से आबकारी विभाग को एक पत्र जाता है और फिर आबकारी विभाग 31 बोतल शराब तहसील कार्यालय को उपलब्ध कराता है.