Saturday, November 15, 2025

मध्य प्रदेश में बारिश का कहर जारी, मुरैना में 67% बारिश से टूटा दो दशकों का रिकॉर्ड

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मुरैना : लगातार हो रही झमाझम बारिश ने मुरैना चंबल अंचल में दो दशक का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. मौसम विभाग से प्राप्त आंकड़ों के मुताबिक 15 जुलाई तक 67 प्रतिशत बारिश हो चुकी है. अत्यधिक बारिश के चलते डैम ओव्हर फ्लो होने की कगार पर हैं. पगारा डैम के गेट खुलने से अब सांक नदी में भी बाढ़ के आसार बनने लगे है. वहीं, क्वारी नदी पर बने तीन रपटे पानी मे डूब गए है.

जिला प्रशासन ने चम्बल, क्वारी व सांक नदी में लगातार बढ़ रहे जल स्तर को देखते हुए 91 गांवों के अलर्ट जारी किया है. पुलिस व अन्य विभाग की टीमें नदियों के बढ़ते जल स्तर पर निगरानी रखे हुए हैं.

जितनी अगस्त तक होनी थी उतनी बारिश 15 दिनों में

मुरैना चम्बल-अंचल में पिछले 5 साल के आंकड़े देखे जाएं तो अगस्त के अंतिम सप्ताह तक इतनी बारिश होती थी. वहीं जून से अबतक की बारिश ने दो दशकों का रिकॉर्ड तोड़ दिया है. अत्यधिक बारिश होने से क्वारी नदी का जल स्तर लगातार बढ़ता जा रहा है. बागचीनी घाट पर क्वारी नदी का जल स्तर 168. 98 के निशान को छू रहा है. इससे क्वारी नदी पर बने बागचीनी और पलपुरा रपटा सहित तीन रपटे पानी में डूब गए हैय नदी किनारे करीब एक किलो मीटर के दायरे में बसे गांवों में क्वारी नदी का पानी पहुंच गया है.

91 गांवों में अलर्ट जारी

उधर पगारा डैम ओव्हर फ्लो होने से बीती रात एक गेट ऑटोमैटिक खुल गया. इससे सांक नदी में भी बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है. जिला प्रशासन ने चम्बल, क्वारी तथा सांक नदी के बढ़ते जल स्तर को देखते हुए 91 गांवों में अलर्ट जारी करवा दिया है. वहीं पानी मे डूबे रपटों के दोनों ओर सूचना पटल लगाकर पुलिस गार्ड भी लगा दिए गए हैं, जिससे कोई हादसा न हो. हालांकि चम्बल अभी खतरे के निशान से 10 मीटर नीचे बह रही है.

एडीएम सीबी प्रसाद ने कहा, '' बाढ़-आपदा की स्थिति से निपटने के लिए हम पूरी तरह से तैयार हैंं. चम्बल, क्वारी व सांक नदी के बढ़ते जल स्तर को देखते हुए 91 गांवों में बाढ़ का खतरा है, इसलिए अलर्ट जारी करवा दिया है. बाढ़ के दौरान लोगों के रहने के लिए जिले भर में 60 शेल्टर होम बनाए गए हैं.''

जुलाई में 15 साल बाद खुले पगारा डैम के गेट

मुरैना जिले की जौरा तहसील के पगारा डैम के एक गेट से लगभग 3000 क्यूसेक पानी निकाला जा रहा है. डैम के कैचमेंट एरिया में और पानी आया तो और ऑटोमेटिक गेट खुलते चले जाएंगे. बता दें कि पगारा डैम के गेट 15 साल बाद जुलाई महीने में अधिक वर्षा के कारण पहली बार खुले हैं.

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