Naxal-free Balaghat : नक्सल प्रभावित क्षेत्रों को लेकर भारत सरकार के गृह मंत्रालय की ताजा समीक्षा में बालाघाट जिले को बड़ी राहत मिली है. कभी देश के 12 सर्वाधिक नक्सल प्रभावित जिलों में शामिल बालाघाट अब इस सूची से बाहर हो गया है. हालांकि, जिले को अब ‘डिस्ट्रिक्ट ऑफ कंसर्न’ की श्रेणी में रखा गया है. इसका मतलब यह है कि यहां अभी भी सतर्कता की जरूरत है, लेकिन पहले की तुलना में स्थिति में काफी सुधार हुआ है. इस बदलाव की पुष्टि बालाघाट के पुलिस अधीक्षक नागेंद्र सिंह ने की है.
Naxal-free Balaghat के बारे में एसपी ने दी जानकारी
एसपी नागेंद्र सिंह के मुताबिक, बीते सालों में सुरक्षा बलों की सघन कार्रवाई और लगातार प्रयासों की वजह से जिले में नक्सल गतिविधियों में काफी कमी आई है. नक्सलियों की कई योजनाओं को सुरक्षा बलों ने नाकाम कर दिया है और अब जिले में नक्सलियों का दबदबा पहले जैसा नहीं रहा. गृह मंत्रालय की हालिया समीक्षा रिपोर्ट में भी यह स्पष्ट हो गया है कि अब देश में 58 की जगह केवल 38 जिले ही नक्सल प्रभावित हैं. इनमें से अब केवल 6 जिले ही सर्वाधिक नक्सल प्रभावित की श्रेणी में आते हैं.
विरासत के जिले की श्रेणी में ये जिले
मध्य प्रदेश के अन्य दो जिले मंडला और डिंडोरी, जहां पहले नक्सल प्रभाव दर्ज किया गया था, अब ‘विरासत के जिले’ की श्रेणी में रखे गए हैं. यह श्रेणी उन क्षेत्रों के लिए बनाई गई है, जहां पहले नक्सली सक्रिय रहे हैं, लेकिन वर्तमान में स्थिति काफी हद तक सामान्य हो गई है. अब इन दोनों जिलों को निरंतर निगरानी के साथ विकास की मुख्यधारा में लाने के प्रयास तेज किए जाएंगे.
पांच साल में बदली इलाके की तस्वीर
पांच साल में नक्सलियों के खिलाफ की गई कार्रवाई का यह सकारात्मक परिणाम है. बालाघाट पुलिस ने नक्सल प्रभावित क्षेत्र में कैंप लगाए. नक्सल उन्मूलन अभियान चलाए गए. साथ ही सरकारी योजनाओं के जरिए क्षेत्र में विकास कार्य भी किए गए. पहले देश में 58 नक्सल प्रभावित जिले थे, जिनमें से बालाघाट भी 12 सर्वाधिक प्रभावित जिलों में शामिल था. अब यह संख्या घटकर 38 रह गई है. इनमें से सिर्फ 6 जिले सर्वाधिक प्रभावित श्रेणी में हैं.
2020 से फरवरी 2025 के बीच बालाघाट पुलिस ने कई मुठभेड़ों में करोड़ों रुपए के इनामी नक्सलियों को मार गिराया. इससे जिले के जंगलों को सुरक्षित पनाहगाह मानने वाले नक्सली पुलिस से खौफ खाते हैं. अब कोर जोन में सिर्फ एक दलम सक्रिय है. एसपी नागेंद्र सिंह के मुताबिक श्रेणी परिवर्तन के बावजूद नक्सल उन्मूलन के लिए उपलब्ध कराई गई सुरक्षा कंपनियों के बल में कोई कमी नहीं आएगी.
पुलिस का लक्ष्य मार्च 2026 तक जिले से नक्सल गतिविधियों को पूरी तरह खत्म करना है, ताकि इस क्षेत्र के लोग मुख्यधारा से जुड़ सकें. उन्होंने बताया कि जिले में नक्सलियों की संख्या में भारी कमी आई है. पहले तीन दलम थे, अब केवल एक दलम बचा है, जिसमें 8 से 10 नक्सली हैं, जिन पर हम लगातार प्रभाव बनाए हुए हैं. मीडिया के माध्यम से नक्सलियों से अपील की जा रही है कि वे राज्य की आत्मसमर्पण नीति के तहत आत्मसमर्पण कर मुख्यधारा में शामिल हों और अगर वे नहीं आते हैं, तो कार्रवाई जारी रहेगी.
नक्सल प्रभावित जिलों में कमी
गृह मंत्रालय की रिपोर्ट यह भी बताती है कि केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा संयुक्त रूप से अपनाई गई रणनीति, जिसमें सुरक्षा अभियानों के साथ-साथ विकास कार्य और स्थानीय संवाद शामिल हैं, वास्तव में प्रभावी रही है. देशभर में नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या 58 से घटकर 38 रह गई है, जिसे नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई में बड़ी सफलता माना जा रहा है.
नक्सलवाद को जड़ से खत्म करने का संकल्प
पुलिस अधीक्षक नागेंद्र सिंह ने कहा कि भले ही बालाघाट अब सर्वाधिक प्रभावित जिलों की सूची से बाहर हो गया है, लेकिन पुलिस और सुरक्षा एजेंसियां कोई नरमी नहीं बरतेंगी. उनका कहना है कि जिले से नक्सलवाद को पूरी तरह से खत्म करने का अभियान जारी रहेगा और भविष्य में बालाघाट को किसी भी नक्सल श्रेणी से बाहर निकालने का लक्ष्य है.
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