भोपाल। मध्य प्रदेश उच्च शिक्षा विभाग ने एक बड़ा फैसला लिया है। हायर एजुकेशन की उत्तर पुस्तिकाओं का डिजिटिलाइजेशन किया जाएगा। इससे कॉपी जांचने के दौरान होने वाली गड़बड़ी को रोकने में मदद मिलेगी। उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा कि कॉपियों की स्क्रीनिंग के बाद इसे मूल्यांकनकर्ता को दिया जाएगा इससे पारदर्शिता बढ़ेगी।
मूल कॉपी विश्वविद्यालय में होगी
उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा कि इस पर हमारा काम चल रहा है। कई विश्वविद्यालयों ने इसके लिए तैयारी कर ली है, इसके लिए विश्वविद्यालय डिजिटल प्लेटफॉर्म बनाएंगे। कॉपी की स्क्रीनिंग की जाएगी, इसके बाद मूल्यांकनकर्ताओं को कॉपी दी जाएगी। मूल कॉपी विश्वविद्यालय में होगी, इससे कॉपियों के गुम होने की शिकायत दूर हो जाएगी। उन्होंने आगे कहा कि इससे ये फायदा मिलेगा कि यदि कोई छात्र कॉपी देखने की मांग करता है तो उसे दिखा सकें, छात्रा अपनी कॉपी चेक करने के साथ-साथ अन्य प्रोफेसर को कॉपी दिखा सकेगा कि इसमें कुछ गलत तो नहीं है कॉपी जांचने में मदद होगी और पारदर्शिता आएगी।
विश्वविद्यालयों में पढ़ाई जाएंगी 22 भाषाएं
महाराष्ट्र और दक्षिण भारत में भाषा विवाद के बीच मध्य प्रदेश सरकार का बड़ा फैसला लिया है। मध्य प्रदेश के विश्वविद्यालयों में 22 भाषाएं पढ़ाई जाएंगी, उच्च शिक्षा मंत्री ने कहा कि एक विश्वविद्यालय में एक या दो भाषाएं पढ़ाई जाएंगी। इसके लिये क्रेडिट भी दिया जाएगा, नए शिक्षण टीम क्रेडिट का सिस्टम है राज्य के बाहर की भाषा जो स्टूडेंट्स सीखना चाहेगा उसे अतिरिक्त क्रेडिट दिया जाएगा।
भाषा विवाद पर बोले उच्च शिक्षा मंत्री
उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा कि हमारे प्रदेश के बच्चे जब तमिलनाडु में जाएं तो उनसे संवाद कर सकें। व्यवसाय के लिए कहीं जाएं तो कनाडा में बात कर सकें, केरल में मलयालम से बात कर सकें, आंध्र में तेलुगु में बात कर सकें, महाराष्ट्र जाएं तो मराठी में बात कर सकें। ऐसे सभी राज्यों की भाषाओं को शामिल किया जाएगा,उन्होंने आगे कहा कि मध्य प्रदेश ऐसा राज्य होगा कि जहां सभी भाषाओं को हिंदी भाषा राज्य के साथ हम सम्मान दे रहे हैं। शिक्षाविद यह पैटर्न तैयार कर रहे हैं, अगले सत्र से यह व्यवस्था लागू हो जाएगी।