इंदौर : कश्मीर के पहलगाम में आतंकी हमले में मौत का शिकार हुए इंदौर के सुशील नथानियल का अंतिम संस्कार क्रिश्चियन रीति रिवाज के अनुसार जूनी इंदौर कब्रिस्तान में किया गया. अंतिम विदाई देने के दौरान परिजनों की हालत देख शहरवासियों का गला भर आया. सुशील की बेटी ने नम आंखों से जब अपने पिता को अंतिम विदाई तो माहौल बेहद गमजदा हो गया. कब्रिस्तान में इस मौके पर सुशील के रिश्तेदारों के अलावा मंत्री तुलसी सिलावट, कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी, शहर काजी सहित बड़ी संख्या में शहरवासी मौजूद रहे.
जूनी इंदौर स्थित कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक
गौरतलब है कि 22 अप्रैल की दोपहर 2.45 बजे पहलगाम की बैसारन घाटी में आतंकियों ने पर्यटकों पर ताबड़तोड़ गोलियां चलाईं. इसमें कुल 27 लोग मौत की आगोश में सो गए. इनमें सुशील भी शामिल थे. बुधवार देर रात उनके शव को इंदौर एयरपोर्ट लाया गया. यहां से शव उनके परिजनों को सुपुर्द कर दिया गया. गुरुवार सुबह सुशील की अंतिम यात्रा निकली. शव को पहले परदेशीपुरा स्थित चर्च ले जाया गया. यहां प्रार्थना हुई. इसके बाद अंतिम यात्रा जूनी इंदौर स्थित लूनियापूरा के कब्रिस्तान पहुंची.
सुशील के परिजन फूट-फूटकर रोये
कब्रिस्तान में सुशील की बेटी ने अपने पिता को रोते हुए आखिरी विदाई दी. बेटी के पैर में गोली लगने के बाद वह व्हील चेयर पर बैठकर पिता को आखिरी विदाई देने कब्रिस्तान पहुंची. कब्र में सुपुर्द-ए-खाक के दौरान सुशील की पत्नी जेनिफर फूट-फूटकर रोने लगीं. वह लगातार बोले जा रही थी "मुझे तो आपने बचा लिया लेकिन खुद चले गए." परिजनों ने बड़ी मुश्किल से उन्हें संभाला. गौरतलब है कि सुशील अलीराजपुर स्थित एलआईसी की शाखा में पदस्थ थे. 18 अप्रैल को वह अपने बेटे, बेटी और पत्नी के साथ घूमने के लिए कश्मीर गए थे.
हमले में मृतक के बेटे ने सुनाई आंखोंदेखी
आतंकी हमले में मारे गए सुशील के बेटे गोल्डी ने आंखों देखी सुनाई. गोल्डी ने बताया "घटनास्थल पर 15 से 16 साल के लड़के अचानक आए. उनके हाथों में बंदूकें थीं. वह बॉडी कैमरा लगाकर आए थे. उन्होंने आते ही पर्यटकों से उनके धर्म के बारे में जानकारी लेनी शुरू की. जिन लोगों ने खुद को मुस्लिम होने की बात कही तो उनसे कलमा पढ़ने को कहा. इसके साथ ही कपड़े उतारवाए. जो लोग कलमा नहीं पढ़ पाए, उन्हें गोली मार दी. मेरे सामने ही 6 लोगों को गोली मारी. इस दौरान यही आतंकी मेरे पिता के पास भी आए और कलमा पढ़ने को कहा. पिता ने कहा कि मैं क्रिश्चियन हूं. इतना सुनते ही आतंकियों ने गोली मार दी. इससे पहले मेरे पिता ने मुझे घटनास्थल से दूर कर दिया था. मेरी बहन आकांक्षा पिता को बचाने के लिए आगे बढ़ी तो आतंकी ने बहन के पैर में गोली मार दी."
शहर काजी ने आतंकियों की कड़े शब्दों में की निंदा
अंतिम दर्शन करने शहर काजी डॉ. इशरत अली सहित शहरवासी उमड़े. इस मौके पर मंत्री तुलसी सिलावट ने मीडिया से कहा "सुशील के परिजनों को हरसंभव मदद दी जाएगी. जिस तरह से आतंकियों ने इस घटना को अंजाम दिया है, वह काफी दुखद है." मंत्री तुलसी सिलावट ने कांग्रेस नेता रॉबर्ट वाड्रा को आड़े हाथों लेते हुए कहा "आज सभी को एक साथ खड़े होने का समय है लेकिन कांग्रेस जिस तरह से बयानबाजी कर रही है, यह उसके मानसिक दिवालियापन को बताता है." शहर काजी डॉ. इशरत अली ने आतंकियों की इस कायराना करतूत की कड़े शब्दों में निंदा की.