Thursday, October 2, 2025

ITBP जवान बर्खास्तगी मामले में हाईकोर्ट में 17 साल बाद सुनवाई, दूसरी शादी का मामला

- Advertisement -

ग्वालियर: इंडो-तिब्बत बॉर्डर पुलिस में पदस्थ जवान को 17 साल पहले 2 शादियां करने को लेकर बर्खास्त कर दिया गया था लेकिन लंबी कानूनी लड़ाई के बाद आखिरकार पीड़ित जवान को बड़ी राहत मिली है. ग्वालियर हाईकोर्ट ने जवान की बर्खास्तगी को अनुचित ठहराया है.

2008 में नौकरी से बर्खास्त, जवान ने हाईकोर्ट में किया चैलेंज

चंबल क्षेत्र से आने वाले जवान जोगेंद्र सिंह ने साल 1990 में बतौर आरक्षक इंडो-तिब्बत बॉर्डर पुलिस (आईटीबीपी) ज्वाइन की थी. उन्होंने 18 साल तक अपनी सेवायें भी दीं लेकिन 2008 में उन्हें नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया. इसके बाद उन्होंने 2008 में ही मध्य प्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच में अपनी बर्खास्तगी के आदेश को चैलेंज किया क्योंकि उन्हें बर्खास्त करने के पीछे उनके 2 विवाह होने का कारण दिया गया था.

17 साल बाद हुई याचिका पर सुनवाई

इस परिवाद को लेकर अपीलकर्ता जोगेंद्र सिंह को लंबे समय तक इंतजार करना पड़ा और 17 साल बाद उनकी याचिका पर हाईकोर्ट ने सुनवाई की. अपीलकर्ता के वकील एडवोकेट डीपी सिंह के मुताबिक उन्होंने दलील दी कि "याचिकाकर्ता जवान ने अपने जीवन के 18 साल आईटीबीपी में सेवा दी और सेवा अवधि में कभी भी अपने कर्तव्य की उपेक्षा नहीं की. उन्होंने दूसरा विवाह भी अपनी पहली पत्नी की सहमति से किया. उनकी पहली पत्नी ने शपथ पत्र देकर खुद इस विवाह के लिए सहमति जताई थी. इस तरह सिर्फ दूसरे विवाह को आधार बनाकर नौकरी से पृथक करना न्यायोचित नहीं होगा, क्योंकि इस निर्णय से याचिकाकर्ता का परिवार आर्थिक संकट से घिर गया है."

पहली पत्नी की सहमति के बाद हुआ दूसरा विवाह

अपीलकर्ता जोगेंद्र सिंह की पहली पत्नी लंबे समय तक बीमारी से ग्रसित थीं और घर के कामकाज संभालने में असमर्थ थीं. इन हालातों को देखते हुए 1995 में उन्होंने अपने पति जोगेंद्र सिंह को दूसरे विवाह के लिए सहमति दी थी. उसके बाद ही याचिकाकर्ता का दूसरा विवाह संपन्न हुआ था. लेकिन दूसरी शादी के 10 साल बाद आईटीबीपी द्वारा 2005 में उन्हें दूसरे विवाह के संबंध में शो-कॉज नोटिस जारी किया था और 2008 में उन्हें बर्खास्त कर दिया. उस समय तक जवान जोगेंद्र सिंह 18 साल अपनी सेवाएं विभाग में दे चुके थे.

 

हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को दी राहत, विभाग को निर्देश

इस मामले में हाईकोर्ट ने सभी तर्क सुनने के बाद याचिकाकर्ता को राहत देते हुए और उनके खिलाफ की गई विभागीय कार्रवाई को अनुचित बताया है. हाईकोर्ट ने निर्णय सुनाते हुए कहा है कि "यह मामला जवान के व्यक्ति के जीवन से जुड़ा है ना कि कार्य प्रदर्शन से, अनुशासन बनाये रखना अतिमहत्वपूर्ण है लेकिन सजा तय करते समय विभाग को कर्मचारी की सेवा अवधि और परस्थितियों पर विचार करना चाहिए."

इसके साथ ही हाईकोर्ट ने आईटीबीपी को निर्देश दिए हैं कि "इस मामले में जवान को पुनर्विचार कर नियमों के तहत उपयुक्त दंड निर्धारित किया जाये. जिसके लिए न्यायालय ने 2 माह का समय भी विभाग को दिया है."

 

 

 

Html code here! Replace this with any non empty raw html code and that's it.

Latest news

Related news