ग्रामीण इलाकों में अवैध शराब की भरमार, दुकानों के बिना भी हर गली में मिल रही बोतलें
इंदौर । मध्य प्रदेश की कमर्शियल राजधानी इंदौर में शराब की बिक्री पर कोई नियंत्रण दिखाई नहीं दे रहा है। नियमों के मुताबिक हर ब्रांड की शराब एमआरपी पर बिकनी चाहिए, लेकिन ज़मीनी हकीकत इससे बिल्कुल उलट है। खासकर ग्रामीण इलाकों में शराब एमआरपी से अधिक दामों पर खुलेआम बिक रही है।
ग्रामीण इलाकों में अवैध शराब की भरमार, दुकानों के बिना भी हर गली में मिल रही बोतलें
आश्चर्य की बात यह है कि जिन गांवों में सरकार ने शराब दुकानों का आवंटन ही नहीं किया, वहां भी गली-गली में शराब उपलब्ध है। इन सबके पीछे आबकारी विभाग के कुछ 'चहेते' ब्लेकर बताए जा रहे हैं, जिन्हें आधे दाम में शराब सप्लाई की जा रही है। इंदौर जिले के आबकारी अधिकारी अभिषेक तिवारी पर आरोप है कि वे इस पूरे गोरखधंधे पर आंखें मूंदे हुए हैं। कई स्थानीय सूत्रों का दावा है कि अधिकारी की मिलीभगत से ही यह कारोबार फल-फूल रहा है।
मुख्यमंत्री के नशा मुक्ति अभियान का माखौल
मुख्यमंत्री भले ही नशामुक्ति अभियान पर करोड़ों रुपये खर्च कर रहे हों, लेकिन जब तक ऐसे अफसरों पर कार्रवाई नहीं होगी, तब तक बदलाव की उम्मीद बेमानी है। इतना ही नहीं, शराब विक्रेताओं से जब ग्राहक बिल की मांग करते हैं, तो 80% दुकानों पर उन्हें सीधे मना कर दिया जाता है या डराया-धमकाया जाता है। सूत्रों का यह भी दावा है कि इंदौर से शराब की बड़े स्तर पर तस्करी कर गुजरात तक सप्लाई की जाती है। वहीं अभिषेक तिवारी की संपत्ति पर भी सवाल उठने लगे हैं — क्या ये सब केवल एक सरकारी सैलरी से संभव है? प्रदेश से बाहर और यहां तक कि देश के बाहर भी उनकी कथित बेनामी संपत्तियों की चर्चा आम होती जा रही है। अब देखना यह होगा कि क्या शासन इस पर कोई सख्त कदम उठाएगा, या फिर सब कुछ यूं ही चलता रहेगा