इंदौर | इंदौर हाई कोर्ट ने शिवाजी मार्केट के दुकानदारों की याचिका पर सुनवाई करते हुए साफ किया कि नगर निगम बिना उचित प्रक्रिया अपनाए और दबाव डालकर दुकानों को खाली नहीं करवा सकता है. फरवरी में निगम ने दुकानदारों को नई सब्ज़ी मंडी के पास बने कॉम्प्लेक्स में शिफ्ट होने और लॉटरी प्रक्रिया में शामिल होने के निर्देश दिए थे, जिसका दुकानदारों ने विरोध किया था. इसी के बाद सभी 120 दुकानदारों ने एडवोकेट मनीष यादव और विवेक व्यास के जरिए अदालत का रुख किया था |
अदालत ने पहले लॉटरी प्रक्रिया पर रोक लगाई और अब अंतिम निर्णय में यह कहा कि दुकानदार पिछले चार दशक से दुकानें चला रहे हैं, इसलिए उन्हें अवैध और व्यापार के अनुकूल न होने वाली इमारत में मजबूरन विस्थापित करना गलत है. जस्टिस प्रणय वर्मा की बेंच ने निर्णय देते हुए स्पष्ट किया कि अगर विस्थापन करना भी हो तो वह दोनों पक्षों की सहमति और विधिक प्रक्रिया के तहत अनुबंध के माध्यम से ही किया जाए |
10 फरवरी तक नई जगह शिफ्ट करने का दिया था समय
इंदौर नगर निगम ने शिवाजी मार्केट को हटाकर नंदलालपुरा सब्जी मंडी के पास स्थानांतरित करने की तैयारी कर ली थी. इसका प्रस्ताव काफी समय पहले तैयार हो चुका है और व्यापारियों को 10 फरवरी तक नई जगह शिफ्ट होने की अंतिम समय सीमा दी गई थी. इस निर्णय से व्यापारी बेहद नाराज हो गए. उनका कहना था कि पिछले तीन दशकों में उन्हें कई बार मजबूरन अपनी दुकानें बदलनी पड़ी हैं. उन्होंने कहा कि पहले राजवाड़ा, फिर रेलवे स्टेशन, उसके बाद शिवाजी मार्केट और अब एक बार फिर विस्थापन का दबाव बनाया जा रहा है |
नगर निगम की ओर से रिवर साइड पर बनी 126 दुकानों को हटाने को लेकर व्यापारियों के साथ कई बैठकों का आयोजन भी किया गया, लेकिन व्यापारी लगातार नई जगह जाने का विरोध कर रहे हैं |
पांच हजार लोगों का रोजगार प्रभावित
व्यवसायियों का कहना था कि इस परिवर्तन से करीब पांच हजार लोगों की रोज़ी-रोटी पर खतरा मंडरा रहा है. शिवाजी मार्केट व्यापारी एसोसिएशन के अध्यक्ष विजय केथुनिया के अनुसार उनका कारोबार कपड़ों, खिलौनों, रेडीमेड गारमेंट्स, बैग, बेल्ट, मछली दाना और पक्षियों के पिंजरे जैसे सामानों पर आधारित है. नई जगह पर दुकानों को बहुमंजिला भवन में आवंटित किया जा रहा है, जिससे ग्राहकों की आवाजाही कम हो सकती है और यह उनके व्यापार को खत्म करने जैसा होगा. व्यापारियों का आरोप है कि एक बार फिर उन्हें बिना उनकी सहमति के विस्थापन का सामना करना पड़ रहा है |

